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कुरान ऊपर से उतरी थी ?

विश्व में जितने भी धर्म हैं उसके मानने वाले अपने धर्न्थों को इश्वर के वचन समझते.वैसे भी जिस भी ग्रन्थ में लोगों के कल्याण का उपदेश दिया गया हो उसे ईश्वरीय ग्रन्थ कहने में कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए .यद्यपि मुसलमान भी अल्लाह की कई किताबें बताते हैं ,जिनमे तौरेत ,जबूर ,इंजील और कुरान मुख्य हैं .मुसलमान कहते हैं दूसरी किताबों में बदलाव हुए हैं ,लेकिन कुरान एकमात्र ऐसी किताब है जिसकी हरेक आयत ,हरेक शब्द और हरेक अक्षर अल्लाह ने अपने रसूल पर नाजिल किया था .
मुसलमान अक्सर लोगों को गुमराह करने के किये कुरान के उतरने के लिए “तंजील ” शब्द का प्रयोग करते है .जिसका अर्थ “अवतरण या Descend और Download भी होता .इस से ऐसा आभास होता है कि अल्लाह किसी दूसरे ग्रह या फाफी ऊंची जगह पर रहता होगा और वहां से मुहम्मद को कुरान भेज गी गयी होगी .लेकिन खुद कुरान में उसके उतरने या जमा होने के कई तरीके बताये गए हैं .और मुहम्मद को कुरान कैसे मिली .थी इसी विषय पर प्रकाश डाला जा रहा है .
1 – कुरान की शुरुआत कैसे हुई
मुहम्मद के कबीले का नाम कुरैश था .कुरैश के लोग कई देवी देवताओं ,भूतों और जिन्नों पर यकीन रखते थे .और ईसाई धर्म से प्रभावित होकर शैतान ,और फर्श्तों पर भी विश्वास रखते थे .इसी काबिले में मक्का में सोमवार 11 नवम्बर सन 569 को मुहम्मद का जन्म हुआ था .उस समय हिजरी सन नहीं था .25 की आयु में मुहम्मद ने 40 की एक धनवान विधवा खदीजा से शादी कर ली .खदीजा का चचेरा भाई वरका इब्न नौफल जो मक्का का बिशप था खदीजा के घर आता रहता था .मुहम्मद एकांतप्रिय व्यक्ति था .और गरमी से बचने के लिए मक्का से 3 .5 km दूर “जबल अल नूर جبل االنّور”नामकी पहाड़ी की गुफा में आराम करता था .गुफा का नाम “गारे हिरां غار حراء” है इसकी ऊंचाई 270 मीटर है .गुफा में ठंडक रहती थी इसलिए मुहम्मद रत को भी वहीँ सो जाता था .यह 10 अगस्त सन 610 की बात है .और रमजान की 21 तारीख थी .उस समय मुहम्मद की आयु 40 साल 6 महीने और 12 दिन थी .
उस दिन मुहम्मद बुखार के कारण कपकपी लग रही थी .इसलिए वह घर वापस आ गया खदीजा ने उसे कम्बल उढा दिया . फिर भी मुहम्मद कांप रहा था .खदीजा के पूछने पर मुहम्मद ने कहा कि गुफा में मुझे कोई अनजान व्यक्ति मिला था ,जिसने मुझ से कुछ पढ़ने को कहा ,लेकिन मैं वह नहीं पढ़ सका .और उसने यही बात तीनबार कही और मैं तीनों बार नहीं पढ़ सका तो उस व्यक्ति ने यह कहा .”पढ़ रब का नाम लेकर जिसने पैदा किया ” सूरा -अलक 96 :2
“खदीजा ने यह बात अपने भी नौफल को बताई तो उसने कहा जरुर वह अनजान व्यक्ति “जिब्रील “होगा जो मूसा से मिलता .और खुदा का सन्देश देता था .वरका ने वह शब्द लिख कर खदीजा को दे दिए .यही कुरान की पहली आयत है .और कुरान की आखिर आयत यह है “और उस दिन का डर रखो जिस दिन तुम अपने अल्लाह के पास लौटाए जाओगे ,और हरेक को उसके कर्मों का फल मिलेगा .और किसी साथ कोई अन्याय नहीं होगा “सूरा बकरा 2 :281 .कुछ मुसलमान सूरा-मायदा की 5 :3 को कुरान की आखिर आयत बताते हैं .
इसके बाद से मुहम्मद की मौत तक (8 जून 632 ) 23 में थोडा थोडा करके कुरान की 114 सूरा ( chapter ) और उनकी 6666 आयतें जमा होती गयीं .लेकिन मुसलमान बड़ी चालाकी से कुरान के संकलन Compilation को “तसनीफتصنيف” की जगह “तंजील تنزيل” अर्थात अवतरण और Revelation ही कहते है .जबकि कुरान में ही कुरान के जमा होने के कई तरीके बताये गए है .जिनमे कुछ मुख्य तरीके इस प्रकार हैं –
2 -तंजील تنزيلRevelation अवतरण
साधारण भाषा में तंजील का अर्थ ऊपर से नीचे उतारना Descend ,डाउनलोड भी होता है .कुरान में तंजील शब्द का प्रयोग इस आयत में किया गया है .”इस किताब का अवतरण (तंजील “अल्लाह ,प्रभुत्वशाली और तत्वदर्शी की तरफ से है “सूरा -अहकाफ 46 :1
किसी की कही हुई बात को सुनकर और मन में उतार लेना भी तंजील की परिभाषा में आता है ,इसका यह उदहारण है .
हदीस में कहा है –
कई बार मनुष्य के वेश में फ़रिश्ते आते थे और वह जो बातें करते थे मैं जमा कर लेता था इस से आसानी हो जाती थी .
“أحيانا الملاك يأتي في شكل رجل والمحادثات لي وأنا الاحتفاظ مهما قال
وهذا النموذج هو أسهل بالنسبة لي. ”
“Sometimes the Angel comes in the form of a man and talks to me and I retain whatever he said to me And this form is the easiest for me.”
Al-Ittiqan 1/50 cf. Sahih Abu Awana)
3-मुहम्मद द्वारा आत्महत्या का प्रयत्न
Prophet Muhammad’s suicide attempts
मुहम्मद को पहले कुरान की प्रेरणा अपने गुरु वरका इब्न नौफल से मिलती इसका सबूत इस हदीस से मिलता है .सही बुखारी की किताबुल ताबीर में लिखा है ,कि जब वरका इब्न नौफल की मौत को कुछ दिन हो गए ,और कुरान की दैवी प्रेरणा आना बंद हो गयी थी तो रसूल इतने दुखी हो गए कि वह एक पहाड़ पर चढ़ गए ताकि खुद को वहां से गिराकर अपने आपको ख़त्म करलें .रसूल ने ऐसा कई बार किया था .लेकिन जब भी वह पहाड़ से गिरकर मरने की कोशिश करते थे ,जिब्रील प्रकट होकर कहता था ,मुहम्मद तुम रसूल हो .यह सुनकर ही रसूल शांत होकर अपने घर वापस आ जाते थे .”
