पशुयज्ञों के संहिताकालीक न होने का बहुत बड़ा प्रमाण तैत्तिरीयसाहित्य में लिखा हुआ है। लिखा है कि- यद्दचोsध्यगीषत ताः पय आहुतयो देवानामभवन् । यद्यजूषि घृताहुतयो यत्सामानि सोमाहुतयो पदथर्वाङ्गिरसो मध्वाहुतयो यद्ब्राह्मणानि इतिहासान् पुराणानि कल्पान् गाथा नाराशंसीमँदाहुतयो देवानामभवन् । (तैत्तिरीय प्र 3 अ० 6 मं० 3) अर्थात् ऋग्वेद का पाठ देवताओं के लिए दूध की बाहुतियाँ, यजुर्वेद […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
प्रस्तुति Dr DK Garg लेखक: देवेंद्र आर्य एडवोकेट पहले अंक में आपको बताया कि ईश्वर ने पहली बार सृष्टि बनाई तो कर्म कहां से आये ? इस लेख में तीन मुख्य बाते थी की ईश्वर ,जीव और प्रकृति हमेशा से है और कभी समाप्त होने वाले नहीं है। प्राकृति की मदद से जीव अपने कर्मो […]
गतांक से आगे….. हम लिख आये हैं कि रावणादि ने मांसयज्ञ प्रचलित कर दिया था और उसका, अनार्य म्लेच्छों में खूब प्रचार था । हेमाद्रि- रामायण में लिखा है कि पूर्वसमय में अनार्य म्लेच्छों के संसर्ग से पतित हुआ पर्वतक नामी ब्राह्मण मरुत् राजा के पुत्र वसु राजा का सहपाठी होकर अन्त में उसका उपाध्याय […]
बहुत सुना है आपने क्या लेकर तू आया जग में क्या लेकर तू जाएगा ? उपरोक्त के अतिरिक्त सुना है कि न कुछ लेकर के आए ना कुछ लेकर जाना। खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है। क्या यह कहना सत्य है? हम ले करके आते भी हैं और लेकर के जाते भी हैं। […]
ईश्वर जीव और प्रकृति तीनों अनादि हैं। तीनों की सत्ता प्रथक प्रथक है। जीव से ईश्वर ,ईश्वर से जीव और इन दोनों से प्रकृति भिन्न स्वरूप हैं। ईश्वर और जीव दोनों चेतनता तथा पालन आदि गुणों में समान हैं। ईश्वर जीव और प्रकृति इन तीनों के गुण, कर्म व स्वभाव भी अनादि हैं। ईश्वर जीव […]
सत्यार्थ प्रकाश के नवम समुल्लास में महर्षि दयानंद ने लिखा है कि सत पुरुषों के संग से विवेक अर्थात सत्य सत्य धर्म- अधर्म कर्तव्य -अकर्तव्य का निश्चय अवश्य करें,पृथक पृथक जानें । जीव पंचकोश का विवेचन करें। पृथम कोष जो पृथ्वी से लेकर अस्थिपर्यंत का समुदाय पृथ्वीमय है उसको अन्नमय कोष कहते हैं ।”प्राण” अर्थात […]
गतांक से आगे ….. (3) वेदों में स्पष्ट उल्लेख है कि मांस जलानेवाली अग्नि यज्ञों में न प्रयुक्त होने पायें मांस जलानेवाली अग्नि बहुत करके चिताग्नि ही होती है । जब वेदों में चिता की अग्नि तक को यज्ञों में लाने का निषेध है, तब मनुष्यमास अथवा पशुमांस से यज्ञ करने की कैसे आज्ञा हो […]
आज है देश की आन बान और शान के प्रतीक महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब मेवाड़ और मुगलों के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल सेना लेकर महाराणा प्रताप पर […]
सौभरि उवाचः :– *भारतवर्ष के हिन्दुओ!अपने पूर्वजों की शौर्य गाथाएं एक बार फिर से पढ़ लो। इन वीरों को पिछले 70 सालों से वामपंथी,सेक्यूलर और देशद्रोही इतिहासकार — ब्राह्मण,बाल्मीकि,खटीक,धोबी,बंजारे, रेबारी,गुर्जर,किराड़,राजपूत,बनिया,चंवर (जिनको कुछ मन्दबुद्धि लोग चमार कहते हैं),लोधा,कोली,नामदेव,तेली,कलाल, केवट,मौर्य और राजभर आदि जातियों में बाँट रहे हैं। 1– सन 622 से 634 तक तीर्थस्थली कबलेश्वर (काबा) […]
वैदिक सम्पत्ति वेद मंत्रों के अर्थ,भाष्य और टिकाऍ गतांक से आगे …. दोनों भाष्यकारों ने चारों परीक्षाओं का उपयोग नहीं किया, तथापि स्वामी दयानन्द का हेतु बड़ा पवित्र है । यद्यपि लोग कहते हैं कि उनसे संस्कृत व्याकरण की भूलें हुई हैं और उन्होंने वेदमन्त्रों का अर्थ भी बदल दिया, है, किन्तु इस बात में […]