राष्ट्र चिंतन* *हिन्दू मैनिफेस्टों ने ब्रिटेन में मचाया धमाल*

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आचार्य विष्णु श्रीहरि

हिन्दू मैनिफेस्टों ने ब्रिटेन की राजनीति और चुनाव को झकझोर कर रख दिया है। ब्रिटेन में केन्द्रीय चुनाव में राजनीतिक दलों को हिन्दू मैनिफेस्टों पर भी ध्यान देने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। आखिर क्यों? इसलिए कि यह सिर्फ मैंनिफेस्टों भर नहीं है बल्कि हिन्दूवादी संगठनों की एकता और शक्ति का प्रदर्शन भी है। बीस लाख हिन्दुओं की ंिचंता को खारिज करना, आक्रोश पर उदासीनता बरतनी आसान नहीं है। हिन्दुओं की प्रभुख मांगे क्या हैं? हिन्दुओं की प्रमुख मांगों में हिन्दुओं पर होने वाले हमलों को हेट स्पीच में शामिल करने, हिन्दू मंदिरों और हिन्दू गौरव प्रतीक चिन्हों की सुरक्षा करने, ईसाईयों, मुस्लिमों और यहूदियों की तरह हिन्दुओं को भी धार्मिक शिक्षा उपलब्ध कराने और कार्यक्षेत्रों में होने वाले अपमान की घटनाएं रोकने, हिन्दुओं पर होने वाले लक्षित हमले रोकने आदि शामिल हैं। खास कर मुस्लिम जिहादियों के हमले से हिन्दू बहुत ज्यादा आक्रोशित हैं। 2022 में मुस्लिम जिहादियों ने ब्रिटेन के लेस्टटर शहर में हिन्दू मंदिरों पर भीषण हमले किये थे, मंदिरों की मूर्तियां तोडी थी, ध्वज पताका फाड दिये गये थे, इसके अलावा हिन्दुओं के घरों को निशना बनाया गया था। 2024 में भी वेबले शहर में मुस्लिम जिहादियों ने मंदिरों पर हमले किये हैं और हिन्दुओं को भगाने, डराने की जिहादी हिंसा को अंजाम दिया गया। सबसे बडी बात यह है कि ब्रिटेन की सरकार ने हिन्दुओं के साथ सरेआम भेदभाव किया है। उसने हिन्दू धर्मस्थलों की सुरक्षा के लिए न तो कोई कडे़ कानून बनाये हैं और न ही उस पर बजट देने का काम किया है। मुस्लिम मजहबी स्थलों की सुरक्षा के लिए प्रतिवर्ष 977 करोड़ का बजट है, यहूदियों के धर्म स्थलों की सुरक्षा के लिए 585 करोड़ का बजट स्वीकृत है। पर हिन्दू धर्मस्थलों के लिए कोई बजट नहीं रखा गया है। बहुलतावादी शासन व्यवस्था में हिन्दुओं के साथ इस प्रकार भेदभाव क्रोधित करने वाला है और चिंता करने वाला है, आलोचना की ही बात है।
हिन्दू मैंनिफेस्टों के जारी होने के साथ ही साथ ब्रिटेन का तथाकथित बहुलतावाद बेपर्द हो गया, ब्रिटेन का लोेकतंत्र भी बेनकाब हो गया है, ब्रिटेन के सभ्य होने का दावा भी खारिज हो गया, ब्रिटेन का धार्मिक स्तर पर भेदभाव भी सामने आ गया। हिन्दू मैंनिफेस्टो के जारी होने के साथ ही साथ दुनिया भी जान गयी कि ब्रिटेन भी धार्मिक रूप से भेदभाव करने वाला देश है और वहां भी कमजोर जनसंख्या रखने वाले धार्मिक समूहों को राज्य सत्ता द्वारा भेदभाव का शिकार होना पडता है, मजबूत जनसंख्या रखने वाले धार्मिक समूहों के अंहकार सिर चढ कर बोलता है, उनकी हिंसा और मनमानी भी सिर चढकर नाचती है। प्रशंसा करनी होगी ब्रिटेन के हिन्दू संगठनों को जो उन्होंने आंकडे जुटाये, प्रमाण जुटाये, डर के आगे जीत है के सिद्धांत पर चलकर ब्रिटेन की सत्ता और राजनीतिक वर्ग को ललकारा है, उन्हें बेपर्द किया है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि भविष्य के लिए संदेश भी दिया है कि हिन्दुओं के उपर भेदभाव की नीतियां जारी रखना, उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक बना कर रखना, उन्हें अपमान का शिकार बनाना, उन्हें हिंसा का शिकार बनाना आदि का दूरगामी प्रभावकारी साबित होगा, ब्रिटेन की बहुलतावाद तो चैपट होना तो निश्चित ही है, इसके अलावा बिटेन की एकता और अखंडता के लिए भी प्रतिकूल परिस्थितियां बनेगी, ब्रिटेन का जिहादीकरण होना तय है, ब्रिटेन ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में लगातार पिछडता चला जायेगा। इसका असर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर भी पडेगा। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पहले से ही कोई अच्छी नहीं है, जिहादी शरणार्थी आक्रमण और बैरोजगारी की मार से पहले ही दग्ध है, शिकार है, कोई भी अर्थव्यवस्था भोग विलास और जिहादी संस्कृति पर राज नहीं करती है, गुडफिल नहीं करती है बल्कि कोई भी अर्थव्यवस्था सर्वश्रेष्ठ कर्म पर राज करती है और गुडफिल करती है।
हिन्दू ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ नागरिक कैसे हैं? कोई कहेगा कि ब्रिटेन में हिन्दू कितने प्रतिशत हैं और ब्रिटेन के मुस्लिम सर्वश्रेष्ठ नागरिक क्यों नहीं है? खुद ईसाई सर्वश्रेष्ठ नागरिक क्यों नहीं हैं? हिन्दू तो मूल रूप से भारतीय हैं, ये तो भारत से लाकर यहां पर बसे हुए हैं। फिर हिन्दू अपने आप को सर्वश्रेष्ठ नागरिक क्यों कहते हैं? सर्वश्रेष्ठ नागरिक की परिभाषा क्या है, उसकी सक्रियता और उसका समर्पण क्या-क्या होता है? सर्वश्रेष्ठ नागरिक की आम परिभाषा यह है कि वह जिस देश का नागरिक है उस देश के संविधान और कानून का पूर्ण रूप से पालन करता है, उसके प्रति समर्पित रहता है, उस पर गर्व करता है, उस देश की राष्टीय एकता व अखंडता को तोडने वाले समूहों से वह दो-दो हाथ करता है, वह अपने पूर्व के मूल देश की जगह अपने वर्तमान देश की गौरवगाथा को लेकर गर्व करता है। इस सिद्धांत की कसौटी पर भारतीय नागरिक तो सर्वश्रेष्ठ तो हैं। यह बात तो ब्रिटेन की राजनीति और ब्रिटेन के सभ्य लोग भी मानते हैं। ब्रिटेन की आबादी धर्म के आधार पर कभी भी हिंसा नहीं करते हैं जबकि ब्रिटेन ही नहीं बल्कि पूरा यूरोप और अमेरिका इस्लाम आधारित हिंसा और जिहाद का हिंसक रूप से शिकार है।
ब्रिटेन के हिन्दू कोई बकरे काटने वाले नहीं हैं, ब्रिटेन के हिन्दू कोई मांस के विक्रेता नहीं हैं, ब्रिटेन के हिन्दू कोई कूली और रेजा का काम करने वाले नहीं है, बिटेन के हिन्दू कोई बारबर नहीं हैं, ब्रिटेन के हिन्दू कोई बोझ भी नहीं है, ब्रिटेन के हिन्दू कोई अवैध शरणार्थी भी नहीं हैं? फिर ब्रिटेन के हिन्दूओं की असली पहचान क्या है, ब्रिटेन के हिन्दू वहां की मुस्लिम आबादी से भिन्न कैेसे हैं? वास्तव में ब्रिटेन के हिन्दुओ की 99 प्रतिशत आबादी सर्वश्रेष्ठता का प्रतिनिधित्व करती हैं। कोई वकालत के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठता को हासिल किये हुए हैं तो कोई चिकित्सा के क्षेत्र में अपना सिक्का जमाये हुए हैं। कोई इंजीनियरिंग के क्षेत्र में धमाल मचा रखा है तो कोई विज्ञान के क्षेत्र में परचम लहरा रहा है। ज्ञान और विज्ञान तथा अध्यात्म के क्षेत्र में हिन्दुओं का प्रतिनिधत्व तो अतुलनीय है। अब तो राजनीति के क्षेत्र में भी हिन्दुओं ने अपने झंडे कर दिये हैं। कभी राजनीति से मुंह मोडने वाला हिन्दू आज ब्रिटेन की राजनीति में आगे-आगे चल रहा है। ऋषि सुनक का नाम कौन नहीं जानता है? ऋषि सुनक आज ब्रिटेन का प्रधानमंत्री हैं। ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री बन कर ब्रिटेन का गौरव बढाया है वह हमेशा ब्र्रिटेन के इतिहास और सभ्यता का समर्थक रहा हैं। ऋषि सुनक हिन्दू हैं और हिन्दुत्व से उनका लगाव भी सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन ऋषि सुनक ने ईसाई या फिर मुस्लिम समुदाय के प्रति कभी भी कोई प्रतिकूल परिस्थितियां नहीं बनायी।
हिन्दू मैनिफेस्टों का कितना असर होगा? ब्रिटेन के चुनावी राजनीति को हिन्दू मैंनिफेस्टों अपनी ओर झुका सकता है? वास्तव में चुनावी राजनीति में बहुमत का ध्यान रखा जाता है, जनसंख्या का ध्यान रखा जाता है। आपकी जनसंख्या कितनी है, उसके अनुसार राजनीति व्यवहार करती है, समर्थन या विरोध करती है। अब यहां विचारण का विषय यह है कि हिन्दुओं की जनसंख्या शक्ति कितनी है? मुस्लिम और ईसाई जनसंख्या की तुलना में हिन्दुओं की जनसंख्या कहीं ठहरती भी है कि नहीं? ऐसे तो हिन्दुत्व ब्रिटेन के चैथा सबसे शक्तिशाली धर्म है। पहले स्थान पर ईसाई है, दूसरे स्थान पर नास्तिक है, तीसरे स्थान पर मुस्लिम हैं और चैथे स्थान पर हिन्दू हैं। अब इनका अनुपात देख लीजिये। ब्रिटेन के राष्टीय जनगणना 2021 के अनुसार ब्रिटेन की कूल आबादी में सबसे अधिक इ्र्रसाई हैं, उनका प्रतिशत 46ः2प्रतिशत है, मुस्लिम 6ः5 प्रतिशत है, हिन्दू 1ः7 प्रतिशत हैं जबकि सिख 0ः;9 प्रतिशत हैं। जबकि नास्तिकों की संख्या 37 प्रतिशत है, नास्तिक किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। हिन्दुओं की संख्या बीस लाख है। बीस लाख की यह आबादी छोटी तो जरूर है पर राजनीति को प्रभावित करने में भूमिका रेखांकित तो कर ही सकती है।
ब्रिटेन ही नहीं बल्कि अमेरिका और यूरोप का दोहरा चरित्र देखिये। भारत में धार्मिक आजादी को लेकर झूठे और अफवाह पूर्ण अभियान पर भी ब्रिटेन, अमेरिका भारत को पाठ पढाता है और झूठ आधारित रिपोर्ट जारी कर भारत को डराता और धमकाता है। पर वे अपने यहां धार्मिक आजादी को लेकर कितने सक्रिय और सजग हैं इसका उदाहरण ब्रिटेन के हिन्दू आबादी हैं। ब्रिटेन के केन्द्र्रीय चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो पर हिन्दुओं के साथ इस प्रकार के भेदभाव और हिंसा पर रोक लगाना ही चाहिए, हिन्दुओं को हिंसक और जिहादी मुस्लिम कट्रपंथियों से रक्षा करना ही होगा, मुस्लिम, यहूदियो की तरह हिन्दू मंदिरों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बजट देना ही होगा। आखिर क्यों? क्योंकि ब्रिटेन के हिन्दू ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ नागरिक हैं, समृद्धि, ज्ञान-विज्ञान के प्रतीक हैं, अर्थव्यवस्था के मेरूदंड भी हैं।

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आचार्य विष्णु श्रीहरि
नई दिल्ली

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