परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं?

परमात्मा हमारे लिए क्या करते हैं?
सूर्य तथा उसकी किरणें हमारे जीवन से अज्ञानता को दूर रखने के लिए किस प्रकार उपयुक्त है?
परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं?

गृणानो अङ्गिरोभिर्दस्म वि वरुषसा सूर्येण गोभिरन्धः।वि भूम्या अप्रथय इन्द्र सानु दिवो रज उपरमस्तभायः ।।
ऋग्वेद मन्त्र 1.62.5 (कुल मन्त्र 715)

(गृणानः) परमात्मा की महिमा करते हुए (अङ्गिरोभिः) जो परमात्मा के साथ सम्बद्धता का आनन्द लेता है (दस्म) नष्ट करता है (दुर्गुणों को) (वि वः) दूर रखता है (उषसः) प्रातःकाल के साथ (सूर्येण) सूर्य के साथ, गतिविधियों के साथ (गोभिः) किरणों के साथ, उत्तम इन्द्रियों के साथ (अन्धः) अन्धकार (वि – अप्रथय से पूर्व लगाकर) (भूम्या) भूमि का (अप्रथय – वि अप्रथय) विशेष रूप से विस्तृत (इन्द्र) सर्वोच्च नियंत्रक, परमात्मा (सानु) उत्तम स्थान (दिवः) द्युलोक अर्थात् अन्तरिक्ष स्थान में (रजः) अन्तरिक्ष में शरीर(उपरम्) ऊपर (आकाश में) (अस्तभायः) अन्तरिक्ष में धारण।

व्याख्या:-
परमात्मा हमारे लिए क्या करते हैं?

सर्वोच्च नियंत्रक परमात्मा इन्द्रियों के नियंत्रक की सहायता करते हैं जो परमात्मा की प्रशंसा करते हुए परमात्मा के साथ सम्बद्धता का आनन्द लेते हैं और सूर्य तथा अपनी गतिविधियों के साथ, सूर्य की किरणों और अपनी उत्तम इन्द्रियों के साथ अज्ञानता के अन्धकार को दूर करने और नष्ट करने का कार्य करते हैं।परमात्मा धरती के लिए उत्तम स्थान विशेष रूप से विस्तृत करते हैं तथा आकाशीय शरीरों को द्युलोक रूपी आकाश में स्थापित करते हैं।

जीवन में सार्थकता: –
सूर्य तथा उसकी किरणें हमारे जीवन से अज्ञानता को दूर रखने के लिए किस प्रकार उपयुक्त है?
परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं?

हमारी अज्ञानता का नाश करने के लिए परमात्मा ही एक मात्र शक्ति है जो यह कार्य सूर्य और उसकी किरणों के माध्यम से करते हैं। सूर्य गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करता है। प्रातःकालीन वेला में सूर्योदय के बाद श्रेष्ठ श्रद्धालु लोग अपनी गतिविधियाँ प्रारम्भ कर देते हैं। सूर्य की किरणें अन्धकार दूर करती हैं। इसीलिए हमारी उत्तम इन्द्रियाँ को गोभिः कहलाती हैं, क्योंकि वे हमें उत्तम गतिविधियों में लगाये रखती हैं और अज्ञानता को हमारे से दूर करने में सहायता करती हैं। इसी प्रकार परमात्मा सभी आकाशीय शरीरों को अन्तरिक्ष में धारण करते हैं जिससे समस्त जीवों का जीवन सुगम हो सके। बादलों को आकाश में धारण करना जल चक्र का ही एक भाग है जो सभी क्षेत्रों में जल को विस्तृत करके धरती पर समस्त जीवों का जीवन सम्भव करता है।


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