राकेश कुमार आर्यजीवन हर सांस के साथ कम होता जा रहा है। पल पल, क्षण-क्षण आयु घटती जा रही है। जीवन पल-पल के साथ बीत रहा है, और हम अपने बहुत से कार्यों को कल-कल करते कल पर टालते चले जा रहे हैं। हम जीवन नदी के प्रवाह के न तो साथ बह रहे हैं […]
Author: अमन आर्य
विकास की राह में रोड़ा है यूपीए:भाजपा
भाजपा मुख्यमंत्री सम्मेलन में पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने यूपीए सरकार पर जमकर प्रहार किये। उन्होंने कहा कि केन्द्र की संप्रग सरकार में नेतृत्व के अभाव और उसके कुशासन का परिणाम देश भुगत रहा है, इससे राज्यों के विकास की गति भी प्रभावित हो रही है। इस सरकार में निर्णय लेने की क्षमता नही […]
आने वाले आम चुनाव किसकी अगुआई में लड़े जाएंगे इस बात को लेकर कांग्रेस में अंर्तद्वंद बरकरार है। राहुल या प्रियंका के प्रश्न पर कांग्रेस बंटी हुई नजर आ रही है। कांग्रेस का एक धड़ा प्रियंका गांधी को तो दूसरा राहुल गांधी को आगे करने की हिमायत करता नजर आ रहा है। यह तय माना […]
आगरा-लालकिला था कभी-बादलगढ़
राकेश कुमार आर्य विगत 10 अगस्त 2012 को आगरा के लालकिले को अपने पूरे परिवार के साथ गहराई से देखने का अवसर मिला। यमुना एक्सप्रेस-वे पर यात्रा का आनंद लेने के लिए आगरा जाने का यह कार्यक्रम ज्येष्ठ भ्राता श्री पूज्य देवेन्द्र आर्य जी ने बनाया, यात्री दल में पूज्य ज्येष्ठ भ्राताश्री विजेन्द्र सिंह आर्य […]
अंधे क्या ढोएंगे इस राष्ट्र को!
अपना राष्ट्र एक भूमि का टुकड़ा ही तो नही है न वाणी का एक अलंकार है और न मस्तिष्क की कल्पना की एक उड़ान मात्र है। वह एक महानतम जीवंत शक्ति है, जिसका निर्माण उन करोड़ों अरबों जनों की शक्तियों को मिलाकर हुआ है। जैसे समस्त देवशक्तियों को एकत्र कर बलराशि संचित की गयी और उसे […]
समाज के समक्ष प्रमुख चुनौती समाज की उन्नति के लिए स्वास्थ्य अनिवार्य है। स्वस्थ समाज में प्रति व्यक्ति आय स्वत: बढ़ जाती है। हमारा देश विकासशील है। देश का बहुत बड़ा हिस्सा गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। स्वास्थ्य के अधिकार के कई अंग हैं जिसमें पोषण, स्वच्छता, जल और पर्यावरण और स्वास्थ्य की […]
भ्रष्टाचार मिटाना हो तो
राजनीति कितनी गंदी है, नेता कितने गंदे हैं।तन के उजले मन के काले, काले इनके धंधे हैं।।इक दूजे पर सारे नेता, उंगली खूब उठाते हैं।खुद को समझें धुला दूध का, और को भ्रष्ट बताते हैं।।बुढिय़ा गुडिय़ा सांप नेवला, सब कुछ भाषण में बकते।कुत्ता कुतिया हाथी गदहा, कहने से भी ना थकते।।गंदी बोली भाषा ही […]
क्या सचमुच असफल रहा अन्ना आन्दोलन
डॉ. राजेश कपूर अन्ना आन्दोलन की सबसे बड़ी विजय जनमत को जगाने की है। 96त्न जनमत का समर्थन एक अभूतपूर्व सफलता है जिसे नकारने के षड्यंत्र मीडिया पूरी ताकत से कर रहा है। देश की सबसे बड़ी त्रासदी है कि जनता सोई हुई है और सबसे बड़ी सफलता है इस सोये जनमत को जगाना। इसमें […]
14 व 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि समय 12 बजे वह घड़ी थी जिसने भारत को युगांतरकारी परिवर्तन की ओर बढ़ा दिया था। पुराने से नये में प्रवेश करा दिया था। यही वो क्षण थे, जिसके लिए हमने सैकड़ों वर्ष तक संघर्ष किया था। आज वह संघर्ष अपने लक्ष्य पर पहुंच गया था। किंतु यह […]
राकेश कुमार आर्यअमरीका के एक प्रसिद्घ नाटककार ने महात्मा बुद्घ पर एक नाटक का फिल्मांकन करना चाहा, जिसके लिए उसने अखबारों में विज्ञापन दिया कि सिद्घार्थ के चरित्र के फिल्मांकन के लिए उसे योग्य व्यक्ति की आवश्यकता है। नाटककार के पास बहुत से नाम आये, जिस व्यक्ति का नाम उस नाटक के लिए चयनित किया गया, […]