आर्य प्रतिनिधि सभा गौतमबुद्ध नगर के सौजन्य से: आर्य समाज की सकारात्मक शक्तियों के मध्य समन्वय बनाने का संकल्प लेकर आर्य मित्र मंडल की बैठक हुई संपन्न

ग्रेटर नोएडा। ( विशेष संवाददाता ) यहां स्थित आर्य समाज सूरजपुर में आर्य मित्र मंडल पश्चिम उत्तर प्रदेश की बैठक नए संकल्प, नये लक्ष्य और नई ऊर्जा के साथ संपन्न हुई। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए जनपद आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के उप प्रधान मुकेश नागर एडवोकेट ने बताया कि इस बैठक में शाहजहांपुर, बरेली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर ,गौतम बुध नगर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिन्होंने स्वामी दयानंद जी महाराज की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहे कार्यक्रमों के अवसर पर आर्य समाज में नई ऊर्जा उत्पन्न करने के उपायों और नए लक्ष्य के साथ नए संकल्पों पर विचार किया।


आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने इस अवसर कहा कि आर्य समाज का एक गौरवशाली इतिहास है। जिसने भारतवर्ष की स्वाधीनता के आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। आर्य समाज के क्रांतिकारी लोगों ने विदेशी हुकूमत के जुए को भारत के कंधों से उतारने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को आज भी खतरों से जूझना पड़ रहा है। श्री आर्य ने कहा कि इस समय हमको पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पिछले डेढ़ सौ वर्ष के आर्य समाज के इतिहास को लिखने पढ़ने समझने की आवश्यकता है। आर्य समाज के अनेक क्रांतिकारियों के व्यक्तित्व और कृतित्व को जन जागरण के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इसके लिए आर्य समाज के इतिहास लेखन पर कार्य किया जाना अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि आर्य जगत की तीन मास की गतिविधियों के संबंध में एक पत्रिका का भी आरंभ किया जाना चाहिए। जिससे हमें एक दूसरे को समझने और एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने में सुविधा होगी।
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए उगता भारत के अध्यक्ष श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी के लिए कई प्रकार की चुनौतियां सामने आकर खड़ी हो गई हैं। सबसे बड़ा संकट आज के परिवेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परंपरा का बाधित और अवरुद्ध हो जाना है। उन्होंने कहा कि यह दुख का विषय है कि मनुस्मृति को लेकर लोग नई-नई भ्रांतियां फैला रहे हैं और उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है । जिसके लिए आज आर्य समाज को आगे आकर नेतृत्व देना चाहिए अन्यथा हम अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की धरोहर से वंचित हो जाएंगे।
वरिष्ठ समाजसेवी और आर्य समाज के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ जुड़े हुए राकेश कुमार आर्य बागपत ने इस अवसर पर कहा कि आर्य समाज को राष्ट्र जागरण के अपने पवित्र कार्य को फिर से अपनाकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज हमें प्रत्येक प्रकार की संकीर्णता को त्याग कर राष्ट्रोत्थान के लिए कार्य करने में जुट जाना चाहिए। इसी प्रकार अपने विचार व्यक्त करते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर के उप प्रधान मुकेश नागर एडवोकेट ने कहा कि दूसरों में कमी निकालने के स्थान पर हमें अपने गुणों के विस्तार प्रचार और प्रसार पर ध्यान देने की ओर ध्यान देना चाहिए। आर्य वीरदल उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारी आर्य वीरेश भाटी ने कहा कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वैदिक संस्कृति अनेक ऐसी महान परंपराओं से ओतप्रोत है, जिनसे मानव को मानव बनाकर विश्व को सुख और शांति का धाम बनाने की प्रक्रिया को पूर्ण किया सकता है।
देव मुनि जी महाराज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज जब हम वैश्विक स्तर पर स्वामी दयानंद जी महाराज की 200 वीं जयंती के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं तब हमें इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि आर्य समाज अपने पहले स्वरूप को किस प्रकार प्राप्त करे ? इसके लिए आवश्यक है कि हमें समस्त हिंदू समाज के साथ हाथ से हाथ मिलाकर चलने की पहल करनी चाहिए। जबकि स्वामी प्राण देव जी महाराज ने कहा कि सैद्धांतिक पक्षों पर चर्चा और शास्त्रार्थ किया जाये परंतु अपनेपन के भाव के साथ सब कुछ संपन्न होना चाहिए । आज हमें देश के भीतर बैठे उन शत्रुओं को पहचानने की आवश्यकता है जो देश का खाकर देश की जड़ों को ही खोदने का काम कर रहे हैं और सनातन समाज को नए-नए खतरे पैदा कर रहे हैं। इसी प्रकार शाहजहांपुर से प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे विमलेश कुमार आर्य ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि इस समय विधर्मियों के आक्रमण से बचने के लिए हमें एक जुटता का परिचय देना होगा। इसके लिए सभी लोगों को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है।
