भारत की 18 लोकसभाओं के चुनाव : 18वीं लोकसभा (2024 – 2029)
प्रधानमंत्री श्री मोदी अपने दो कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं। 10 वर्ष के अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जो कुछ किया है उसे स्वयं प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी ने देश के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि के रूप में जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया। उन्होंने देश के मतदाताओं को यह बताया कि देश को प्रत्येक क्षेत्र में स्वाभिमान से भरने में उन्होंने किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी है। देश उनके नेतृत्व में सुख, शांति और समृद्धि को प्राप्त हो रहा है। किसी भी सक्षम और सफल नेतृत्व की यह पहली योग्यता होती है कि वह देश को सुख ,समृद्धि और शांति के रास्ते पर आगे बढ़ाए।
मोदी शासन की उपलब्धियां
प्रधानमंत्री श्री मोदी के 10 वर्ष के कार्यकाल पर विचार करते हुए यदि भारत के सकल घरेलू उत्पाद की बात की जाए तो 2014 से पहले कांग्रेसी शासन काल में जितना सकल घरेलू उत्पाद था, उसका लगभग दोगुणा हो गया है। इस समय भारत का सकल घरेलू उत्पाद – $3.8 ट्रिलियन है। 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उससे पहले भारत की विश्व आर्थिक रैंक 10वीं थी। अब भारत की विश्व आर्थिक रैंक 5 वीं है। आर्थिक क्षेत्र में ही विश्लेषण करने पर पता चलता है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय इस समय – ₹115000 है, जो कि अब से 10 वर्ष पहले की अपेक्षा दोगुणी है। भारत की इस प्रकार की प्रगति को देखकर अनेक देशों को मिर्ची लगती रहती है।
विकास के नए कीर्तिमान
भारत का निर्यात इस समय $750 बिलियन है। जिसमें 400% की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में मेट्रो शहरों में भी 400% की वृद्धि हुई है। ग्राम शक्ति भी 40% से 95% हो गई है। 10 वर्ष पूर्व भारतवर्ष में एक्सप्रेसवे की लंबाई 98000 किलोमीटर के लगभग थी। प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में नेशनल हाईवे की लंबाई बढ़कर लगभग डेढ़ लाख किलोमीटर हो गई है। आप अनुमान लगाइए कि 65 वर्ष में हम 98000 किलोमीटर चले और 10 वर्ष में हम 50000 किलोमीटर से अधिक चल गये। इसी प्रकार राष्ट्रीय राजमार्गों में भी दोगुनी वृद्धि हो गई है। रेलवे की लंबाई 55198 किलोमीटर बधाई जाकर पहले की अपेक्षा लगभग दोगुनी कर दी गई है।
सड़क गुणवत्ता सूचकांक – 88 से 42 पर आ गया है।
इसी प्रकार दूसरे क्षेत्रों में देखने पर पता चलता है कि नवीकरणीय ऊर्जा – 95.7 मेगावॉट – 400% की वृद्धि की गई है।1GB डेटा की कीमत – ₹200 से ₹15,इंटरनेट कॉन – 771.3 मिलियन – 1200% की वृद्धि, डिजिटल लेनदेन- 4% से 76.1%,आईआईटी – 16 से 23, आईआईएम – 13 से 25
खादी की बिक्री – 6.69 लाख करोड़ – तीन गुना, मेट्रो – 860 किलोमीटर – 400% की वृद्धि, विदेशी मुद्रा भंडार – $594 बिलियन – दोगुणा, रेलवे विद्युतीकरण – 37K आरकेएम – 700% की वृद्धि, एमबीबीएस सीटें – 100163 – दोगुणी
पीजी सीटें – 65335 – तीन गुणा, एम्स – 7 से 23, मेडिकल कॉलेज – 660 – दोगुणा, हवाई अड्डे – 148 – दोगुने, एफडीआई प्रवाह – $596 बिलियन – दोगुणा, बैंक खाते – 35% से 98%, हाई स्पीड रेल – 0से 9,नई रेल लॉन्च का समय – 2 महीने – 800% सुधार, स्वच्छता – 39% से 85%, ग्रामीण सड़कों का निर्माण – 130 किमी/दिन – दोगुणा, विश्वविद्यालय – 723 से 1100, मोबाइल विनिर्माण – 5 करोड़ से 31 करोड़ – भारत अब विश्व नेता, गैस कनेक्शन – 55% से 90%, कॉमन सर्विस सेंटर – 300000 – 400% की वृद्धि, ऑप्टिकल फाइबर – 0.2% से 50%, आईटी रिटर्न – 7 करोड़ – दोगुना, बिजनेस करने में आसानी रैंक – 142 से 70, इनोवेशन इंडेक्स – 72 से 57, ई-गवर्नमेंट इंडेक्स – 118 से 96, पर्यटन सूचकांक – 65 से 40,
