अपराधी को कितनी बार क्षमा कर सकते हैं?
देश में भारतीय मूल के कई धर्म प्रचलित हैं ,इनमे हिन्दू ,जैन ,बौद्ध और सिख धर्म मुख्य हैं .इनके अनुयायी अपने अपने धर्म पर गाढ श्रद्धा रखते हैं ,और अपने धर्म को मानते हैं.वैसे तो सभी अपने धर्म को मानते हैं ,परन्तु अधिकाँश अपने धर्म को ठीक से नहीं जानते .यही एक विडम्बना है.धर्म के बारे में विद्वानों ने कहा है कि “धर्मस्य त्वरितो गतिः “अर्थात धर्म की गति बड़ी तेज है.धर्म एक बहती हुई निर्मल जल की सरिता की तरह है.समाज को धर्म के साथ और धर्म को समाज के साथ चला चाहिए .नहीं तो धर्म के प्रवाह में गतिरोध हो जाएगा और कट्टरता आजायेगी .
भारत के सभी धर्मों में अहिंसा ,क्षमा,दया आदि अनेकों सद्गुणों को धर्म का अंग माना गया है.ल्र्किन लोग इन्हीं गुणों को हमारी कमजोरी समझकर हमें भीरु और निर्बल मानते है.हमारे जैन बंधुओं ने अहिंसा और क्षमा को पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया है ,यह जैन धर्म की विशेषता है.
भगवान महावीर का जन्म 599 ई पू हुआ था ,उनंके जन्म का नाम वर्धमान था .जैन ग्रंथों में उनका नाम महावीर होने के पीछे एक कथा है .जब वर्धमान लगभग 8 साल के थे तो वे अपने बाल मित्रो के साथ एक “तिन्दूसक “नामका खेल खेल रहे थे.इस खेल में बच्चे किसी भी वृक्ष को लक्ष्य करके उसकी तरफ दौड़ते थे ,जो बच्चा सबसे पहले उस पेड़ को पकड़ लेता था वही जीत जाता था .जब सारे बच्चे लौट रहे थे तो अचानक एक मायावी ने भयानक रूप धारण करके बच्चों को भयभीत करना प्रारंभ कर दिया .और वे डर से कांपने लगे .
उस समय बालक सिद्धार्थ ने उस दुष्ट के सर पर इतनी जोर से मुष्टिका प्रहार किया कि वह दुष्ट मायावी भूमि में धंस गया.
वर्धमान की यह वीरता देख कर इंद्र प्रसन्न हो गया .और बोला कि आज से आपका नाम “महावीर “होगा
अहिंसा वीरता का लक्षण है.-आवश्यक चूर्णी -भाग 1 पत्र 246
बाद में जब महावीर जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर बने तो उनके पहले 11 शिष्यों को गणधर कहा जाताहै प्रथम गणधर “गौतम “थे
भगवान महावीर ने अपने उपदेश में गौतम गणधर से इस तरह कहा –
“गोयमा ! उच्चं पासई उच्चं पणामम करेई नीयम पासेई नीयम पणामम करेई ,जं जहा पासति तस्स तहा पणामम करेई ”
हे गौतम उत्तम व्यक्तीं के साथ उत्तम व्यवहार करो और नीच लोगों के साथ उसी तारक का व्यवहार करो -भगवती सूत्र शतक 9 उद्देसा 6 सूत्र 383
क्षमा करना धर्म का लक्षण है परन्तु किसी दुष्ट को कितनी बार क्षमा करे यह समय के अनुसार निर्धारित होता रहा है ,जैसे जसी लोगों की सहनशीलता कम ,और दुष्ट बढ़तेगए क्षमा करने की संख्या कम होती गयी
1 -द्वापर युग में 100 अपराध माफ़ थे
महाभारत के अनुसार कृष्ण ने शिशुपाल की माँ को वचन दिया था कि मैं सिसुपाल के सौ अपराध माफ़ कर दूंगा .लेकिन जब शिसुपाल लगातार अपराध करता रहा और जैसे ही उसने सौ के बाद फिर अपराध किया ,कृष्ण ने उसका वध कर दिया
महाभारत -आदिपर्व अध्याय 100 श्लोक 20
2 -ईसा मसीह के समय 49 अपराध माफ़ थे
“पतरस ने पूछा कि हे प्रभु यदि कोई मेरा अपराध करता है तो मैं उसी कितनी बार माफ़ कर दूँ .क्या सात बार ?यीशु ने कहा नहीं .बल्कि सैट बार के सात गुने तक “बाइबिल नया नियम -मत्ती 18 21 और 22
3 -हज़रत अली के समय केवल 2 अपराध माफ़ थे
यही सवाल हज़रत अली से किसी ने पूछा कि या मौला हम अपने अपाधी को कितनी बार माफ़ कर सकते है .तो उन्हों ने कहा –
“सालिसुं हीलास्सैफ”यानी तीसरी बार तलवार से काम लो
.नजहुल बलाग पेज 83 खुतबात
4 -गुरु गोविन्द सिंह जी के समय एक भी अपराध माफ़ नहीं
सिख इतिहास सब जानते हैं .गुरु गोविन्द जी ने धर्म के लिए अपने पिता और चार बच्चों के सहित कई महान वीरों को बलदान कर दिया था. वे जीवन भर अत्याचार और अन्याय से लड़ते रहे .आज हम उन्ही की बदौलत जीवित हैं .वरना देश में हिन्दू मिट गए होते .
गुरुजी ने सब उपाय कर लिए और देखा कि अत्याचारी अपना जुल्म कम नही कर रहे है .तो उन्हों ने अपने “जफरनामा “में यह लिखा.
“चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त ,हलालास्त बुर्दन बशमशीर दस्त ”
अर्थात हमने हर तरह से नरमी की नीति अपना कर देख ली .अब तलवार उठाना ही एक मात्र उपाय है .जफ़र नामा छंद 46
गुरुजी ने यह भी कहा कि
“चुन शेरे जिया ज़िंदा मानद हमे,जि इन्ताकामे सीतानद हमे .
यानी जब तक यह शेर वीर ज़िंदा रहेंगे ,हमेशा बदला लेते रहेंगे
इसी को पजाबी कवी ईसर सिंह इसर ने इस तरह लिखा है
“नहला उथ्थे दहला मार बदला चुका देंदे ,रखदा न किसीदा उधार तेरा खालसा .
सारा बकरा खा जांदा एक पलापल विच ,मारदा न एक भी डकार तेरा खालसा .
आज समय है कि गुरु गोविन्द सिंह जी की नीति का पालन किया जाये .तभी देश का कल्याण हो सकेगा
अंत में मेरा सभी मित्रों से निवेदन है कि वे यथा सम्बभ्व अभद्र भाषा का प्रयोग न करें .और न बेनामी कमेन्ट करें .
जब मैं सटीक उत्तर दे सकता हूँ तो आप बेकार ऎसी भाषा क्यों प्रयोग करें .आप खुद देख लेंगे कि ऐसे सब फर्जी लोगों का कैसे मुंह बंद किया जाता है .आप संयम रखें और धीरज के साथ अगली पोस्टें देखते रहिये
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बृजनंदन शर्मा
( लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखन के निजी विचार हैं)