कुंडलियां – 12, उच्च पथ की साधना, करे सो पंडित होय।

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कुंडलियां … 12

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आनंद मिलता त्याग में, भजन से मिलता त्याग।
ध्यान करे से हो भजन, लगे व्यसनों में आग।।
लगे व्यसनों में आग, चित्त निर्मल हो जाता।
परवान चढ़त है भक्ति, जीवन सफल कहाता।।
यश वैभव में वृद्धि होती, शान्ति डारे अपना डेरा।
निर्भ्रांत शांत जीवन से , होता दूर मृत्यु का फेरा।।

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उच्च पथ की साधना, करे सो पंडित होय।
उच्चपद को पायके , मोक्ष का भागी होय।।
मोक्ष का भागी होय , जगत के बंधन कटते।
पापों की निवृत्ति से , काम क्रोध भी मिटते।।
क्लेश – मुक्त जीवन, अमृत सम हो जाता।
जीवन की हो पूर्ण साधना, हिय भी हर्षाता।।

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कीचड़ से कीचड़ मिले और कीच हो जाय।
दुर्जन की पा संगति मनुज नीच हो जाय ।।
मनुज नीच हो जाय , फिरता मारा – मारा।
बड़ी भयंकर आग में जल जाता घर सारा।।
जीवन में उत्पात उपजता हो जाता उन्मादी।
हर मोड़ पर बैठी मिलती ऐसे नर को बर्बादी।।

दिनांक : 29 जून 2023

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत

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