भारतीय धर्म मे अवैज्ञानिक आस्था – शिव के ज्योतिर्लिंग की वास्तविकता*

images (70)

*

डॉ डी के गर्ग

*
भाग-1

पौराणिक मान्यता : – जहाँ शिवजी स्वयं प्रगट हुए थे उस शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग कहते हैं। देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं।मान्यता है कि इन 12 जगहों पर शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं, इस वजह से इन 12 मंदिरों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।सभी 12 ज्योतिर्लिंग की सूची इस प्रकार है –:
१. केदारनाथ- रुद्रप्रयाग, २. विश्वनाथ-: वाराणसी ,३. वैद्यनाथ-: देवघर ( झारखंड) ४. महाकालेश्वर-: उज्जैन ,५. ओमकारेश्वर- खंडवा (मध्यप्रदेश),६. नागेश्वर – द्वारिका ७. सोमनाथ -: गिर (गुजरात),८. त्र्यंबकेश्वर-: नासिक (महाराष्ट्र),९. भीमाशंकर-: महाराष्ट्र १०. घृष्णेश्वर -: औरंगाबाद के नजदीक (महाराष्ट्र),११. मल्लिकार्जुन-: कुरनूल जिला (आंध्रप्रदेश) १२. रामेश्वर -: तमिलनाडु।
ऐसा कहा जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों के समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। उनके जन्म-जन्मांतर के सारे पाप मिट जाते हैं और दर्शनार्थी शिवजी के कृपा पात्र बन जाते हैं।
भक्ति का स्वरूप और विश्वास : शिवरात्रि पर देश भर में ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए रात से ही शिवभक्त श्रद्धालुओं कतार में लगे रहते हैं। हर ज्योतिर्लिंग के बाहर भारी भीड़ लगी होती है।
मान्यता है कि :
1.भगवान शिव को भांग-धतूरा चढ़ाकर श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करते है ताकि बाबा भोले की कृपा उन पर बनी रही।ताकि वो शांत रहें।
2 भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।
3 महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
4 भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।
5मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है।
6 प्रत्येक ज्योतिर्लिङ्ग का एक एक उपलिंग भी है जिनका वर्णन शिव महापुराण की कोटिरुद्र संहिता के प्रथम अध्याय से प्राप्त होता है
7. अलग अलग स्थान के ज्योतिर्लिंग की पूजा से अलग -अलग लाभ मिलता है -बानगी के तौर पर –
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग- ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने से आपके सभी कष्टों का निवारण हो जाता है . ऐसा कहा जाता है तब विष्णु ने ऐसी लीला रची की बीच रास्ते में रावण को लघुशंका आई और वो शिवलिंग एक ग्वाले को सौपकर चला गया. परंतु उस ग्वाले ने उस शिवलिंग को वहीं जमीन पर रख दिया और शर्त अनुसार वो ज्योतिर्लिंग वहीं स्थापित हो गया.
विश्लेषण : इस विषय में सभी मान्यताओं का एक एक करके विश्लेषण करते है.
1.शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं : विकिपीडिया के अनुसार —
रेडियोसक्रियता (रेडियोएक्टिविटी Radioactivity) या रेडियोधर्मिता वह प्रकिया होती है जिसमें एक अस्थिर परमाणु अपने नाभिक (न्यूक्लियस) से आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) के रूप में ऊर्जा फेंकता है। ऐसे पदार्थ जो स्वयं ही ऐसी ऊर्जा निकालते हों विकिरणशील या रेडियोधर्मी कहलाते हैं।
•किसी वस्तु का रेडियोएक्टिव होना या न होना उसके आकार पर नहीं पर इस बात पर निर्भर करता है की वह किस तत्त्व से बना है; तो यूरेनियम से बना शिवलिंग रेडियोएक्टिव होगा जबकि मिट्टी का शिवलिंग रेडियोएक्टिव नहीं होगा ।
•रेडियोसक्रियता की खोज फ्राँस के वैज्ञानिक हेनरी बेक्वेरल ने 1896 में की थी। यदि यह क्रिया स्वतः होती है, तो इसे प्राकृतिक रेडियो सक्रियता कहते हैं, जबकि मनुष्य के द्वारा करा जाने पर कृत्रिम रेडियो सक्रिता कही जाती है। प्राकृतिक रेडियोसक्रियता मुख्यतः भारी नाभिकों से होती है। यूरेनियम (परमाणु संख्या 92) पहला खोजा गया प्राकृतिक रेडियोसक्रिय तत्व है।
रेडियोएक्टिव रियेक्टर की सच्चाई और कुछ प्रश्न :— १. मै आपको यह बता दूँ रेडियोएक्टिव रियेक्टर को ठंडा करने के लिए हार्ड वाटर ( D2O ) का प्रयोग होता है न की साधारण जल, दुग्ध, भांगव धतूरे के पत्तों और फलों का ।