जलवायु परिवर्तन सूचकांक – 30 में से 14, ई-भागीदारी सूचकांक – 40 में से 15, रक्षा निर्यात – 1K करोड़ से 16K करोड़ ओआरओपी लागू किया, सीमा अवसंरचना- 2000% की वृद्धि, राफेल फाइटर जेट – 36,अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर – 22,चिनूक अटैक चॉपर – 15, एस – 400 वायु रक्षा प्रणाली – 5 वर्ग, इन्फ्रा खर्च – ₹33.3 लाख करोड़ – 33 गुना वृद्धि,. सृजित संपत्ति – ₹ 187 लाख करोड़ – 14 गुना वृद्धि, बैंक एनपीए – इसे 11% से घटाकर 1% किया गया, आयुष्मान भारत – 30 करोड़ की दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल योजना, मोबाइल विनिर्माण संयंत्र – 200 – गुना वृद्धि, तीन तलाक पर रोक, जीएसटी लागू करना , ग्रामोद्योग बिक्री – 128000 करोड़ – 4 गुणा वृद्धि ,सेमी हाई स्पीड ट्रेनें वंदे भारत – 0 से 50, इसरो बजट – 12600 करोड़ – दोगुणा, बाघों की संख्या – 2236 से 2976,गरीबों और जनता के लिए 12 करोड़ शौचालय बनाए, बीपीएल के लिए 3.5 करोड़ पक्के मकान बनाए, स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 74.30 गीगावॉट, 30 गुना वृद्धि, स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता – 42633 मेगावाट – दोगुनी, कश्मीर से धारा 370 हटाकर उसका भारत में पूर्ण विलय, पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को समाप्त करने के लिए CAA लागू करना, जीएसटी लागू करना, भव्य राम मंदिर का निर्माण,नकदी प्रचलन को समाप्त करने के लिए विमुद्रीकरण,अटल सेतु-भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल,सुदर्शन सेतु-भारत का सबसे लंबा केबल ब्रिज,चिनाब ब्रिज-दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, अटल सुरंग-विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग इत्यादि।
मोदी की अप्रतिम देश सेवा
इन सारे आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दिन रात एक करके अपनी पूरी टीम के साथ मिलकर देश की अप्रतिम सेवा की है। देश के प्रति समर्पण और समर्पण के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं, यह मोदी की पहचान है। उन्होंने चुन - चुनकर उन समस्याओं से चुनौती स्वीकार की है जो दशकों से देश के लिए दंश करने का काम कर रही थीं। माना जा सकता है कि इन सारी उपलब्धियों में भारत के अनेक विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, अधिकारियों और समाजसेवी लोगों का सहयोग है, पर यह सब तो 2014 से पहले भी थे, आज अचानक उनके भीतर ऊर्जा का संचार यदि हुआ है तो उसका कारण केवल एक है कि इस समय ऊर्जावन्त नेतृत्व देश के पास है।
ऊर्जाहीन नेता और देश
जब देश केवल सत्ता सुख भोगने वाले लोगों के हाथों में होता है तो उसकी विकास की गति प्रभावित होती है। भ्रष्टाचारियों के हाथों में होने से देश में अराजकता फैलती है। लूटमार, हत्या, डकैती और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि होती है। जब दुर्बल नेता राजसिंहासन को बोझ मारते हैं तो देश अपयश को प्राप्त होता है। ऊर्जाहीन नेता देश की आभा और अस्मिता के लिए कलंक साबित होते हैं। तेजहीन और अयोग्य नेता राष्ट्र के पौरुष के लिए अभिशाप बन जाते हैं। क्योंकि ऐसे लोग केवल जेब भरने के लिए काम करते हैं।
देश जिस संक्रमण काल से निकलकर राजनीतिक स्थिरता के दौर में आया था उसे फिर राजनीतिक रूप से अस्थिर करने के लिए विपक्ष ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को नगण्य करके प्रस्तुत किया। लोगों के सामने बेरोजगारी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। कई स्थानों पर लोगों ने विपक्ष की बात पर विश्वास किया और अपना भरपूर समर्थन विपक्ष के नेताओं को देने का मन बनाया। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने भाजपा के विरोध में रैलियों का आयोजन किया । कांग्रेस और सपा ने हाथ मिलाकर भाजपा की जड़ खोदने के लिए संकल्प लिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली और आतंकवादी किस्म के लोगों के विरुद्ध बरती जाने वाली कड़ाई को दूसरे ढंग से प्रस्तुत किया। जिससे एक विशेष वर्ग का समर्थन समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के साथ जाकर जुड़ा। चुपचाप हो रहे इस भारी परिवर्तन को भाजपा का कोई भी रणनीतिकार समझ नहीं पाया। अटल बिहारी वाजपेयी के समय में इस पार्टी को ” फील गुड ” की बीमारी हुई थी। वही बीमारी फिर लौट कर आई और ” फील गुड ” के अहंकार में अधिकांश नेता भांग पीकर सो गए।” इंडिया शाइनिंग ” की चमक इन्हें फिर मार गई।
