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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति: इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता , गतांक से आगे…

गतांक से आगे… वेदों ने इस बीभत्स वर्णन के साथ – साथ संसार के एक बहुत बड़े पाप का खुलासा करते हुए उपदेश दिया है कि किसी मनुष्य को अपनी पुत्री के साथ इस प्रकार का घृणित व्यवहार कभी न करना चाहिए। अथर्ववेद में आज्ञा है कि- यस्त्वा स्वप्ने निपद्यते भ्राता भूत्वा पितेव च । […]

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मुद्दा

एक वर्ग से भी माफी मांगने से इनकार कर आखिर राहुल ने क्या दिखाया है ?

राहुल गांधी पर कोर्ट केस गुजरात घांची मोदी समाज के अग्रणी और पूर्व मंत्री तथा सूरत से विधायक पूर्णेश मोदी ने किया था इस मामले में जब राहुल गांधी की पहली पेशी हुई थी तब घांची मोदी समाज के तरफ से उनके वकील ने कहा था कि हम इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते […]

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आज का चिंतन

आज की वार्ता : आर्य समाज की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन?

वर्तमान युग में आर्य समाज ,उसके द्वारा संचालित संस्थाओं एवं मंदिरों की दुर्दशा पर भी एक दृष्टिपात हमको कर लेना चाहिए। जिन जिन आर्य समाज मंदिरों के सामने जो दुकानें बनाई गई थीं उन सब पर नहीं तो अधिकतर पर विधर्मियों को दुकान आवंटित करके किराया लेने का कार्य आर्य समाज के पदाधिकारियों ने किया। […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति: इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता

इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता गतांक से आगे.. जिस प्रकार वेदों में इतिहास और पशुयज्ञ नहीं हैं, उसी तरह वेदों में अश्लीलता भी नहीं है। कुछ लोग कहा करते हैं कि वेदों में अश्लील बातों का वर्णन है, पर जिन स्थलों को लेकर वे ऐसा कहते हैं वे स्थल काव्य के उत्कृष्ट रसोद्रफ के द्वारा बहुत […]

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भारतीय संस्कृति

जियें तो ऐसे जियें

समग्र सृष्टि और एवं समस्त ब्रह्मांड में कोई ऐसा देश नहीं जो भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतियोगी तथा प्रतिभागी हो सके। भारत को ऐसे ही विश्व गुरु का पद प्राप्त नहीं था। बल्कि भारतवर्ष में अनेकों ऐसे दानवीर, शूरवीर ,उदारमना ,सरल हृदय पावन और पवित्र भावना वाले महापुरुष, ऋषि ,महात्मा, संत सृष्टि के प्रारंभ […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता

गतांक से आगे…… हमारी यह बात नीचे लिखे कतिपय वाक्यों से स्पष्ट होती है। मीमांसा में लिखा है कि- मांसपाकप्रतिषेधश्च तद्वत्। ( मीमांसा 12/12) अर्थात् जैसे यज्ञ में पशुहिंसा मना है, वैसे मांसपाक भी मना है । उसकी दूसरी जगह 10/3/65 और 10/7/15 में लिखा है कि ‘धेनुवच्च अश्वदक्षिणा’ और ‘अपि वा दानमात्रं स्वात् भक्षशवदानभिसम्बन्धनात्’ […]

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आज का चिंतन

आर्य मान्यतऐं—— जिनके अपनाने से होता है हमारे जीवन का श्रंगार

आर्य मान्यतऐं—— जिनके अपनाने से होता है हमारे जीवन का श्रंगार भारत के आर्य ऋषियों की मान्यताएं वास्तव में वैश्विक मान्यताएं हैं। यह ऐसी मान्यताएं हैं जिनसे विश्व समाज सृष्टि के पहले दिन से लाभान्वित होता आ रहा है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नारी व शूद्र को भी विद्या का समान अधिकार है। जहां तक […]

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर : भारत की महान नारियों को नमन, क्या है सबरी का सच

मनुस्मृति का श्लोक है कि :- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।। अर्थात जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो […]

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इतिहास के पन्नों से

हरयाणा प्रान्तीय द्वितीय आर्य महासम्मेलन रेवाड़ी हरयाणा स्वामी ओमानंद जी का व्याख्यान

राजार्यसभा और हरयाणा हरयाणा के आर्यों ने राजनीति में पर्याप्त भाग लिया है । यहां जो आर्यसमाजी हैं वे ही कांग्रेसी हैं । जो कोई कांग्रेसी आर्यसमाजी नहीं है , वही ढीला है । हरयाणा प्रान्त के लगभग सभी वर्तमान एम.एल.ए. आर्यसमाजी हैं , किन्तु आगे जाकर अपने स्वरूप को भूल जाते हैं । शेर […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति: इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता, गतांक से आगे…

गतांक से आगे… शतपथब्राह्मण में लिखा है कि– यदा पिष्टान्यथ लोमानि भवन्ति। यदाप आनयति अथ त्वग्भवति । यदा स यौरवच मांसं भवति । संतत इब हि तहि भवति संततमिव हि मांसम् । यातोऽचास्थि भवति दारूण इव हि तर्हि भवति दारुणमिध्यास्थि । अथ यदुद्वासयत्रभिधारयति तं मञ्जानं ददाति । एषो सा संपचदाहुः पक्तिः पशुरिति । अर्थात् जो […]

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