गतांक से आगे … सामवेद की किसी जमाने में 1000 तक शाखाएं हो गई थी, परंतु इस समय उनका कहीं पता नहीं है। चरणव्यूह की टीका में महीदास ने लिखा है कि – ‘आसॉ षोडशशाखाना मध्ये तित्रः शाखा विद्यन्ते गुर्जरदेश कौथुमी प्रसिद्धा , जैमिनीया प्रसिद्वा,महाराष्टे तु राणायनीयां ‘ अर्थात् इस की 16 शाखाओं में अब […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। ऐसे में हम सब के लिए यह कोतवाल और जिज्ञासा का विषय बन रहा है कि क्या इस बार भी इस प्रदेश में भाजपा निरंतर अपनी सरकार बनाने में सफल होगी या फिर उसका स्थान आप या कांग्रेस लेने जा रही है […]
गतांक से आगे ….. वेदों की शाखाएं हमारा अनुमान है कि माध्यन्दिनीय में आये हुए मन्त्रों के अतिरिक्त काव्यशाला में जो फेरफार हुआ है- पाठभेद और न्यूनाधिकता हुई है— उसका कारण काण्वऋषि का विचारपरिवर्तन ही है। विचारपरिवर्तनों से ही सम्प्रदायों की सृष्टि होती है । अतएव काण्वऋषि ने भी अपना एक अलग शाखासम्प्रदाय प्रचलित किया […]
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी आंदोलन के एक सशक्त नेता के रूप में ख्याति प्राप्त रहे श्री मुलायम सिंह यादव का एक लंबी बीमारी के बाद गुडगांव स्थित मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है। श्री यादव 82 वर्ष के थे। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने अपनी जिंदगी में […]
वेदों की शाखाएँ शाकल और बाष्कल शाखाओं के संयुक्त रूप के अतिरिक्त अब ऋग्वेद की कोई दूसरी शाखा नहीं मिलती । कहते हैं कि कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में ऋग्वेद से सम्बन्ध रखनेवाली शांख्यायनी शाखा मिलती है , पर उसका स्वरूप अस्तव्यस्त है । अस्तव्यस्तता के अतिरिक्त वह शाकल के शिष्यों की प्रवचन […]
वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे …
वैदिक सम्पत्ति गतांक से आगे … जिस समय गोत्र और शाखाप्रचार की धूम हो रही थी , उस समय एक एक वेद की अनेकों शाखाएँ हो गई थीं । मूल मन्त्रों की ज्यों की त्यों रक्षा करते हुए केवल मन्त्रों के उलट फेर से जितनी शाखाएँ हो सकती थीं , उतनी हुई । हम उन […]
भारत वर्ष के इतिहास से संसार भर का अर्थात कभी के आर्यावर्त का संबंध है। भारतवर्ष से ही सभ्यता और संस्कृति का संचार समस्त संसार में हुआ। भारत संस्कारों का देश है। यही कारण है कि इसने संस्कृति पर बल दिया। जबकि संसार के अन्य देशों ने भारत की वैदिक संस्कृति के प्रतिगामी हवा चलाकर […]
वैदिक संपत्ति : आदिमकालीन संहिताएं
वैदिक सम्पत्ति गतांक से आगे … संहिता नाम ज्यों के त्यों मंत्रों का है । संहिता का अर्थ करते हुए पाणिनि मुनि अष्टाध्यायी 1/4/106 में कहते ‘ पर : सन्निकर्षः संहिता ‘ अर्थात् ‘ पदान्तान्पदादिभि : सन्दधाति यत्सा ‘ अर्थात् पदों के अन्त को अन्य पदों के आदि के साथ सन्धिनियम से बाँधने का नाम […]
वैदिक सम्पत्ति : यहूदी और पारसी
वैदिक सम्पत्ति गतांक से आगे… हम बचपन से यह सुनते आते हैं कि मुसलमानी यहूदी और पारसी आदि धर्म अथर्ववेद से ही निकले हैं । परन्तु अथर्ववेद के पन्ने उलटने पलटने पर कहीं भी हमको अल्ला बिस्मिल्ला का पता न मिला । हमने समझा कि सम्भव है यह बात सत्य न हो , किन्तु पारसी […]
चिंतन आलोचना ,समीक्षा और निंदा यह तीनों शब्द समानार्थक से प्रतीत होते हैं यद्यपि तीनों शब्दों में मौलिक अंतर है। तीनों शब्दों का एक विस्तृत आयाम है। एक शब्द होता है लोचन, उसी से जब ‘आ’ प्रत्यय हुआ तो वह आलोचन हो गया। लोचन का अर्थ है देखना। इसी से आलोचना शब्द की उत्पत्ति होती […]