सारस का सर्वनाश,ये कैसा विकास* ।

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सारस का सर्वनाश,ये कैसा विकास

सारस इस पृथ्वी का सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है। सौभाग्य से भारत सहित दक्षिण एशिया आदि में ही पाया जाता है। गंभीर रूप से संकटग्रस्त इस पक्षी की महज पूरे विश्व में 20 से 25 हजार की आबादी मानी जाती है। इसमें भी आधे सारस भारत में पाए जाते हैं…सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है…. रामायण के आदि सर्ग में भी इसका उल्लेख मिलता है सारस अति प्राचीन काल से इस भारतवर्ष में विचरण कर रहे हैं…. संस्कृत में इस पक्षी को क्रोच कहते हैं। सरोवर नम भूमि क्षेत्र नदियों खेत खलियान की शोभा को बढ़ा रहे हैं । उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम नगर में महज 160 सारस पाए जाते हैं… गौतम बुध नगर जैसे छोटे से जिले में यह बड़ी आबादी मानी जाएगी यदि देश पूरे विश्व के आंकड़ों की तुलना करें इसमें भी सर्वाधिक सारस 89 के लगभग जेवर तहसील विधानसभा के धनोरी वेटलैंड में पाए जाते हैं जो सारस की सबसे बड़ा आवास है। जेवर एयरपोर्ट जो 60 हजार बीघा भूमि में बन रहा है प्रस्तावित है इस परियोजना से पूर्व भी धनोरी वेटलैंड को सारस पक्षी विहार बनाए जाने की मांग चल रही थी लेकिन इंसानी विकास या यू कहे जेवर एयरपोर्ट की आड़ में यमुना विकास प्राधिकरण ने सारस जैसे शानदार परिंदे के पंखों को कतर दिया है बगैर किसी जांच अनुसंधान अन्वेषण के सारस को एयरपोर्ट के लिए असुरक्षित माना गया है जबकि सारस न तो लंबा प्रवास करता है यह पूरा जीवन अपने प्राकृतिक आवास तालाब सरोवर झील के किनारे गुजर देता है इंसान के बनाए बड़े-बड़े धातु के जहाज तो आकाश में उड़ सकते हैं लेकिन भगवान का बनाया है परिंदा अब किसी को नही सुहाता क्योंकि उससे असुरक्षा है आज तक जितने भी विमान दुर्घटना हुई है किसी भी पक्षी के कारण कोई बडा विमान हादसा नहीं हुआ है बल्कि इंसान चूक तकनीकी खराबी के कारण विमान हादसे होते हैं एयरपोर्ट जैसी बड़ी परियोजनाओं की भेंट सारस जैसे परिंदे वहां की स्थानीय जैव विविधता चुकाती है कितना दुर्भाग्य जनक है जेवर एयरपोर्ट का निर्माण कर रही स्विस कंपनी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड यह दावा किया था वह पर्यावरण तकनीक का समन्वय करेगी समावेशी विकास करेगी और इस संदेश को देने के लिए उन्होंने धनोरी वेटलैंड के सारस पक्षी को लोगों के रूप में एयरपोर्ट का लोगो बनाया है लेकिन सरकार को और हमको एक जीता जागता परिंदा रास नहीं आता वह हमें Logo में ही अच्छा लगता है। एयरपोर्ट का लोगों सारस को बना लिया गया बेहतर होता सारस के लिए भी पक्षी विहार बनता दूर-दूर से पर्यटक आते जब 60000 बीघा भूमि में लाखों करोड़ से एयरपोर्ट बनाया जा सकता है तो महज प्राकृतिक तौर पर 13 सौ बीघा जमीन में फैले हुए धनोरी वेटलैंड मे देश का प्रथभ सारस विहार क्यों नहीं बन सकता था। यह भी तो एक कीर्तिमान होता है।

इस संबंध में मेरे द्वारा सूचना के अधिकार के तहत हासिल जानकारी को समाहित करते हुए दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार मनीष तिवारी जी ने बेहतरीन स्टोरी के रूप में प्रकाशित किया है तिवारी जी व जागरण परिवार का हार्दिक आभार शायद सरकारी संस्थानों को जीवो पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्य बोध हो धनोरी वेटलैंड सारस पक्षी विहार परियोजना पुनर्जीवित हो।

आर्य सागर खारी ✍

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