कुछ कहता है, ऋषि सुनक का भारत और हिंदुत्व प्रेम।*

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स्वाधीनता के पश्चात भारत में ऐसा वातावरण बनाया गया कि एक हिंदू बहुल देश में होने के बावजूद भी हम खुद को हिंदू कहने में संकोच करते रहे। ऐसा लगता था कि यदि हम खुद को हिंदू कहेंगे या अपने धार्मिक आयोजन, पूजा – पाठ की बात करेंगे तो हम पिछड़े हुए और सांप्रदायिक कहलाएँगे। हम इतने डरे हुए रहते थे कि स्वयं को सेक्युलर दिखाने की कोशिश करते रहते थे।

इस संबंध में हमें ब्रिटेन के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से कुछ सीखना चाहिए। एक ईसाई-बहुल देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद वे हमेशा बड़े ही गर्व के साथ स्वयं को हिंदू बताते हैं और अपने धार्मिक अनुष्ठानों आदि को भी कभी छिपकर नहीं करते। कुछ समय पूर्व उन्होंने ओणम की दावत अपने अधिकारियों को बिल्कुल भारतीय पद्धति से केले के पत्ते पर दी थी।

हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और सर्वाधिक विज्ञान के साथ चलने वाला धर्म है। यही वह धर्म है जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान-विज्ञान अपने साथ लेकर आगे बढ़ा है जो नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय को लेकर चला है।और वसुधैव कुटंबकम की बात करने वाला धर्म, विश्व की सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक संपदा है। जहां इस्लाम में जो 1400 वर्ष पूर्व लिखा गया वहीं अंतिम सत्य मानना पड़ेता है, भले ही दिमाग से सहमत न हों। लेकिन उसमें किसी प्रकार का नाम के लिए भी परिवर्तन शंका, आशंका प्रकट करने तक का अधिकार नहीं है। जबकि हमारे यहां विविध धाराएं हैं और सहमति और परिवर्तन की गुंजाइश हमेशा रही है। भक्ति काल में जहां सगुण भक्ति धारा है, वहीं निर्गुण भक्ति धारा भी है। दोनों का ही समान सम्मान है। राजघराने की बहू सगुण भक्ति के संत कवि मीराबाई निर्गुण भक्ति के संत रविदास को अपना गुरु मानती हैं, निर्गुण संत परंपरा के गुरु नानक देव के परंपरा की गुरु गोविंद सिंह ‘राम अवतार’ और ‘शिव अवतार’ जैसे ग्रंथों की रचना करते हैं। यही हिंदू धर्म की अनेकता में एकता है। इसीमें मूर्ति पूजा करने सनातन धर्मी है तो वही आर्य समाज भी हैं। दोनों ही हवन करते हैं। हिंदू सिख जैन बौद्ध आर्य समाज आदि परिवारों में आपस में वैवाहिक संबंध भी होते हैं। सभी एक दूसरे के पूजा स्थलों में श्रद्धा भाव से जाते हैं। ज्यादातर हिंदू इन सभी धाराओं का पूरी तरह सम्मान करते हैं, यह हिंदू धर्म में ही संभव है। हमारे पास कोई ऐसा कारण नहीं कि हम गर्व के साथ स्वयं को हिंदू न कह सकें। आज जबकि कुछ नेताओं द्वारा संयोजित ढंग से हिंदू धर्म पर हमले किए जा रहे हैं हमें एकजुट होकर धर्म रक्षा के लिए खड़े होना भी जरूरी है।

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