वामपंथ का विषैला इतिहास लेखन-
कुछ साल पहले बिहार गया.
अचानक इच्छा हुई कि समय है तो क्यों ना नालन्दा विश्वविद्यालय के जले हुए अवशेषों को देखा जाए.
पटना में नालन्दा का रास्ता पता किया. पता चला कि नालन्दा जाने के लिए पटना से बख्त्यारपुर की ट्रेन पकडनी पड़ेगी. आश्चर्य हुआ कि जिस बख्त्यार खिलजी ने 2000 बौद्ध भिक्षु अध्यापकों व 10000 विद्यार्थियों को
गाजर मूली की तरह काट दिया. विश्व प्रसिद्ध पुस्तकालय को जला कर राख कर दिया
उसके हत्यारे के नाम पर रेलवे स्टेशन ?
प्रत्येक युग में मनुष्य की आदत रही है कि अपनी मान्यताओं को सही सिद्ध करने के लिए प्रयत्न करता है। यह प्रवृत्ति इतनी प्रबल है कि अपनी मान्यताओं को सही सिद्ध करने के लिए माओत्सेतुंग और स्टालिन ने करोड़ो लोग मरवा दिए।
वामपंथी इतिहासकार कितने झूठे और मिथक फैलाने में माहिर हैं। वामपंथी इतिहासकारों में मुख्य प्रो. डी. एन. झा (द्विजेन्द्र नारायण झा)
डी. एन. झा ने “इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस” के अपने एक अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि नालंदा को हिंदू फैनटिक (कट्टरपंथियों) ने तबाह किया था, यानि नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी” ने नहीं जलाया था, बल्कि दो हिंदू कट्टरपंथियों ने जला कर राख कर दिया और वहां के विद्यार्थियों और बौद्ध भिक्षुकों को भगा दिया!”
डी. एन. झा ने यह दावा अपने किसी रिसर्च के आधार पर नहीं किया था। वे कहते हैं कि तिब्बत की “पग सैम जोन ज़ांग” नामक किताब में बताया गया है कि हिंदू कट्टरपंथियों ने नालंदा को जलाया था। मजेदार बात यह है कि उन्होंने खुद इस तिब्बती किताब को प्रयोग नहीं किया; उन्होंने किसी और वामपंथी इतिहासकार की किताब को प्रयोग करके इस झूठ को सच साबित करने की कोशिश की।
तिब्बत की “पग सैम जोन ज़ांग” किताब 1704-88 के बीच लिखी गई, यानि की नालंदा की तबाही के 500 साल बाद, जिस पर भऱोसा नहीं किया जा सकता।
तिब्बत की पुस्तक “पग सैम जोन ज़ांग” में क्या लिखा है। इस किताब का अनुवाद शरतचंद्र दास ने किया है। अनुवाद के मुताबिक घटना ये है कि दो गैर-बोद्ध भिखारी के उपर एक युवा बौद्ध भिक्षु ने पानी फेंक दिया। इन लोगों में झगड़ा हुआ और उसके बाद ये दोनो भिखारीओ ने 12 साल तक सूर्य भगवान की तपस्या की और दैवीय शक्तियां प्राप्त की, जिसके इस्तेमाल से इन दोनों ने आग की वर्षा की और नालंदा के सभी स्तूपों को जला दिया और वहां की नौ मंजिला लाइब्रेरी को पानी में बहा दिया!! मतलब कि दोनों भिखारियों ने चमत्कार के जरिए नालंदा का विनाश किया, सिद्ध शक्तियों द्वारा आग की बारिश और पानी का बौझार!
सच्चाई-
कुतुब उद दीन ऐबक के समकालीन मिनहाज उद दीन की किताब “तबकत- ई-नसीरी” उस वक्त की सबसे प्रमाणिक किताब है। उसमें साफ साफ लिखा है कि इख्तियार-उद-दीन मुहम्मद-बिन-बख्तियार खिलजी ने नालंदा पर हमला किया। हर भवन को तबाह किया और आग लगा दी।
आज भी हम झूठ को ढो रहे हैं।