श्यौराज सिंह आर्य की प्रथम पुण्यतिथि पर किया गया विशाल यज्ञ का आयोजन : जहां संस्कार नहीं वहां संस्कारवान बच्चे नहीं हो सकते : स्वामी कर्मवीर जी महाराज

ग्रेटर नोएडा। यहां मकोड़ा ग्राम में स्वर्गीय श्यौराज सिंह आर्य की प्रथम पुण्यतिथि पर उनके पुत्र राजेश भाटी, आर्य वीरेश भाटी , अमित भाटी और उनके अन्य परिजनों ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया । जिस पर आर्य जगत के विभिन्न विद्वानों को आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित हुए स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने कहा कि जो लोग संसार में आकर पवित्र और महान कार्य करते हैं उन्हें उनके जाने के बाद भी लोग याद करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सरदार पटेल यदि नहीं होते तो हम आज यह यज्ञ नहीं कर रहे होते। वैदिक संस्कृति को बचाने में उस समय सरदार पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक पटेल जी का नाम अमर रहेगा।


स्वामी जी महाराज ने कहा कि हम महान कार्य करें, जिससे लोग हमें हमारे जाने के बाद भी याद करें। जिसकी कीर्ति समाप्त हो जाती है वास्तव में वही मरता है। यश रूपी शरीर व्यक्ति के जाने के पश्चात ही बना रहता है और लोग उस यश रूपी शरीर से ही खुशबू लेकर अपने जीवन का निर्माण करते रहते हैं। संसार में अच्छे लोगों का सभी नाम लेते हैं। बुरे लोगों का कोई नाम नहीं लेता । हमें प्रधान श्यौराज सिंह आर्य जी के जीवन से यह प्रेरणा लेनी चाहिए। क्योंकि वह एक श्रेष्ठ आर्य पुरुष थे। जिनके आर्य जीवन से प्रेरणा लेकर उनकी संतान और उनके प्रियजन यह विशाल यज्ञ इस गांव में कर रहे हैं।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि हमारी पहचान अच्छे विचारों से होती है और यह अच्छे विचार ही हमारे जीवन की कीर्ति बनकर हमारे जाने के पश्चात भी हमें लोगों की यादों में बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कार विधि का यहां पर वितरण किया जाना बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है। संस्कार विधि को पढ़कर हम अपने बच्चों को संस्कारवान बना सकते हैं। इस पुस्तक को स्वर्गीय श्यौराज सिंह आर्य की स्मृति में वितरित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य केवल यह है कि संस्कारवान बच्चों का निर्माण हो। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि संस्कारवान बच्चे वहां नहीं हो सकते जहां संस्कारों की बात ना हो। इसलिए संस्कारों से ही संस्कारवान बच्चों का निर्माण होता है।
इस अवसर पर राजार्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यज्ञ के माध्यम से ही हम जीवन को उन्नति में ढाल सकते हैं। जिन परिवारों में यज्ञ की संस्कृति जीवित है, संस्कार वहीं पर प्रबल होते हैं । यज्ञ के माध्यम से संस्कारों का परिष्कार होता है और संस्कारवान बच्चों से सबल राष्ट्र का निर्माण होता है। आचार्य करण सिंह ने अपने विद्वता पूर्व वक्तव्य में कहा कि बच्चे राष्ट्र की विधियां उनके निर्माण में माता-पिता का विशेष योगदान होता है। जो बच्चे अपने माता-पिता के जाने के पश्चात भी उनके लिए यज्ञ आदि के पुण्य कार्य करते हैं उनके बारे में कहा जा सकता है कि उनका जीवन निश्चय ही प्रेरणादाई रहा था। आर्य समाज के पूर्णतया समर्पित दे मुनि जी महाराज ने कहा कि पांच यज्ञ के माध्यम से हम जीवन में भारी परिवर्तन देख सकते हैं। इसलिए हमें पंच महायज्ञ के प्रति समर्पित संतान का निर्माण करना चाहिए।
इस अवसर पर विक्रम देव शास्त्री, आचार्य प्राण देव सहित कई अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का सफल संचालन विजेंद्र सिंह आर्य द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कमल सिंह आर्य ,दिवाकर आर्य, आर्य सागर खारी ,बलवीर सिंह आर्य, रामशरण नागर एडवोकेट , जयप्रकाश आर्य आदि सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

ज्ञात रहे कि स्वर्गीय शिवराज सिंह आर्य जी का अब से 1 वर्ष पूर्व देहांत हो गया था। उन्होंने अपने सभी बच्चों को संस्कारवान बनाया और यज्ञ आदि के प्रति निष्ठावान बनाकर उन्हें वेद मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। वीरेश आर्य इस बारे में बताते हैं कि हमें हमारे पिताजी का दिया हुआ सन्मार्ग दर्शन ही उन्नति कराने में सहायक हुआ है। उनके प्रति कृतज्ञतावश हमने इस यज्ञ का आयोजन किया। जिसे हम आगे भी करते रहेंगे। कार्यक्रम में स्वर्गीय आर्य जी के तीनों पुत्रों सहित पुत्र वधू, पौत्रवधू , पौत्र कपिल, कल्याण, कार्तिक, मिहिर, केशव प्रपौत्र वियान और भाई राजवीर सिंह व ओमकार सिंह सहित सभी मित्र संबंधियों ने उपस्थित होकर यज्ञ में आहुतियां डाली।

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