ثُمَّ لَمْ يَنْشَبْ وَرَقَةُ أَنْ تُوُفِّيَ وَفَتَرَ الْوَحْيُ فَتْرَةً حَتَّى حَزِنَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِيمَا بَلَغَنَا حُزْنًا غَدَا مِنْهُ مِرَارًا كَيْ يَتَرَدَّى مِنْ رُءُوسِ شَوَاهِقِ الْجِبَالِ فَكُلَّمَا أَوْفَى بِذِرْوَةِ جَبَلٍ لِكَيْ يُلْقِيَ مِنْهُ نَفْسَهُ تَبَدَّى لَهُ جِبْرِيلُ فَقَالَ يَا مُحَمَّدُ إِنَّكَ رَسُولُ اللَّهِ حَقًّا فَيَسْكُنُ لِذَلِكَ جَأْشُهُ وَتَقِرُّ نَفْسُهُ فَيَرْجِعُ

‘…then after a few days Waraqa died and the Divine Inspiration was also paused for a while and the Prophet became so sad as we have heard that he intended several times to throw himself from the tops of high mountains and every time he went up the top of a mountain in order to throw himself down, Gabriel would appear before him and say, “O Muhammad! You are indeed Allah’s Messenger in truth” whereupon his heart would become quiet and he would calm down and would return home …“
Sahih Bukhari, Kitabul Ta’beer, Hadith 6467)
4-मुहम्मद को तौरेत से प्रेरणा मिलती थी
जब वरका इब्न नौफल मर गया तो मुहम्मद ने दूसरा उपाय खोज लिया .उसे एक यहूदी ने तौरेत ( बाइबिल ) देदी थी .मुहम्मद उसी की कहानियों के साथ कुछ अपनी बातें भी मिला देता था . मुहम्मद को तौरेत का ज्ञान था यह इस हदीस से साबित होता है .
“अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि एकबार यहूदियों के एक दल ने रसूल को अपने मदरसे “कूफ़ “में बुलवाया और कहा कि हमारे एक व्यक्ति “अब्दुल कासिम ने एक औरत के साथ व्यभिचार किया है .आप इसका न्याय करिए .उन लोगों ने रसूल के बैठने के लिए एक गद्दी रख दी .बैठ कर रसूल बोले किसी से तौरेत मंगवाओ .एक आदमी ने तौरेत रसूल के हाथ में दी .और पढ़ने बाद रसूल ने उस गद्दी पर तौरेत रख दी .और कहा कि मैं इस किताब और इसके लाने वाले (मूसा ) पर इमान रखता हूँ .फिर रसूल ने तौरेत पढ़कर जो फैसला किया था सबने उसे स्वीकार कर लिया “और रसूल ने वह तौरेत अपने पास रख ली .
Reference : Sunan Abi Dawud 4449
In-book reference : Book 40, Hadith 99
English translation : Book 39, Hadith 4434
https://sunnah.com/abudawud/40
Dawud, Book 38 (Kitab al Hudud, ie. Prescribed Punishments), Number 4434 and 4431
5-वही और इलहाम क्या है
जब भी कुरान के उतरने की बात होती है तो जादातर इन्हीं शब्दों का प्रयोग होता है .यद्यपि इनके सामान अर्थ है .इनका अर्थ है प्रेरणा Inspiration ,सूचित करना intimation ,सूझना instinct या छुप कर किसी को बात बताना ,Tell something to someone .कुरान की लगभग सभी आयतें इसी विधि से बनी हैं .लेकिन मुसलमान कुरान की हरेक आयात को अल्लाह की वही बताते है .वही के बारे में कुरान कहता है –
“ऐसा संभव है कि अल्लाह खुद परदे के पीछे छुपा रहे ,और किसी संदेशवाहक को भेजकर सूचना भेज दे .और फिर सूचना अनुसार किसी से जो चाहे करवा ले ”
सूरा -अश शूरा 42 :51
वही का अर्थ खुद कुरान इन शब्दों में बताती है –