अखिलेश यादव ने सोची समझी रणनीति के अंतर्गत टिकटों का बंटवारा किया। उन्होंने बड़े ध्यान से सोशल ” इंजीनियरिंग ” पर ध्यान दिया। जबकि भाजपा ने अधिकांश अपने पुराने चेहरों को ही मैदान में उतार दिया। यह वही घिसे पिटे चेहरे थे जो जनता के साथ जुड़ नहीं पाए थे। उन्हें इस बात का अहंकार था कि उनके ऊपर मोदी बैठे हैं और उनके नाम पर उन्हें फिर जन समर्थन मिल जाएगा । उन्होंने स्वयं लोगों से जाकर न तो समर्थन मांगा और न ही सरकार की उपलब्धियां को बताने का कष्ट उठाया। इतना ही नहीं, बीजेपी का कार्यकर्ता भी घर में बैठकर सब कुछ देखता रहा। इसका कारण यह था कि पार्टी के सांसदों ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ भी समन्वय नहीं बनाया था। इसके उपरांत भी यह नहीं कहा जा सकता कि इस चुनाव में मोदी जी की लोकप्रियता कम हो गई थी। एनडीए के नाम पर लोगों ने उन्हें समर्थन दिया और उनकी सभी सभाओं को सफल बनाया।
अपनी सब उपलब्धियों में निरंतरता बनाए रखने के लिए देश के मतदाताओं को जागरूक होकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करने के प्रति प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्वयं और उनकी पार्टी के कई नेताओं ने जमकर चुनाव प्रचार किया । प्रधानमंत्री श्री मोदी के पिछले 10 वर्ष के शासनकाल की उपलब्धियों ने मतदाताओं को बहुत गहराई से प्रभावित भी किया। यही कारण है कि उनकी प्रत्येक चुनावी सभा सफल हुई। श्री मोदी की कार्यशैली, देशभक्ति, ईमानदारी और अपने परिवार के लिए कुछ भी न करने की उनकी प्रवृत्ति ने उन्हें निरंतर 10 वर्ष प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान किया तो देश के लोगों ने भी उन्हें भरपूर प्यार और सम्मान देते हुए निरंतर तीसरी बार सत्ता सौंपने का मन बना लिया। यद्यपि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के साथ-साथ हरियाणा ने उनके साथ छोड़ दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि जब 4 जून 2024 को चुनाव परिणाम घोषित हुए तो भाजपा अपने बल पर लोकसभा में स्पष्ट बहुमत लेने से वंचित रह गई।
मोदी की वापसी क्यों आवश्यक है ?
18वीं लोकसभा के चुनाव के समय यह प्रश्न बहुत ही गंभीरता के साथ लोगों के बीच उठा कि मोदी जी का निरंतर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना और सत्ता में उनकी पुनर्वापसी क्यों आवश्यक है ? देशहित में इस प्रश्न पर गंभीरता से चिंतन हुआ। देश के मतदाताओं की दृष्टि में जितने भर भी राजनीतिक नौटंकीबाज देश में इस समय काम कर रहे हैं , उन सबकी ओर ध्यान न देकर जनता जनार्दन को और विशेष रूप से जनता के बीच रहने वाले वास्तविक बुद्धिजीवियों को, राष्ट्रभक्तों को, राष्ट्रहितैषियों को और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले लोगों ने इस बात पर चिंतन किया। जो लोग अधिक चिंतनशील नहीं होते ,उन्हें इस बात का सच समझाने का प्रयास किया कि मोदी जी का सत्ता में तीसरी बार लौटना राष्ट्र के लिए क्यों आवश्यक है ? यह सच है कि 18 वीं लोकसभा के चुनाव के समय भाजपा ने अनेक प्रत्याशी लोगों की भावनाओं का ध्यान न रखकर भी चुनाव मैदान में उतारे, जिसके परिणाम स्वरुप भाजपा के कार्यकर्ताओं ने अपने ही प्रत्याशियों का कहीं-कहीं खुलेआम तो कहीं मौन रहकर विरोध किया, परंतु जनता ने इसके उपरांत भी मोदी जी के कहने पर भाजपा प्रत्याशियों को अपना समर्थन दिया। सबसे बड़ी कमी यह रही कि मोदी जी के अथक प्रयासों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थन कहीं दूर तक भी जुड़ा हुआ दिखाई नहीं दिया । 2014 के चुनाव के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को जगाया था। मतदान वाले दिन लोगों को घर से निकालने का काम भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने किया था। मतदान के लिए पर्ची भिजवाने का काम भी उस समय भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने बड़े चाव से संपन्न किया था, परंतु इस बार ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।
क्रमशः
डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत