आर्ष गुरुकुल राजघाट महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की द्वि जन्मशती के पावन अवसर पर आगामी 27 ,28 ,29 अक्टूबर 2023 में आयोजित करेगा ज्ञान ज्योति महोत्सव

आर्य जगत में विशेष कर्मठता और पुरुषार्थ के बल पर अपना विशेष स्थान बनाने वाले आचार्य योगेश शास्त्री जी एक ऐसे हस्ताक्षर हैं जिन्होंने आर्ष गुरुकुल राजघाट के कुलसचिव के रूप में अपना विशेष स्थान बनाया है। आर्य विचारधारा के प्रति समर्पित श्री शास्त्री का कहना है कि समस्त भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश का जनपद बुलंदशहर इस दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है कि केवल इसी जनपद में अब तक ऐसे 15 स्थल चिन्हित किए जा चुके हैं जहां स्वामी दयानंद जी महाराज ने किसी काल विशेष में प्रवास किया था। इसी जनपद के “चासी” गांव में महर्षि जी का अपने जीवन काल में सर्वाधिक लम्बे समय 5 माह तक तपस्या करने का सौभाग्य भी बुलन्दशहर जनपद को ही प्राप्त हुआ है।

ऐसे ही स्थानों के बारे में संकेत करते हुए वह बताते हैं कि
इस पावन स्थल पर 100 बीघा भूमि पर महर्षि की भव्य स्मृति में भव्य ” राष्ट्र मन्दिर-महर्षि स्मारक स्थल” का निर्माण किया जा सके,जिसमें वर्तमान में 35 बीघा भूमि प्राप्त हुई है।
इस पर भव्य गुरुकुल, गौशाला एवं प्राकृतिक चिकित्सालय की स्थापना के साथ ही महर्षि दयानन्द सरस्वती का सम्पूर्ण जीवन सचित्र , विवरण सह चित्रांकन+ साथ ही सभी क्रान्तिकारी अमर बलिदानियों के चित्र कृतित्व विवरण सह प्रदर्शित करने का संकल्प लिया गया है। जो कि विश्व का यह प्रथम स्थान होगा , हमारी अभिलाषा है कि इसका सौभाग्य उत्तर प्रदेश सरकार को प्राप्त हो ।
बुलन्दशहर जनपद में महर्षि आगमन के 15 स्थानों पर महर्षि आगमन का तिथि वार विवरण तथा उस गांव से जुड़े महर्षि जी के घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण देते हुए उसी स्थान और गांव के बाहर दोनों तरफ बोर्ड लगवाये जाएंगे जिससे कि आते जाते महानुभाव भी जान सकेंगे कि ये गांव महर्षि दयानन्द की तपस्थली है।
शास्त्री जी ने हमको बताया कि महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने अपने जीवन में प्रथम वेद पाठशाला छलेसर गांव में रईस ठाकुर मुकुन्द सिंह के आग्रह पर स्थापित की थी, किन्तु पाठशाला कुछ वर्ष चलने के पश्चात किन्हीं अपरिहार्य कारणों से बन्द हो गई थी, छलेसर गांव में उस पाठशाला के खण्डहर, यज्ञवेदी एवं जलपान का कुंआ आज भी यथास्थिति विद्यमान है गांव के ही पुरुषार्थी प्रधान श्री कालीचरण प्रधान जी ने उस तपस्थली से संलग्न 5बीघा भूमि “महर्षि दयानन्द तपस्थली” के नाम से सरकारी कागजात में भी अंकित करा दिया है, यथाशीघ्र ही महर्षि कि उस पाठशाला को पुनः प्रारम्भ कर गुरुकुल का स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है।
आर्य जगत में अपनी विद्वता के माध्यम से अपना विशिष्ट स्थान बनाने में सफल रहे शास्त्री जी का कहना है कि उपरोक्त सभी कार्य महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जन्म जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित “ज्ञान ज्योति महोत्सव ” के अवसर पर सञ्चालित करने का प्रयास किया जा रहा है।
महर्षि आगमन के इन स्थानों में एक स्थान राजघाट भी है । इस पर स्थित आर्ष गुरुकुल राजघाट महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की द्वि जन्मशती के पावन अवसर पर ” ज्ञान ज्योति महोत्सव ” का भव्य आयोजन 27,28,29,अक्टूबर 2023 शुक्रवार, शनिवार व रविवार को करने जा रहा है ।
इस कार्यक्रम की सफलता हेतु आर्य जगत के मूर्धन्य संन्यासी, विद्वान, भजनोपदेशक, समर्पित कार्यकर्ता एवं आर्य नेता गण पधार रहे हैं। जिसमें देश के कौने कौने से हजारों आर्यजन महर्षि-पदार्पण के इन “पञ्चदश महर्षि तीर्थ स्थलों” को देखने तथा समारोह के गौरवमयी पलों के अनुभव के लिए पधार रहे हैं । ज्ञात रहे कि श्री शास्त्री उपरोक्त कार्यक्रम के संयोजक के रूप में नियुक्त किए गए हैं ।

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