“और यह लोग वही के बारे में पूछते हैं ,तो तुम कह दो यह प्रेरणा आत्मा की तरफ से होती है ,और तुम्हें तो बस थोडा सा ज्ञान है ”
सूरा -बनी इस्रायेल 17 :85
“यह तो केवल प्रेरणा है ,किसी के द्वारा किसी की तरफ की जाती है “सूरा -अन नज्म 53 :4
6-कुरान सिर्फ प्रेरणा से बनी है
कुरान ऊपर से नहीं उतरी बल्कि किसी दूसरे व्यक्ति ने मुहम्मद को इसकी प्रेरणा दी होगी .यह इन आयातों से सिद्ध होता है –
“तुम्हें अरबी कुरान बनाने की प्रेरणा दी गई है ,ताकि तुम अपने लोगों और आसपास के लोगों को सचेत करो “सूरा -अश शुरा 42 :7
“निश्चय ही यह कुरान एक प्रतिष्ठित संदेशवाहक की वाणी है “सूरा -हाक्का 69 :40
“फिर हमने उसके पास अपनी रूह को भेजा ,और उसने मनुष्य का रूप धारण कर लिया ”
सूरा -मरियम 19 :17
7-ईसाईयों ,औरतों और मक्खियों को वही
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार अल्लाह जिसको भी अपनी वही ( प्रेरणा ) या सन्देश भेजता है उसे नबी और रसूल का दर्जा हासिल हो जाता है अगर हम इन आयतों को मानें तो इसाई ,औरतें और मधुमक्खियाँ भी रसूल हो सकते है .देखिये –
A-ईसाई भी रसूल हो सकते हैं -“और जब हमने हवारियों (ईसाई सन्यासियों ) को वही की और प्रेरणा दी ,कि अपने रसूलों पर ईमान रखो ,तो वह बोले ,हम उनपर ईमान लाते हैं ”
सूरा -मायदा 5 :111
B-औरत भी रसूल हो सकती है -“फिर हमने मूसा की माँ को वही की (प्रेरणा दी )और कहा पहले अपने बच्चे को खूब दूध पिला दो .फिर उसे दरिया में डाल दो .और तुझे कोई खतरा नहीं होगा और न बच्चे को कोई डर होगा ” सूरा अल कसस 28 :7
C-मधुमक्खियों रसूल बना दिया -“और देखो तुम्हारे रब ने मधुमक्खी को वही कर दी ,और कहा जाओ पहाड़ों और पेड़ों पर अपने घर बनाकर रहो ”
सूरा -अन नम्ल 16 :68
8-वही से दुराचार की प्रेरणा
मुसलमानों ने लोगों में यह भ्रम फैला रखा है ,कि अल्लाह “वही ” के द्वारा ही अपने नबियों को सत्कर्म करने की प्रेरणा देता है .लेकिन यह बात सरासर झूठ है .अल्लाह “वही “के द्वारा सदाचार की नहीं दुराचार की प्रेरणा देता है .इसका सबूत इस आयत से मिलता है –
“और हमने ही मनुष्य को दुराचार की प्रेरणा (वही )दी है .और (फिर पकडे जाने पर ) बच बच कर चलने की तरकीब बता दी ”
सूरा -अश शम्श 91 :8
इन सभी तथ्यों से यह अच्छी तरह से सिद्ध होता है कि न तो कुरान ऊपर से उतरी थी और न ईश्वरीय किताब हो सकती है .जब तक वर्क इब्न नौफल जिन्दा रहा वह कुरान की आयतें बनाया करता था .वर्ना उसकी मौत के बाद मुहम्मद को आत्महत्या करने की क्या जरुरत हुई .क्या वरका के साथ अल्लाह भी मर गया था ? जो कुरान का उतरना बंद हो गया था.और अगर कुरान दुराचार की प्रेरणा देती है तो वह अल्लाह की किताब नहीं हो सकती है.दुनिया की सभी धर्म की किताबें ईश्वर की प्रेरणा से बनी है .फिर कुरान को सर्वश्रेष्ठ कैसे माना जा सकता है ?
और अगर कुरान में अच्छी बातें होतीं तो सब उसे स्वीकार कर लेते .मुसलमान जिहाद करके बलपूर्वक कुरान को मनवाने की कोशिश करते हैं .इस से साबित होता है कुरान ईश्वरीय किताब नहीं है .
(87/72)

ब्रजनंदन शर्मा

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