आर्य प्रतिनिधि सभा बरेली के अध्यक्ष आचार्य ओंकार ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परंपरा भारत के वास्तविक लोकतंत्र की आधारशिला है । जिसमें संपूर्ण वसुधा को आर्य बनाकर अर्थात श्रेष्ठ संसार बनाकर उसे एक परिवार का रूप दिया जाना भारत की सामाजिक और राजनीतिक चेतना का उच्चतम बिंदु रहा है। यही इस राष्ट्र की सामान्य इच्छा रही है, अर्थात एक ऐसी इच्छा जो प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर पालकर चलता है, इसलिए यह देवताओं की संस्कृति कहलाती है। देवताओं की इसी पवित्र सांस्कृतिक परंपरा को आज नए सांचे में प्रस्तुत कर समाज के सामने परोसने की आवश्यकता है। अपने विचार व्यक्त करते हुए आर्य समाज सूरजपुर के प्रधान मूलचंद शर्मा ने कहा कि सामाजिक समरसता की भारत की महान परंपरा के लिए सारा विश्व प्रतीक्षारत है। जिसे केवल भारत ही पूर्ण कर सकता है और इसमें आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
आर्य प्रतिनिधि सभा बागपत के अध्यक्ष श्री राजेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि मानव समाज को संप्रदाय नाम के भेड़िए ने सबसे अधिक ठगा और छला है। उन्होंने संगठन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रदान किये। उन्होंने कहा कि संप्रदाय ने मानव को भेड़िया ही बना दिया है। आज जितने भर भी संप्रदाय संसार में हैं, वे सब मानवता के शत्रु हैं। उनके वास्तविक स्वरूप को प्रकट कर मानवतावाद के प्रचार प्रसार के लिए आर्य समाज को अपनी नई भूमिका को पहचानना चाहिए। भारत का मानवतावाद ही वैश्विक धर्म है।
आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर के उप प्रधान प्रताप सिंह आर्य ने कहा कि संप्रदाय नाम के भेड़िया को मात्र आलोचना से नहीं मारा जा सकता बल्कि इसके लिए भारत के मानवतावादी वैदिक धर्म की सच्चाइयों और अच्छाइयों को विश्व पटल पर लाने की आवश्यकता है। जिसके लिए आर्य, आर्य भाषा और आर्य संस्कृति को मुखर होकर संसार और समाज के लोगों को बताना होगा। उन्होंने पत्रिका के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
गुरुकुल मुर्शदपुर के प्रबंधक विजेंद्र सिंह आर्य ने इस अवसर पर कहा कि भारत ऋषि और कृषि का देश है। ऋषि और कृषि के वैज्ञानिक स्वरूप को स्थापित करने के लिए गौ माता का अस्तित्व बचाए रखना नितांत आवश्यक है । आज हमारे खान-पान , वेशभूषा आचार – विचार ,आहार – विहार आदि को जिस प्रकार बिगाड़ने का वैश्विक षड्यंत्र चल रहा है, उसके दृष्टिगत भारतीयता अनेक प्रकार के संकटों और चुनौतियों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । जिसके लिए नए सुरक्षा उपायों और प्रबंधन पर विचार करने के लिए आर्य समाज को सोचना पड़ेगा।
बैठक का सफल संचालन कर रहे आर्य सागर खारी ने हमें बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि आर्य मित्र मंडल का विस्तार कर ठोस रणनीति के आधार पर कार्य किया जाएगा। जिसके लिए फिलहाल एक समिति गठित की जाएगी । पत्रिका के लिए एक संपादक मंडल का गठन किया जाएगा। कार्यक्रम को गति देने के लिए अगली बैठक बागपत में संपन्न की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि अपनी इन गतिविधियों को पूर्ण करने पर आर्य समाज राष्ट्र निर्माण, संस्कृति रक्षा और धर्म रक्षा के अपने गौरवपूर्ण अतीत की परंपराओं को स्थापित कर पाएगा। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि भारत के सांस्कृतिक उत्थान के लिए आर्य समाज भारत की सच्चाई और अच्छाई को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने के अपने परंपरागत महान कार्य को और भी अधिक ऊंचाई देगा। राष्ट्र के समक्ष खड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए संगठन की एकता को मजबूत किया जाएगा। देश के अन्य संगठनों के साथ राष्ट्रवाद पर कार्य करने की संभावनाओं को तलाशा जाएगा और जो लोग भारत की वैदिक परंपरा में विश्वास रखते हुए काम करने के इच्छुक होंगे , उनके साथ भी समन्वय स्थापित किया जाएगा। सिकंदराबाद से चलकर कार्यक्रम में पहुंचे श्री रमेश आर्य ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि ऋषि मिशन को पूरा करने के लिए सांगठनिक क्षमताओं में वृद्धि कर हमें देश और धर्म के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा।
आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर के उप प्रधान महावीर सिंह आर्य ने बताया कि जो लोग राष्ट्र के बिंदु पर काम करने के लिए आर्य समाज के साथ निस्वार्थ भाव से आने की इच्छा रखते हैं, उन्हें साथ लिया जाएगा और जो लोग सैद्धांतिक पक्ष के साथ जुड़कर आर्य समाज की सैद्धांतिक विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए अपने आप को समर्पित करेंगे, उनको भी साथ लेकर चला जाएगा। स्वामी दयानंद जी महाराज की जयंती और निर्वाण दिवस और स्वामी श्रद्धानंद जी के बलिदान दिवस के साथ-साथ कुछ अन्य दिवस भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाने पर भी बैठक में सहमति बनी। यह भी निर्णय लिया गया कि इन दिवसों पर प्रत्येक आर्य समाज में कोई ना कोई कार्यक्रम होगा। यदि किसी बिंदु पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता अनुभव की जाएगी तो उसके लिए भी सभी मिलकर एक साथ ज्ञापन आदि देंगे।
इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर के कोषाध्यक्ष आर्य दिवाकर नागर, सभा के संरक्षक मंडल के सदस्य रंगीलाल आर्य, आर्य वीर दल के मंत्री रविंद्र आर्य, राकेश कुमार यादव, सत्यपाल सिंह आर्य , प्रदीप कुमार आर्य आदि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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