अध्याय … 77 नहीं है कोई देश दूसरा…..
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दूर नहीं वह पास है, क्यों खोजे नादान ?
तेरा मालिक घट बसे, तू नाहक है परेशान।।7
तू नाहक है परेशान , देख उसे अंतर्मन में।
वह निकट से निकट , बसा हुआ है मन में।।
निकट का आभास , मिले भक्ति में भरपूर।
ज्ञानी पिता सर्वज्ञ को, कहते- दूर से भी दूर।
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भारत मेरे देश का, फिर से हो उत्थान।
विश्व गुरु भारत बने, सबका हो कल्याण।।
सबका हो कल्याण, वेद के गीत सुनें सब।
भारत बने महान, कामना यही करें सब।।
किया गया पुरुषार्थ कभी न जाए अकारथ।
करें सभी पुरुषार्थ, जमेगा फिर से भारत।।
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देश – देव दोहु एक हैं, कह गए संत फकीर।
दोनों की पूजा करो, कही बात गंभीर।।
कही बात गंभीर , भारत है सबसे आला।
नहीं है कोई देश दूसरा, भारत जैसा प्यारा।।
राष्ट्र वंदना करें जीवन में, एक यही उद्देश्य।।
विश्व गुरु तभी बन पाएगा, मेरा भारत देश।।
दिनांक : 26 जुलाई 2023
मुख्य संपादक, उगता भारत