बाबर और अकबर के भक्तों को गुरु नानक की सीख
भारत में बाबर अकबर और औरंगजेब के मुरीद (भक्त / प्रशंसक) बड़ी संख्या मे हैं।
आज तक हमारी शिक्षा व्यवस्था जेहादी सोच के मुस्लिम शिक्षामंत्रियों और वामपंथी इतिहास लेखकों के हाथ में रही है। इन्होंने जो लिखा वह अधिकांश झूठ था। इन्हें अत्याचारियों को महान बताना था।
इनके झूठ का पता पूज्य गुरु नानक देव जी के वचनों से मिलता है।
बाबर और औरंगजेब ने अपने जीवन में हिन्दू जनता पर अनेक अत्याचार किये थे। हमारे मुस्लिम भाई उनकी धर्मान्ध नीति का बड़े उत्साह से गुण गान करते हैं। पर सत्य यह है कि अपनी मृत्यु से पहले दोनों को अपने जीवन में किये गए गुनाहों का पश्चाताप था। अपने पुत्रों को लिखे पत्रों में उन्होंने अपनी व्यथा लिखी हैं।
बाबर ने जीवन भर मतान्धता में हिन्दुओं पर अनेक अत्याचार किये। एक समय तो ऐसा आया की हिन्दू जनता बाबर के कहर से त्राहि माम कर उठी।
बाबर की मतान्धता को गुरु नानक जी की जुबानी हम भली प्रकार से जान सकते है। भारत पर किये गये बाबर के आक्रमणों का नानक ने गंभीर आकलन किया और उसके अत्याचारों से गुरु नानक मर्माहत भी हुए। उनके द्वारा लिखित बाबरगाथा नामक काव्यकृति इस बात का सबूत है कि मुग़ल आक्रान्ता ने किस तरह हमारे हरे-भरे देश को बर्बाद किया था।
बाबरगाथा के पहले चरण में लालो बढ़ई नामक अपने पहले आतिथेय को संबोधित करते हुए नानकदेव ने लिखा है:-
हे लालो,बाबर अपने पापों की बरात लेकर हमारे देश पर चढ़ आया है और ज़बर्दस्ती हमारी बेटियों के हाथ माँगने पर आमादा है। धर्म और शर्म दोनों कहीं छिप गये लगते हैं और झूठ अपना सिर उठा कर चलने लगा है। हमलावर लोग हर रोज़ हमारी बहू-बेटियों को उठाने में लगे हैं, फिर जबर्दस्ती उनके साथ निकाह कर लेते हैं। काज़ियों या पण्डितों को विवाह की रस्म अदा करने का मौका ही नहीं मिल पाता। हे लालो, हमारी धरती पर खून के गीत गाये जा रहे हैं और उनमे लहू का केसर पड़ रहा है। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत जल्दी ही मुग़लों को यहाँ से विदा लेनी पड़ेगी, और तब एक और मर्द का चेला जन्म लेगा।
कविता के दूसरे चरण में नानक ने लिखा:
हे ईश्वर, बाबर के शासित खुरासान प्रदेश को तूने अपना समझ कर बचा रक्खा है और हिन्दुस्तान को बाबर द्वारा पैदा की गयी आग में झोंक दिया है। मुगलों को यम का रूप प्रदान कर उनसे हिन्दुस्तान पर हमला करवाया, और उसके परिणामस्वरूप यहाँ इतनी मारकाट हुई कि हर आदमी उससे कराहने लगा। तेरे दिल में क्या कुछ भी दर्द नहीं है?
तीसरे चरण का सारांश है:
जिन महिलाओं के मस्तक पर उनके बालों की लटें लहराया करती थीं और उन लटों के बीच जिनका सिन्दूर प्रज्ज्वलित और प्रकाशमान रहता था, उनके सिरों को उस्तरों से मूंड डाला गया है और चारों ओर से धूल उड़ उड़ कर उनके ऊपर पड़ रही है। जो औरतें किसी ज़माने में महलों में निवास करती थीं उनको आज सड़क पर भी कहीं ठौर नहीं मिल पा रही है। कभी उन स्त्रियों को विवाहिता होने का गर्व था और पतियों के साथ वह प्रसन्नता के साथ अपना जीवन-यापन करती थीं। ऐसी पालकियों में बैठ कर वह नगर का भ्रमण करती थीं जिन पर हाथी दाँत का काम हुआ होता था। आज उनके गलों में फांसी का फन्दा पड़ा हुआ है और उनके मोतियों की लड़ियाँ टूट चुकी हैं।
चौथे चरण में एक बार फिर सर्वशक्तिमान का स्मरण करते हुए नानक ने कहा है:
यह जगत निश्चित ही मेरा है और तू ही इसका अकेला मालिक है। एक घड़ी में तू इसे बनाता है और दूसरी घड़ी में उसे नष्ट कर देता है। जब देश के लोगों ने बाबर के हमले के बारे में सुना तो उसे यहाँ से भगाने के लिये पीर-फकीरों ने लाखों टोने-टोटके किये, लेकिन किसी से भी कोई फ़ायदा नहीं हो पाया। बड़े बड़े राजमहल आग की भेंट चढ़ा दिये गये, राजपुरूषों के टुकड़े-टुकड़े कर उन्हें मिट्टी में मिला दिया गया। पीरों के टोटकों से एक भी मुग़ल अंधा नहीं हो पाया। मुगलों ने तोपें चलायीं और पठानों ने हाथी आगे बढ़ाये। जिनकी अर्ज़ियाँ भगवान के दरबार में फाड़ दी गयी हों, उनको बचा भी कौन सकता है? जिन स्त्रियों की दुर्दशा हुई उनमें सभी जाति और वर्ग की औरतें थीं। कुछ के कपड़े सिर से पैर तक फाड़ डाले गये,कुछ को श्मशान में रहने की जगह मिली। जिनके पति लम्बे इन्तज़ार के बाद भी अपने घर नहीं वापस लौट पाये, उन्होंने आखिर अपनी रातें कैसे काटी होंगी?
ईश्वर को पुनः संबोधित करते हुए गुरू नानकदेव ने कहा था:
तू ही सब कुछ करता है और तू ही सब कुछ कराता है। सारे सुख-दुख तेरे ही हुक्म से आते और जाते हैं, इससे किसके पास जाकर रोया जाये, किसके आगे अपनी फ़रियाद पेश की जाये? जो कुछ तूने लोगों की किस्मत में लिख दिया है, उसके अतिरिक्त कोई दूसरी चीज़ हो ही नहीं सकती। इससे अब पूरी तरह तेरी ही शरण में जाना पड़ेगा। उसके अलावा अन्य कोई पर्याय नहीं।
(सन्दर्भ- स्टॉर्म इन पंजाब – क्षितिज वेदालंकार)
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