भारत के राष्ट्रपति और उनका कार्यकाल ,भाग – 6 नीलम संजीवा रेड्डी (Nilam Sanjeeva Reddy)
भारत के राष्ट्रपति के चुनाव को रोमांचक बनाने वाले भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी थे। 1969 में वो वी.वी गिरि से बहुत कम अंतर से हारे थे। तब उस चुनाव ने बड़ा रोमांच पैदा किया था। अब 1977 का काल था। इंदिरा गांधी चुनाव हार गयीं थीं। जबकि फखरूद्दीन अली अहमद स्वर्ग सिधार गये। इसलिए सारा हिसाब किताब पाक साफ करने के लिए मोराजी देसाई ने नीलम संजीवा रेड्डी को पुन: राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया। कुल 21 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। लेकिन सभी के नामांकन किसी न किसी कारण से निरस्त हो गये। नाम वापसी की अंतिम तिथि 21 जुलाई थी। इसलिए 21 जुलाई की शाम 5.30 बजे उन्हें भारत का अगला राष्ट्रपति घोषित किया गया। 25 जुलाई 1977 को उन्हें प्रात: 10 बजे संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गयी। शपथ मुख्य न्यायाधीश एम.एच. बेग ने दिलाई थी। उस समय उनकी आयु 64 वर्ष की थी। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी दोनों में शपथ ग्रहण की थी।
11 फरवरी 1977 तक भारत के उपराष्ट्रपति बी.डी. जती ने राष्ट्रपति के दायित्वों का निर्वाह किया था। क्योंकि फखरूद्दीन अली अहमद के असामयिक निधन से पद रिक्त हो गया था। बी.डी. जत्ती प्रभारी राष्ट्रपति थे, पूर्ण राष्ट्रपति नहीं। इसलिए उन्हें राष्ट्रपतियों की नामावली में सम्मिलित नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार जाकिर हुसैन की मृत्यु के पश्चात उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन गये थे तो उस समय मुख्य न्यायाधीश मौहम्मद हिदायतुल्ला ने 35 दिन तक इस पद के दायित्वों का निर्वाह किया। लेकिन यह भी प्रभारी राष्ट्रपति ही कहलाये गये हैं। नीलम संजीवा रेड्डी 26 मार्च 1977 को सर्वसम्मति से लोकसभाध्यक्ष चुने गये। 13 जुलाई 1977 तक वह इस पद पर रहे। इन्हें अपने पांच वर्ष के राष्ट्रपति के कार्यकाल में मोरारजी देसाई, चरण सिंह और इंदिरा गांधी जैसे तीन प्रधानमंत्रियों से संपर्क साधना पड़ा था। चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाना इनको विवादास्पद बना गया था।
डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत