रावण के राष्ट्र में नीति थी, धर्म नहीं था ।नीति भी अधर्म की नीति थी। यदि उसके साथ धर्म भी होता तो निश्चित था कि रावण की पताका संसार में सबसे ऊंची कहलाती। आज संसार में प्रत्येक मनुष्य यह कह देता है कि वह तो पाखंडी है, लेकिन पाखंड कहते किसको हैं ? इसको देखें […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
इसीलिए वेद में विविध प्रकार के कारीगरों को मानपान देने की आज्ञा इस प्रकार दी गई है- नमस्तक्षभ्यो रथकारेभ्यश्च वो नमो नमः कुलालेभ्यः कमरेभ्यश्च वो नमो । नमो निषादेभ्यः पुञ्जिष्ठेभ्यश्च वो नमो नमः श्वनिभ्यो मृगयुभ्यश्च वो नमः ।। (यजु० 16/27) अर्थात् तक्षा, रथकार, कुलाल, बढ़ई, निषाद और अन्य छोटे बड़े कारीगरों का सत्कार हो । […]
सर्वप्रथम वेदों का प्रादुर्भाव भारतवर्ष की धर्म धरा पर हुआ । ईश्वरीय वाणी वेद का यह निर्मल ज्ञान संसार में सर्वत्र फैलाने का काम हमारे ऋषियों ने किया। वैसे तो वेद एक ही है पर संख्या की दृष्टि से इसे चार भागों में बांटकर देखा जाता है। प्रत्येक वेद का एक उपवेद है। इस प्रकार […]
.. यहाँ हमने तीन मन्त्र उद्धत किये हैं, जिनमें क्रम से दो-दो और चार-चार बढ़ाकर एक, तीन, पाँच, सात, नौ, ग्यारह, तेरह, सत्रह, इक्कीस, पचीस, उनतीस और तेंतीस आदि तथा चार, ग्राठ, बारह, सोलह, बीस, चोबीस, बत्तीस, चालीस, चवालीस और अड़तालीस आदि संख्याओं का वर्णन किया गया है। इसी तरह ॠग्वेदवाले मन्त्र में निन्यानवे का […]
क्रमश: । दसवीं किस्त। महर्षि पतंजलि ने 27 वे सूत्र में परिणाम शब्द की व्याख्या करके ईश्वर का वाचक प्रणय बताया। प्रणव के वाच्य वाचक संबंध को बताने का प्रयास किया ,समझाने का प्रयास किया। इसी को ईश्वर प्राणिधान कहा। तब शिष्य ने निम्न प्रकार शँका उठाई। शंका संख्या 91—– उस ईश्वर का जप और […]
भारत को समझो’ अभियान के तहत वास्तव में पहले यह समझना चाहिए कि भारत क्या था? भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति विश्व में कैसे फैली? प्रथमतया इस तथ्य की जानकारी होना आवश्यक है। तभी भारत को वास्तविक अर्थ में समझा जा सकता है। हमें समझना होगा कि इसराइल के यहूदी कौन हैं? शेख कौन हैं? […]
आज हम अपने महान इतिहास नायक सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 148वीं जयंती मना रहे हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उनके प्रति नतमस्तक है। अपने जीवन काल में उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए जिस प्रकार महान कार्य किये उनके समक्ष उनका समकालीन कोई भी नेता कहीं दूर-दूर तक भी टिकता हुआ दिखाई नहीं देता। […]
क्रमश: नवीं किस्त। शंका संख्या 83——- ईश्वर गुरुओं का गुरु कैसे हैं? समाधान —-संसार में आज तक जितने भी गुरु हुए हैं उन सब का गुरु ईश्वर है ।क्योंकि ईश्वर ने ही सृष्टि के प्रारंभ में चार वेदों का ज्ञान दिया ।वेदों के ज्ञान के बिना कोई भी व्यक्ति गुरु अथवा ज्ञानवान नहीं हो सकता […]
श्राद्ध, तर्पण , दान सुपात्र को कुपात्र को नहीं, देव, देवी ,देवता, ऋषि,परम देव, मूर्ख,आदि पर आलेख। सुविख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन के पास एक प्रतिष्ठित संस्था गुरुकुल एवं सामाजिक संस्था के संचालक एवं अधिष्ठाता रवि कावरा जी बैठे हैं। तथा एक वीडियो इस विषय की बनाई गई। जब मैं वह वीडियो सुन रहा था तो […]
(नोट -कुछ दिनों पहले हैदराबाद निवासी हमारे प्रबुद्ध पाठक श्री विजय रेड्डी जी ने पूछा था कि क्या यहाँ के लोगों का हिन्दू नाम मुस्लिम हमलावरों ने रखा था ?उनको उत्तर केलिए हम अपने पुराने लेखों के अंश लेकर यह लेख दे रहे ,रेड्डी जी ” हिन्दू स्वराज्य स्वातंत्र्य महोद्यम ” नामकी संस्था के अध्यक्ष […]