कार्यरत महिलाओं को .२२ बोर का लाइसेंस हो स्वीकृत –

दिव्य अग्रवाल

गंभीरता से समझिये सनातन हिन्दू समाज की बच्चियों , महिलाओं के साथ प्रतिदिन मजहब के नाम पर बर्बरताएं की जा रही हैं जिसका मूल कारण है प्रतिकार न होना। अपराधियों को यह पता है की किसी भी महिला या बेटी के साथ भयावह से भयावह दुराचार करने पर भी सजा मिलने में वर्षों लग जाएंगे और यदि अपराधियों का तंत्र मजबूत हुआ तो सजा होना भी संभव नहीं। अब समय आ चुका है की सरकार महिलाओं और बेटियों को सुरक्षा हेतु संवैधानिक शस्त्र रखने की स्वीकृति प्रदान करें जिसके माध्यम से वे केवल अपनी सुरक्षा ही नहीं अपितु किसी अप्रिय घटना का प्रयास करने वाले अपराधी को भी उसी समय सजा दे सकें, अपराधियों के मन में यह भय स्थापित होना चाहिए की यदि उन्होंने किसी बिटिया या महिला के साथ दुराचार करने का प्रयास भी किया तो उसे सजा मिलने में वर्षो नहीं बल्कि एक पल लगेगा ।
.२२ बोर का एक बहुत ही छोटा शस्त्र जिसका वजन भी मात्र .४०० ग्राम है और मार लगभग २० मीटर है भारत सरकार की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने निर्मित किया है। इस शस्त्र को रखने का लाइसेंस शासन द्वारा उन सभी महिलाओं को देना चाहिए जो घर से बाहर काम करने निकलती हैं , जिनकी नियमित रूप से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल होती है,जिनका किसी भी बैंक से सिबिल रिपोर्ट खराब न हो । इससे सरकार के साथ साथ समाज को भी बहुत लाभ होगा, सभ्य समाज की महिलाएं सुरक्षित तो होंगी ही साथ ही साथ उनके बच्चे भी सुरक्षित होंगे । अपराधियों का मनोबल टूटेगा ,अपराध में कमी आएगी और शासन की न्याय व्यवस्था भी राज्य में स्वतः स्थापित होंगी।

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