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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : आसुर उपनिषद् की उत्पत्ति

गतांक से आगे…. उपनिषद और गीता के समस्त वर्णन से, कम से कम इतना तो निर्णय हो गया कि,उपनिषदों का बहुत सा भाग वैदिक नहीं है और न उनका बहुत सा भाग ब्राह्मणों द्वारा अनुमोदित ही है। इतना ही नहीं, प्रत्युत यह भी निर्णय हो गया कि, वह एक गुप्त मण्डली के द्वारा असुर प्रवृत्ति […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

बहुत ही आदर्शवादी शासक से महाराजा रणजीत सिंह

आदर्श शासक महाराजा रणजीत सिंह (आज 13 नवम्बर उनके जन्म दिवस पर विशेष) वे साँवले रंग का नाटे कद के मनुष्य थे। उनकी एक आँख शीतला के प्रकोप से चली गई थी। परंतु यह होते हुए भी वह तेजस्वी थे। आत्मबल का उदाहरण देखना हो तो महाराजा रणजीत सिंह मे देखना चाहिए महाराजा रणजीत सिंह […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

18 57 की क्रांति और हमारे देशभक्त क्रांतिकारियों के कारनामे

१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) १८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, गुर्जर विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत ’10 मई 1857′ की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको […]

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स्वास्थ्य

पूरी तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है चरक संहिता

डॉ. दीप नारायण पाण्डेय सोशल मीडिया में स्वयंभू विशेषज्ञों का बहुत बड़ा जमावड़ा लगा रहता है। आयुर्वेद भी इससे अछूता नहीं है। इन्टरनेट में आयुर्वेद के एक्सपट्र्स और उनके नुस्खों का बोलबाला है। जन-सामान्य भी इन्टरनेट में खोजबीन कर इसी ज्ञान से अपना काम चलाने की कोशिश करते हैं। पर यह एक प्रमाणित तथ्य है […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति की दिव्यता, अलौकिकता और भव्यता के प्रतीक हैं दीपावली के दीये

 कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल दीपक हमारे अन्त:चक्षुओं का प्रतिबिम्ब भी है जो सतत हमारे भौतिक एवं आध्यात्मिक विभागों के मध्य समन्वय का सेतु बनने का कार्य करता है। दीप की सतत् ज्वलित लौ, हमारी अन्तरात्मा के साथ सीधे सम्पर्क एवं साम्य स्थापित करने की अनुभूति प्रदान करती है। भारतीय धर्म-दर्शन में दीप का अपना अलग महत्व […]

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आज का चिंतन

महर्षि दयानन्द का एक महत्त्वपूर्ण लघु ग्रन्थ ‘गोकरुणानिधि’

गोबर्द्धन पूजा लेखक- डॉ० रामनाथ वेदालंकार प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ महर्षि दयानन्द रचित पुस्तकों में एक छोटी से पुस्तक ‘गोकरुणानिधि’ है। देखने में तो छोटी सी है, किन्तु महत्त्व में यह कम नहीं है। इसकी रचना स्वामी जी ने आगरा में की थी। पुस्तक के अन्त में स्वामी जी ने स्वयं लिखा है कि यह ग्रन्थ […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : आसुर उपनिषद् की उत्पत्ति

गतांक से आगे… यह सारा प्रपंच अधिक स्पष्ट हो जाता है, जब हम आसुर उपनिषद में लिखा हुआ पाते हैं कि, उपनिषद्विद्या को ब्राह्मण नहीं जानते थे। छान्दोग्य 5/3/7 में लिखा है कि ‘न प्राक त्वत्त पुरा विद्या ब्राह्मणन गच्छति’ अर्थातत् तुम से पूर्व विद्या को ब्राह्मण नहीं जानते थे। इसी तरह बृहदारण्यक 6/2/8 में […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत का महान क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के

(जन्मदिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) अगर बात करे भारतीय स्वतंत्रता की क्रांति और उन क्रांतिकारियों की जिनकी वजह से देश को आजादी मिली तो इतिहास की रेत में शायद हज़ारों नाम दबे मिले। पर हम सिर्फ कुछ नामों से ही रु-ब-रु हुए हैं। वैसे तो भारत माँ के इन सभी सपूतों के बारे में […]

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आज का चिंतन

ईश्वर और उसकी कर्म फल व्यवस्था

वेदों का पुराना प्रसिद्ध सिद्धांत है, दंड के बिना कोई सुधरता नहीं है | आज संसार के लोग बिगड़े हुए दिखाई देते हैं । इसके कारण है कि लोग दंड व्यवस्था को भूल चुके हैं । कुछ ही अपवाद रूप लोगों को छोड़कर शेष सभी लोग दंड व्यवस्था को समझ नहीं रहे । उन्हें ना […]

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पर्व – त्यौहार

क्या है श्री कृष्ण जी महाराज का गोवर्धन पर्वत उठाना ?

रावण के राष्ट्र में नीति थी, धर्म नहीं था ।नीति भी अधर्म की नीति थी। यदि उसके साथ धर्म भी होता तो निश्चित था कि रावण की पताका संसार में सबसे ऊंची कहलाती। आज संसार में प्रत्येक मनुष्य यह कह देता है कि यह तो पाखंडी है, लेकिन पाखंड कहते किसको हैं ?  इसको देखें […]

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