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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे…

गतांक से आगे… ऊर्जं वहन्तीरमृतं घृतं पयः कीलालं परिस्त्रु तम् । स्वधा स्थ तर्पयत मे पितृन् (यजुर्वेद 2/34) अर्थात् बलकारक जल, घृत, दूध रसयुक्त अन्न और पके हुए तथा टपके हुए मीठे फलों की धारा बह रही है, अतः हे स्वधा में ठहरे हुए पितरो ! आप तृप्त हों। इन मन्त्रों के अनुसार वैदिक घरों […]

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वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे… ग्रहस्थाश्रम

ग्रहस्थाश्रम उपर्युक्त इच्छाएँ विना गृहस्थाश्रम के पूरी नहीं हो सकतीं, इसलिए वेदों में गृहस्थाश्रम का पर्याप्त वर्णन है। यहाँ हम नमूने के तौर पर गृहस्थाश्रम की खास खास बातें लिखते हैं। सबसे पहिले देखते हैं कि वेदमन्त्रों के अनुसार गृहस्थ की हालत कैसी होनी चाहिये । अथर्ववेद में लिखा है कि- इहैव स्तं मा वि […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आज जयंती पर विशेष: हल्दीघाटी युद्ध के विजेता महाराणा प्रताप

स्वाभिमान के पुरोधा अनुपम योद्धा महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती 9 मई पर विशेष भारत के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब […]

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वैदिक सम्पत्ति : चतुर्थ खण्ड – वेद मंत्रों के उपदेश, गतांक से आगे….

गतांक से आगे…. यजुर्वेद में लिखा है कि- शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्रवका जरसं तनूनाम् । पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ।। (यजु० 25/22) अर्थात् है विद्वानो ! मनुष्य की आयु सौ वर्ष नियत है, अतः जब तक हमारे शरीरों की जरा अवस्था न हो जाय और हमारा पुत्र भी पिता […]

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आज का चिंतन

हमारे ऋषियों की दृष्टि में आकाश भी है दो प्रकार का

ईश्वर एवं जीव( अर्थात आत्मा या जीवात्मा) यह दोनों चेतन हैं। प्रकृति जड़ है। ईश्वर से जीव पृथक है। प्रकृति नाशवान नहीं, जगत नाशवान है। ईश्वर और जीव दोनों से प्रकृति पृथक है‌। तीनों अनादि, अजर, अमर है। तीनों की सत्ताएं अलग अलग हैं। सृष्टि का निर्माण ईश्वर जीव के लिए प्रकृति के तीन तत्वों […]

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वैदिक सम्पत्ति : चतुर्थ खण्ड: – वेदमन्त्रों के उपदेश

गतांक से आगे… नमूने के तौर पर हम यहां वेदों के कुछ सरलार्थं मन्त्रों को उद्धृत करके दिखलाते हैं कि वेद प्रत्येक आवश्यक विषय की शिक्षा किस प्रकार देते हैं। यहां हम एक एक विषय के दो – दो चार – चार मन्त्र ही देंगे। यह वेदविषयों की एक सूची मात्र ही है। इन विषयों […]

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वैदिक सम्पत्ति : चतुर्थ खण्ड:- वेद मंत्रों के उपदेश

गतांक से आगे….. वेदों का यह हाल नहीं है। वेद किन्हीं रिवाजों के बाद नहीं बने, प्रत्युत उन्होंने ही आवश्यक रिवाजों को जन्म दिया है। यज्ञोपवीत के लिए वेद इतना ही आवश्यक समझते हैं कि दूसरे कुल में जाने पर विद्या प्रारम्भ करने पर ओर मनुष्य पशरीर के अन्तिम धेय के प्राप्त करनेवाले व्रत को […]

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विशेष संपादकीय

अखिलेश जी ! अतीक के अपने कारनामों का परिणाम है यह …..

देश में एक ‘घड़ियाल’ के मरने के बाद घड़ियाली आंसू बहाने वालों की संख्या देखते ही बनती है। कुछ लोग हैं जो अतीक रूपी घड़ियाल के मरने के बाद ऐसे आंसू बहा रहे हैं जैसे उनकी बहुत बड़ी हानि हो गई हो। जबकि ये भली-भांति जानते हैं कि कुछ समय पहले यही अतीक अहमद कितने […]

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वैदिक सम्पत्ति : चतुर्थ खण्ड:- वेद मंत्रों के उपदेश

गतांक से आगे….. प्रायः लोग कहा करते हैं कि मनुष्यों को ज्ञान की जितनी आवश्यकता है, वह सभी ज्ञान वेदों में हितार्थी मैं – नहीं है, अर्थात् हमारे व्यवहार में आनेवाली ऐसी अनेक बातें हैं, जिनका वर्णन वेदों में नहीं है, इसलिए वेदों के साथ जबतक अन्य ग्रन्थों की शिक्षा भी सम्मिलित न की जाय, […]

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वैदिक सम्पत्ति : इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता

गतांक से आगे… क्योंकि परमात्मा जानता है। कि मनुष्य कितनी जल्दी भ्रम में पड़ जाता है। इसलिए उसको भ्रम से बचाने के लिए वेदों में स्थान- स्थान पर चेतावनी दे दी है। इस गुप्तेन्द्रिय प्रकरण में भी वेद कहते हैं कि- मा शिश्रदेवा अपि गुॠ र्त नः (ऋग्वेद 7/21/5) अर्थात् है मनुष्यो !! शिक्ष को […]

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