छठा प्रश्न भारत के पास मर्यादा पुरुषोत्तम राम एक ऐसी जगह विख्यात शख्सियत हैं जिन्हें संसार के सभी देशों में जाना जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम चंद्र जी महाराज को सारे संसार में इसलिए भी जाना जाता है कि उनका राज्य सारे संसार में फैला हुआ था। इतिहास के भीतर दर्ज साक्ष्यों से यह भी […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
तीसरा प्रश्न अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों का आवाहन किया कि घर-घर तिरंगा फहराया जाए। इस पर कांग्रेसी नेतृत्व की ओर से जो प्रतिक्रिया आई वह उचित नहीं कही जा सकती। कांग्रेस के नेतृत्व का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी और उसके मूल संगठन आरएसएस के द्वारा 1947 से […]
कांग्रेस और उसके नेताओं ने देश को एक ऐसी मूर्खता पूर्ण अवधारणा प्रदान की जिसके सहारे हमारा अपना बौद्धिक संपदा संपन्न देश अपनी चाल को ही भूल गया। इस मूर्खता पूर्ण अवधारणा का नाम स्वतंत्र भारत में धर्मनिरपेक्षता माना गया। जिसका अभिप्राय है कि जिससे धर्म की अपेक्षा ही नहीं की जा सकती। ऐसी धारणा […]
भारतवर्ष में आर्य समाज की स्थापना हुई तो अंग्रेजों ने आर्य समाज जैसे राष्ट्रवादी संगठन को पंखविहीन करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर कॉन्ग्रेस की स्थापना अपने एक सेवानिवृत्त अधिकारी ए ओ ह्यूम से करवाई थी। 1857 की क्रांति में महर्षि दयानंद और उनके लोगों ने जिस प्रकार मिलकर धूम मचाई थी उसके चलते अंग्रेजों […]
गतांक से आगे …. वेद और ब्राह्मण प्राचीन काल में वेद शब्द बड़े महत्व का समझा जाता था । जिस प्रकार शास्त्र शब्द किसी समय अनेक विषयों के लिए प्रयुक्त होने लगा था और धर्मशास्त्र , ज्योतिषशास्त्र आदि नामों से अनेकों विद्याएँ कही जाती थीं , जिस प्रकार किसी जमाने में सूत्रों का महत्व बढ़ा […]
कांग्रेसी , कांग्रेस के समर्थक और गांधीवादी – सब यह कहते हैं कि गांधी के चरखा चलाने से हमें आजादी प्राप्त हो गई थी। यदि इस बात पर विचार किया जाए तो संसार के समकालीन इतिहास का यह सबसे बड़ा झूठ है। भारतवर्ष के संदर्भ में इस बात को पूरी तरह समझ लेना चाहिए कि […]
“मोदी सरकार का बड़ा निर्णय: देश में अब पारंपरिक तरीके से होगी स्कूली पढ़ाई, सरकार ने रामदेव को सौंपी नए बोर्ड की कमान” देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर सरकार ने 140 करोड़ देशवासियों को नया तोहफा दिया है। सरकार ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर पारंपरिक भारतीय शैली में […]
हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्षय में अमृत महोत्सव मना रहे हैं। कुछ लोग इस अमृत महोत्सव को आजादी का महोत्सव कहकर बोल रहे हैं जबकि ऐसा कहना गलत हैं । जिन लोगों को हमारी संस्कृत और हिंदी भाषा का व्याकरण बोध नहीं है, उनके द्वारा इसे आजादी का महोत्सव कहा […]
गतांक से आगे…. इसके पूर्व तीन खण्डों में हमने वेदों की प्राचीनता , वेदों की अपौरुषेयता और वेदों की उपेक्षा पर प्रकाश डाला है । हमने यथाशक्ति यह दिखलाने का यत्न किया है कि , वेद अपौरुषेय और ईश्वरप्रदत्त हैं , अतः जब तक आर्यों ने उनके अनुकूल अपनी रहन – सहन , शिक्षा – […]
बहुत से लोग संसार में उत्साही और आशावादी होते हैं। कुछ लोग स्वभाव से ही निराशावादी होते हैं। निराश तो कभी भी होना ही नहीं चाहिए। जो लोग निराशावादी हैं, वे अपना स्वभाव बदलने का प्रयास करें। जो उत्साही और आशावादी लोग हैं, वे भी कभी-कभी निराशा की लपेट में आ जाते हैं। तब वे […]