चौथा खम्भा लोकतन्त्र का चौथा खम्भा, कैसे हो? बिकते हो तुम शेष तीन के जैसे ही। उन तीनों ने अपने मोल लगाये हैं, लगा रहे तुम मोल उन्हीं के जैसे ही।। गिरते जाते हो प्रतिपल बाजारों में, जनता की आवाज, न सुनते- लिखते हो। राजभवन के आसपास जड़वत बैठे, गाँधी जी के बंदर जैसे रहते […]
लेखक: अवधेश कुमार अवध
क्या नशा करके मिलता बताओ ज़रा। लाभ दो-चार हमको गिनाओ ज़रा।। वंश परिवार की सारी इज्ज़त गई। बीवी विधवा की जैसी बेइज्ज़त भई। पूर्वजों को मिलीं गालियाँ- फब्तियाँ- माटी में मान अब ना मिलाओ ज़रा।। क्या नशा करके मिलता बताओ ज़रा। लाभ दो-चार हमको गिनाओ ज़रा।। बाप- माई की मुश्किल दवाई हुई। बाल-बच्चों की […]
========== यह एक व्यक्ति मात्र नहीं, एक संस्था मात्र नहीं अपितु एक अक्षय विचारधारा का नाम है। वह विचारधारा जो गुलामी की स्याह कारा में रहकर भी आजादी का लौ जला सकती है। वह विचारधारा को गुरुगोविन्द सिंह की तरह अपने समस्त परिजनों को बलिवेदी के निमित्त न्यौछावर कर सकती है। वह विचारधारा जो उस […]
जनतन्त्र जनतामय होता है। जनता के बीच से जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि जननायक, जननेता, जनसेवक या ऐसे ही बहुतेरे विशेषणों से सुशोभित होता है। ग्राम पंचायत से संसद तक निर्वाचन की प्रक्रिया ही आधारभूत है। संविधान द्वारा निर्धारित मौलिक अर्हताओं को पूरा करके किसी भी एक पद के लिए दर्जनों उम्मीदवार मतदाताओं के […]
मित्रवर षड्यंत्र करके हिन्दी के योग्य शिक्षक- शिक्षिकाओं को निकाल कर अयोग्य को भर्ती करके हिन्दी की जड़ को काटा जा रहा है। जी मित्रवर। आपने सही सुना है। देश के गद्दार विदेशों में भी हमें जीने नहीं दे रहे हैं। बार – बार लिखने पर भी भारत के तथाकथित सेक्युलर अधिकारी कान में रुई […]
शैल शिखर से गिरतीं नदियाँ, वसुधा के आँचल में। उच्छृंखल अनियंत्रित जल को, कूल सहेजे पल में।। हाहाकार मचातीं लहरें, तोड़ रहीं निज कूल। अवध यह समय – नहीं अनुकूल।। माली ने भगवान सरिस ही, नन्हा बीज उगाया। मातु-पिता ज्यों पाल-पोशकर, खिलने योग्य बनाया।। फूलों ने पंखुड़ियों के सँग, छुपा रखा है शूल। अवध यह […]
बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो रूप हमारे सामने आते रहे हैं। जब वह चुनावी सभा में होते हैं तो विरोधी नेताओं की धज्जियां उड़ा देते हैं। इसके विपरीत ऐसे कार्यक्रमों में, जिनका दलीय राजनीति से सीधा संबंध नहीं होता, वे विपक्षी नेताओं की सार्वजनिक प्रशंसा करने में पूरी उदारता का परिचय देते हैं। राज्यसभा […]
अवधेश कुमार ‘अवध’ छब्बीस जनवरी को फिर से मनाया जाएगा गणतन्त्र दिवस। ठीक वैसे ही जैसे पाँच महीने पहले मनाया गया था स्वाधीनता दिवस। ये दोनों हमारे जन्म से बहुत पहले से मनाए जा रहे हैं। शायद आप भी न जन्में हों या नन्हें-मुन्ने रहे हों। सच की दस्तक भी नहीं जन्मा था। यकीनन नहीं […]
परीक्षा नाम ही पर्याप्त है दिल दहलाने के लिए और आवश्यक भी है। चाहे परीक्षा पढ़ाई में उच्च कक्षा में जाने के लिए हो या नौकरी के लिए हो अथवा जनप्रतिनिधि चुनने के लिए। परीक्षा हर क्षेत्र, हर उम्म और हर समय प्रासंगिक है। आज हम बात करते हैं भारतीय गणतन्त्र में निर्वाचन के संदर्भ […]
13 नवम्बर, बाबू वीर कुँवर सिंह की जयंती पर विशेष पावन त्याग और अतुलित बलिदान की यशोभूमि का नाम है भारत वर्ष। शिशु अजय सिंह के बलिदान, साहिबजादा जोरावर सिंह व साहिबजादा फतेह सिंह का प्राणोत्सर्ग, शिशु ध्रुव के तप, शिशु प्रह्लाद की भक्ति, शिशु कृष्ण की बाललीला और वयोवृद्ध फौलादी बाबू वीर कुँवर सिंह […]