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इतिहास के पन्नों से

हल्दीघाटी युद्ध की 447 वीं वर्षगांठ के अवसर पर: हल्दीघाटी के अमर विजेता महाराणा प्रताप

हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब मेवाड़ और मुगलों के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल सेना लेकर महाराणा प्रताप पर चढ़ाई करने के लिए चल पड़ा। महाराणा प्रताप ने एक रणनीति के तहत हल्दीघाटी को […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : मनुष्य मात्र के साथ हो समता का व्यवहार

वैदिक सम्पत्ति गतांक से आगे… इन मन्त्रों में मनुष्यमात्र के साथ समता का व्यवहार करने का उपदेश किया गया है। इस उपदेश में अच्छी तरह बतला दिया गया है कि समस्त मनुष्यों की सम्पत्ति, विचार और रहनसहन एक समान होना चाहिये, तभी सौ वर्ष तक लोग सुख से जी सकते हैं। समस्त मनुष्यों के साथ […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति , गतांक से आगे …

इससे स्पष्ट हो जाता है कि वैदिक शिक्षा में बड़े बूढ़ों के मान और सेवा के लिए कितना जोर दिया गया है। इस कौटुम्बिक व्यवहार के आगे हम दिखलाना चाहते हैं कि वेदों में अपने कुटुम्ब से सम्बन्ध रखनेवाले अन्य जातिबन्धुयो के लिये किस प्रकार सुख की कामना करने का उपदेश है। ऋग्वेद में लिखा […]

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समाज

महिला सशक्तिकरण, देश की राजनीति और देश की महिला पहलवान

किसी भी बिंदु पर दो विचारधाराएं होना और दो विचारधाराओं का टकराव होना प्राकृतिक नियम है। प्रत्येक विचारधारा की अपनी मान्यताएं, अपने नियम और अपनी कसौटियां तथा गुण विशेष हुआ करते हैं । विद्वान जगत की जहां तक बात है वह तो एक ईश्वर के मानने में भी भिन्न-भिन्न मान्यताएं रखता है अर्थात एक ईश्वर […]

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पर्व – त्यौहार

क्या निर्जला एकादशी जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में मनानी चाहिए?

देवेंद्र सिंह आर्य चेयरमैन उगता भारत तप । तैत्तिरीय उपनिषद में मंत्र है कि ऋतं तप: सत्यम तपो दमस्तप: स्वाध्यायस्तप:। जिस का भावार्थ है कि हमको यथार्थ सद्भाव रखना, सत्य मानना, सत्य बोलना ,सत्य करना, मन को बुराइयों की ओर न जाने देना ,शरीर इंद्रियां और मन से शुभ कामों का करना, वेदादि सत्य शास्त्रों […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे…

इस प्रकार से गृहस्थ की दशा का वर्णन करके अब गृहस्य के नित्य करने योग्य पंचमहायज्ञों का वर्णन करते हैं। यजुर्वेद में लिखा है कि– यद् ग्रामे यदरण्ये यत्सभायां यदिन्द्रिये । यदेनश्चकृमा वयमिदं तदवयजामहे ।। (यजुर्वेद 3/45) अर्थात् ग्राम में, जंगल में और सभा में हमने इन्द्रियों से जो पाप किया है, उसे इस यज्ञ […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे…

गतांक से आगे… ऊर्जं वहन्तीरमृतं घृतं पयः कीलालं परिस्त्रु तम् । स्वधा स्थ तर्पयत मे पितृन् (यजुर्वेद 2/34) अर्थात् बलकारक जल, घृत, दूध रसयुक्त अन्न और पके हुए तथा टपके हुए मीठे फलों की धारा बह रही है, अतः हे स्वधा में ठहरे हुए पितरो ! आप तृप्त हों। इन मन्त्रों के अनुसार वैदिक घरों […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे… ग्रहस्थाश्रम

ग्रहस्थाश्रम उपर्युक्त इच्छाएँ विना गृहस्थाश्रम के पूरी नहीं हो सकतीं, इसलिए वेदों में गृहस्थाश्रम का पर्याप्त वर्णन है। यहाँ हम नमूने के तौर पर गृहस्थाश्रम की खास खास बातें लिखते हैं। सबसे पहिले देखते हैं कि वेदमन्त्रों के अनुसार गृहस्थ की हालत कैसी होनी चाहिये । अथर्ववेद में लिखा है कि- इहैव स्तं मा वि […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आज जयंती पर विशेष: हल्दीघाटी युद्ध के विजेता महाराणा प्रताप

स्वाभिमान के पुरोधा अनुपम योद्धा महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती 9 मई पर विशेष भारत के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब […]

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वैदिक सम्पत्ति : चतुर्थ खण्ड – वेद मंत्रों के उपदेश, गतांक से आगे….

गतांक से आगे…. यजुर्वेद में लिखा है कि- शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्रवका जरसं तनूनाम् । पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ।। (यजु० 25/22) अर्थात् है विद्वानो ! मनुष्य की आयु सौ वर्ष नियत है, अतः जब तक हमारे शरीरों की जरा अवस्था न हो जाय और हमारा पुत्र भी पिता […]

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