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मुद्दा

लगनी चाहिए ‘ डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ पर रोक

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई पुस्तक “भारत एक खोज ” में लिखा है कि आर्य विदेशी थे ,मध्य एशिया से आए थे। भारत के प्राचीन गौरव पर नेहरू जी को अधिक गर्व नहीं था। उन्होंने अपनी मान्यता स्थापित की और कह दिया कि :- सर जमीन ए हिंद पर अखलाक ए आवामे फिराक। […]

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वैदिक संपत्ति

वेदमंत्रो के उपदेश

पेज नंबर 4 (यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. ऐसे आहार को आयों की परिभाषा में सात्त्विक आहार कहते हैं। सात्त्विक आहार का स्वरूप और प्रभाव वर्णन […]

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भारतीय संस्कृति विविधा

दिवंगत बड़े भाई को छोटे भाई की आदर्श श्रद्धांजलि

मेरा यह लेख अपने पूज्य भ्राता जी,उपनिषदों के ज्ञाता और वैदिक मूल्यों के प्रति समर्पित होकर जीवन जीने वाले प्रो0 विजेन्द्र सिंह आर्य जी के प्रति समर्पित है । जिनका विगत 1 नवंबर 2024 को देहांत हो गया था। मृत्यु से सही 2 दिन पूर्व जब मैं अपने अनुज डॉ राकेश के साथ उनसे मिला […]

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विविधा

बड़े भाई के दिवंगत होने पर छोटे भाई की श्रद्धांजलि

‌ ‌ ‌ विगत 7 नवंबर 2024 को हमारे मार्गदर्शक, संरक्षक एवं पूज्य श्री विजेंद्र सिंह आर्य जी की अरिष्टी का आयोजन हुआ था। जिनका परलोकगमन 1 नवंबर 2024 को प्रातः 2. 20 पर हो गया था। श्री विजेंद्र सिंह आर्य जी का जन्म तीस हजारी कोर्ट दिल्ली के प्रांगण में 22 अगस्त 1947 को […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति -253 *वेदमंत्रों के उपदेश*

(यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक सम्पत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति देवेंद्र सिंह आर्य चेयरमेन उगता भारत गतांक से आगे .. यद्यपि संसार में सभी प्राणियों को अर्थ की आवश्यकता है, पर मनुष्य की अर्थसम्बन्धी आवश्यकता अन्य प्राणियों की अपेक्षा बहुत ही […]

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पर्व – त्यौहार

क्या है श्री कृष्ण जी महाराज का गोवर्धन पर्वत उठाना ?

रावण के राष्ट्र में नीति थी, धर्म नहीं था ।नीति भी अधर्म की नीति थी। यदि उसके साथ धर्म भी होता तो निश्चित था कि रावण की पताका संसार में सबसे ऊंची कहलाती। आज संसार में प्रत्येक मनुष्य यह कह देता है कि वह तो पाखंडी है, लेकिन पाखंड कहते किसको हैं ? इसको देखें […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति भाग- 352 (चतुर्थ खण्ड) – अर्थ की प्रधानता

(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. आ र्यसभ्यता की प्रधान चार आधारशिलाओं में मोक्ष को ही भाँति अर्थ की भी प्रधानता है। अर्थ का ही दूसरा नाम […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति भाग- 351 जाति,आयु और भोग

(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. यदि गीता के कर्मयोग के अनुसार कर्म से ही मोक्ष हो जाता, तो कर्मयोग के उपदेश करनेवाले स्वयं कृष्ण ही क्यों […]

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आओ कुछ जाने

भारत की वर्ण व्यवस्था बनाम जाति व्यवस्था

अमैथुनी सृष्टि में चार ऋषि हुए जिन्होंने ब्रह्मा को ज्ञान दिया तत्पश्चात मैथुनी सृष्टि प्रारंभ हुई और ऋषियों की संतान होने के कारण सर्ग के प्रारंभिक काल में सभी ब्राह्मण थे क्योंकि ऋषियों की संतान थे। जैसे-जैसे ब्राह्मणों को अपनी तथा धर्म की रक्षा करने के लिए आवश्यकता हुई तो उन्होंने कुछ रक्षक (छत्रियां) बना […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति- 350 जाति, आयु और भोग

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे … इसी तरह बिना दुःखों को हटाए और बिना परमात्मा को प्राप्त किये आनन्द भी नहीं मिल सकता । न्यायशास्त्र मैं गौतम […]

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