२ अगर भांग और धतूरे से रेडियोएक्टिव तत्व शान्त रह सकते है तो फिर विकरण प्रयोग में गोधन का प्रयोग क्यों होता है ?
3 अगर इन भाग और धतूरों से रेडियोएक्टिव तत्व शान्त हो सकते हैं तो भाभा परमाणु केन्द्र से लेकर सभी अनुशंधान केन्द्रों में रियेक्टर को ठंडा करने हेतू सरकार करोड़ों रूपये क्यों खर्च कर रही है ??
४ जब शिवलिंग मे रेडियोएक्टिव ऊर्जा है तो भारत सरकार को सब कुछ छोड़ शिवलिंग से ही पूरे भारत को ऊर्जा देना चाहिए जिससे कोई भी भारतवासी अंधेरे मे न रहे और विज्ञान की सुविधाओं का उपयोग कर सकें । इसमेंं तो सरकार का कुछ खर्च भी नही है प्रत्येक व्यक्ति अपने घर मे ही शिवालय बना लेगा | इससे सरकार को करोड़ों-अरबों का फायदा होगा क्योंकी विदेशों से यूरेनियम आदी को लाने मे जो खर्च है वह बन्द हो जायेगा क्योंकी ऊर्जा पूर्ति शिवलिंग से ही हो जायेगा । तब बिजली बनाने के लिए पवन चक्की, बाँध, परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि के लिए सरकार को करोड़ों रूपये खर्च नही करना पड़ेगा हर हिन्दू अपने घर मे शिवलिंग बना ले उसी से ऊर्जी मिलती रहेगी ।
5. जब शिवलिंग मे रेडियोएक्टिव ऊर्जा है तो सरकार बेकार मे ही भारतीय वैज्ञानिकों के पीछे करोड़ों रूपये का खर्च कर रही है शिवलिंग से ही परमाणु बम , अणु बम , क्रुज मिसाईलस जैसे हथियार बन सकते है तो सरकार करोड़ो का व्यय क्यों कर रही है ?
6 अगर सच मे शिवलिंग मे रेडियोएक्टिव तत्व है तो सरकार को सबसे पहले प्रत्येक शिवालय पर विकरण रोधी यंत्रो को लगाना चाहिए और जब तक सम्पूर्ण देश मे यह यंत्र न लग जाय तब तक शिवालयों के आस पास भी किसी को भटकने न दिया जाय नही तो उक्त व्यक्ति को कैसर, नपुशंकता , बंध्यता , क्षय रोग ( टीवी ) आदि आदि जैसे गम्भीर रोगों का शिकार होना पड़ सकता है और केवल वह व्यक्ति ही नहीं बल्कि उसकी आगे आने वाली पिढ़ी विक्लांग ( लूला , लंगड़ा , बहरा , अपंग ) ही होती रहेगी ।
7 जो पण्डे कहते हैं की शिवलिंग पर चढ़ाया जल नदी के साथ मिलकर औषधी बन जाता है तो पोपजी फिर डॉक्टर को पाँच सौ रूपये का शुल्क देकर हजार रूपये का दवा क्यों क्यो करते हो नदी का पानी ही पीकर अपना इलाज क्यों नहीं कर लेते हो ?
8भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे कि ( द्वादश ज्योतिर्लिंगों ) दोनों में कोई पारस्परिक संबंध नहीं ।भारत में सबसे ज़्यादा प्राकृतिक रेडियोधर्मिता वाला स्थान केरल का करुनागापल्ली है पर वहाँ तो कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है ।
9न्यूक्लीयर रिएक्टर्स में इतनी गर्मी पैदा होती है की उससे पानी भाप बन जाता है, जिससे टरबाइन घुमा कर बिजली पैदा होती है । पर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल कभी वाष्प नहीं बनता, नाली मे जाकर गंदे पानी मे मिल जाता है । यदि जल चढाने से रेडिएशन कम होता है तो एक बार भक्त न्यूक्लीयर रिएक्टर्स में जल चढ़ाकर ये प्रयोग क्यों नहीं कर लेते , आटा- दाल का भाव मालूम हो जाएगा ।
10 भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। कन्टेनमेंट बिल्डिंग (रिएक्टर नहीं) का आकार ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस आकार का ढांचा अंदर भाप के कारण पैदा होने वाले आतंरिक दबाव को बेहतर तरीके से झेल सकता है ।
11 शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।इस बात का कोई प्रमाण नहीं है, ऐसा होता तो भारत सरकार ही नहीं WHO भी शिवलिंग को मान्यता दे देते. और वहा के हिन्दू मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध नहीं बनते. ये झूट है कि शिवलिंग का स्पर्श होने से साधारण जल औषधि बन जाता है ।
12 मान्यता है कि यदि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। पर कभी भी किसी ने शिवलिंग में विस्फोट होना का किस्सा नहीं सुनाया। सोमनाथ का मंदिर लूट लिया गया और शिवलिंग तोड़ दिया था.
अब तक के सारे तर्क विज्ञान के विरुद्ध हैं । इन सब का शिवलिंग के एक न्यूक्लियर रिएक्टर होने या न होने से कोई सम्बन्ध नहीं है । तथ्यों से यह साबित होता है कि शिवलिंग रेडियोएक्टिव नहीं होते हैं ।

Comment: