अध्याय … 74 काम करो और नाम लो……..
220
जो भी लत हमको लगी, कर देती बर्बाद।
दारू – धुआं छोड़ दे, रहना जो आबाद।।
रहना जो आबाद , सीख कुछ कछुए से भी।
सिकोड़ लेत है अंग, चोट लगे ना मारे से भी।।
सिकुड़ कछुए की भांति, क्यों बनता है भोगी ?
लक्ष्य वही पा जाएगा , दिल से चाहता जो भी।।
221
दलदल में जो धंस रहे , और भी धंसते जाएं।
मन भक्ति लगता नहीं, जीवन बीता जाए।।
जीवन बीता जाए , आयु पल पल बीत रही।
हो गये पूरे दास, तृष्णा हमें जीत रही।।
आये थे जग जीतने, पर बुद्धि हो गई निष्फल।
खुद ही जा फंसे वहां, जहां बनी थी दलदल।।
222
काम करो और नाम लो, जो चाहते कल्याण।
मन लगाओ नाम में, खुश होते भगवान।।
खुश होते भगवान , साधना अच्छी बनती।
प्रभु की भक्ति करने से, मन की गति सुधरती।।
वेदों ने संदेश दिया, थोड़ा उस पर ध्यान करो।
डूब नाम की मस्ती में, सारे धर्म के काम करो।।
दिनांक : 25 जुलाई 2023
मुख्य संपादक, उगता भारत