आबादी वाले क्षेत्र में खुले लिटिल फ्लावर स्कूल की बसों से शहर में जाम ही जाम
बस्ती। यद्यपि ताबड़तोड़ विकास कार्यों से गुरु वशिष्ठ की बस्ती नगरी भी परिवर्तित हो रहा है। मगर, शहर में जाम की समस्या बरकरार है। अनियोजित विकास चौतरफा हो रहा है। अनेक लोग शिक्षा और विद्यालय को मिशन के बजाय धन उगाहने का साधन बना लिए हैं। वे इसे एक फलता फूलता व्यवसाय का हथकंडा बना लिये हैं। जहां उन्हें जगह खाली मिली , वहीं विद्यालय भवन बनाते जा रहे हैं। इससे भीड़ और जाम पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। इसकी मुख्य वजह सड़क पर अतिक्रमण तो है ही, साथ ही, व्यस्त इलाकों में जगह जगह खुले स्कूल भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। गांवों से बच्चों को भरकर लिटिल फ्लावर स्कूल की बसें जब एक साथ आनंद नगर सुरेंद्र नगर कटरा बस्ती कचहरी रोड या मुडघाट रोड जैसे आबादी वाले क्षेत्र में घुसती हैं तो हर तरफ जाम ही जाम दिखाई देता है। सुबह और फिर दोपहर में इस इलाके के रहने वाले नागरिकों को घंटों जाम में बर्बाद हो जाता है ।
आनंद नगर सुरेंद्र नगर कटरा जो पुलिस कप्तान के दफ्तर से महज 100 मीटर दूर है। कलेक्ट्री और दीवानी कचहरी से भी लगभग इतनी ही दूर है बहुत खराब स्थिति में है। इसमें सरकारी अफसरों के बच्चे भी पढ़ने आते हैं। सरकारी गाड़िया भी इस जाम में फसी देखी जा सकती है। ये साहबान भी कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं लेते हैं। इनके बच्चे इनके सरकारी गाड़ी और सरकारी ड्राइवर द्वारा पहुंच ही जाते हैं। स्कूल खुलने और छुट्टी के समय शहर में लग रहा भीषण जाम, राह चलना मुश्किल हो जाता है। न तो स्कूल वाले ना पुलिस वाले और ना ही कोई संस्था ही इस पहलू पर ध्यान दे रही है। विद्यालय की मान्यता देते वक्त मानक पर ध्यान नहीं दिया जाता है। बच्चो के प्ले ग्राउंड तक नहीं होते। सड़के सही नहीं, नालियां ठीक नही। आग लग जाए तो एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड तक स्कूल तक नही पहुंच सकता है। संरक्षक अपने अपने दो या चार पहिया वाहन से और ज्यादा भीड़ बढ़ा देते हैं।
बच्चों की छुट्टियों के समय परेशानी न होने पाए, इसके लिए अतिरिक्त यातायात पुलिस वालों की ड्यूटी लगाई जाती है। अगर, शहर के बाहर कक्षा पांचवीं से ऊपर के छात्रों का स्कूल खुल जाएं तो शहर में जाम से राहत मिलेगी और उन लोगों को भी सहूलियत हो जाएगी, जिनके मरीज की तबीयत खराब होने पर जाम में फंस के परेशान होना पड़ता है।
जब छुट्टियां होती हैं तो स्कूल के बच्चे तो जाम में फंसते ही हैं, शहर के लोग भी मुश्किलों का सामना करते हैं। अगर कक्षा पांच से ऊपर के बच्चों के लिए शहरी सीमा से बाहर स्कूल खुल जाएं तो बहुत हद तक जाम से राहत मिल सकता है। बड़े शैक्षणिक संस्थानों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की पहल होनी चाहिए। इन स्कूलों के प्राइमरी स्तर की पढ़ाई शहर में हो और उससे ऊपर की कक्षाओं का संचालन शहर के बाहर होना चाहिए। साथ ही शहर में सुरक्षा के मानकों की कड़ाई से पालन कराया जाना चाहिए।