आतंकवाद का कोई मजहब नहीं पर हिंसा का धर्म हिन्दू

  • दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

वामपंथियों का षड्यंत्र भारतीय संसद में प्रबल हो रहा है । सम्पूर्ण भारत में जितनी आतंकवादी घटनाएं हुई उनको करवाने वाले अधिकतर लोग मुस्लिम समाज से थे परन्तु मुस्लिम तुस्टीकरण के चलते भारतीय संसद आज तक आतंकवाद का मजहब नहीं ढूंढ पाई परन्तु विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत के सम्पूर्ण हिन्दू समाज को हिंसा करने वाला समाज अविलम्ब घोषित कर दिया । यह इस्लाम और वामपंथियों का गठजोड़ ही तो है की जो हिन्दू समाज, कन्याओं में देवी , पशु में देव कृपा , पेड़ो को जीवन और प्रकृति को ईश्वर की शक्ति मानकर पूजता हो उस हिन्दू समाज का नरसंघार इस्लामिक समाज द्वारा पिछले १४०० वर्षो से आज तक किया जा रहा है उस हिन्दू समाज के प्रति संवेदना न दिखाकर भारतीय संसद में उसको हिंसक कह दिया गया । यदि वास्तव में हिन्दू समाज हिंसक होता तो हिन्दू समाज की बेटियों के साथ लव जिहाद न होता , दो दो दीनार में उनकी लड़किया अफगानिस्तान में बेचीं न जाती , उनके साथ कश्मीर , केरल एवं बंगाल में सामूहिक दुराचार न होता । यह तो हिन्दू समाज की अकर्मण्यता कहें या सहनशीला की इतने वर्षो से मजहबी कटटरपंथियों द्वारा प्रताड़ित होने पर भी हिन्दू समाज आपसी सद्भाव और भाईचारे के षड्यंत्र रुपी चक्रव्यूह में अभी भी फॅसा हुआ है । राहुल गांधी जैसे नेता जो चुनावी मौसम में मंदिरो में जा जाकर स्वयं को हिन्दू घोषित करने हेतु लालायित रहते हैं और चुनाव के पश्चात उसी हिन्दू समाज के प्रति विषैले शब्दों का उपयोग करने में कोई कौताही नहीं बरतते ओर ऐसे राजनेताओ को हिन्दू समाज भारी मतों से जीताकर अपना प्रतिनिधित्व करने हेतु भारतीय संसद में भेज देता है । सत्य है की भारतीय राजनीति में इस्लामिक तंत्र और वामपंथी विचारो की पकड़ बहुत मजबूत है जो भारत के हिन्दू समाज के प्रति गहरी एवं विशाल खाई खोदने हेतु निरंतर प्रयासरत है ।

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