जो ब्रह्म में रमण करते हैं,उनके संदर्भ में –

                  'शेर'

उन आंखों की अजीब गहराई में ,
समन्दर डूब जाना चाहता है।
जो रूहानी रहा में,
तेरा ही रूप होना चाहता है॥2418॥
‘ सत्यप्रकाश कानपुर’

शान्ति के संदर्भ में:-

शान्ति सुख की नींव है,
मत खोवे नादान।
बिना नीव कैसे बने,
आलीशान मकान॥2019॥

षट सम्पत्ति के संदर्भ में –

शान्ति से ही विकास है,
बिन शान्ति विध्वंस।
बिन शान्ति के मिट गए,
रावण कौरव कंस॥2420॥

दम अर्थात इंद्रियों संयम के संदर्भ में –
इंद्रिय- संयम दमन है,
रहना सदा सचेत।
चूक ज़रा सी मनुज को,
करती सदा अचेत॥2421॥

नोट – यहां अचेत से अभिप्राय है धराशायी होना, पतन के गर्त में गिरना।

उपरीत अर्थात् उपेक्षा के संदर्भ में –

दुरितो की करो उपरति,
सद्गुण लो अपनाय।
रवि-रश्मियों के कारणै,
ज्यों जलज खिल जाय॥2422॥

श्रद्धा के संदर्भ में-

श्रद्धा दो शब्दों से बना है,
सत् + धा अर्थात् सत्य को धारण करना।

श्रद्धा ऐसी डोर है,
दिव्या – लोक पहुंचाय।
शबरी मीरा ध्रुव को,
हरि से दिया मिलाय॥2423॥

तितिक्षा अर्थात् द्वन्दों को सहन करना, तप करना –

तितिक्षा तप का नाम है,
सहने पड़ते द्वन्द्व ।
सम रहे इस काल में,
फिर पावै आनन्द॥2424॥

समाधान के संदर्भ में –

मानव जीवन में सदा,
आते हैं व्यवधान।
शंकाओं का अन्त ही,
कहलाता समाधान॥2425॥

क्रमशः

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