आज का समर्थ भारत दूसरे देशों की मंदी दूर करने की भी क्षमता हासिल कर चुका है
प्रह्लाद सबनानी
अमेरिका के साथ ही एयर इंडिया ने फ्रांस की एयरबस कम्पनी से भी 250 विमान खरीदने की घोषणा की है। इनमें से 40 बड़े आकार के ए350 और 210 छोटे आकार के विमान होंगे। इन विमानों की खरीद के लिए एयर इंडिया द्वारा एयरबस कम्पनी के साथ आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
आज कई विकसित देशों में जब मंदी की आशंका व्यक्त की जा रही है एवं ये देश आर्थिक समस्याओं से जूझते नजर आ रहे हैं, ऐसे समय में भारत की एयर इंडिया कम्पनी ने अमेरिका एवं फ्रांस जैसे विकसित देशों की कम्पनियों के साथ विश्व का सबसे बड़ा विमान समझौता सम्पन्न किया है। इस सौदे के बाद यह कहा जा रहा है कि अमेरिका एवं फ्रांस के साथ ही ब्रिटेन में भी अब मंदी की आशंका कम हो सकती है क्योंकि अमेरिका एवं फ्रांस की कम्पनियां जो विमान भारत को प्रदान करेंगी उनका इंजन एवं अन्य कलपुर्जे ब्रिटेन की कम्पनियों द्वारा बनाये जाते हैं, अतः उक्त सौदे से ब्रिटेन को भी बहुत लाभ होने जा रहा है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी की आशंका के बीच भारत में हो रहे आर्थिक विकास के चलते अब यह कहा जाने लगा है कि भारत कई देशों में आने वाली आर्थिक मंदी को टालने में मददगार हो सकता है। अभी तक तो भारत को एक गरीब देश की संज्ञा दी जाती रही है एवं इन्हीं देशों द्वारा इसे सपेरों का देश भी बताया जाता रहा है। परंतु, भारत अब पूर्ण रूप से बदल चुका है तथा कई विकसित देशों की आर्थिक मदद करने की स्थिति में पहुंच चुका है।
एयर इंडिया कम्पनी का गैर-राष्ट्रीयकरण करते हुए इसके संचालन का दायित्व हाल ही में टाटा समूह को सौंप दिया गया था एवं टाटा समूह ने 27 जनवरी 2023 को ही एयर इंडिया के अधिग्रहण का एक साल पूरा किया है। अब टाटा समूह एयर इंडिया का कायाकल्प करते हुए विमानन के क्षेत्र में नए व्यवसाय को बढ़ाने के उद्देश्य से लगभग 8,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 640,000 करोड़ रुपए) मूल्य के 470 नए विमानों की खरीद कर रहा है। इसी संदर्भ में एअर इंडिया ने अमेरिका की बोइंग कम्पनी से 220 विमान एवं फ्रांस की एयरबस कम्पनी से 250 विमान खरीदने की घोषणा की है। अमेरिका की बोइंग कम्पनी एवं फ्रांस की एयरबस कम्पनी के साथ एयर इंडिया का ऐतिहासिक सौदा हालांकि 470 विमानों के लिए हुआ है परंतु इसका स्वरूप और बड़ा भी हो सकता है क्योंकि एयर इंडिया के पास अगले 10 वर्षों के दौरान अतिरिक्त 370 विमान खरीदने का विकल्प भी मौजूद है, इस प्रकार यह संख्या बढ़कर 840 विमानों तक भी जा सकती है। यह विमान सौदा विश्व के इतिहास में अभी तक किए गए सबसे बड़े विमान सौदों में से एक है। इसके पूर्व अमेरिकन एयरलाइन कम्पनी ने वर्ष 2011 में 460 विमान एक साथ खरीदे थे।
एयर इंडिया की स्थापना टाटा समूह ने वर्ष 1932 में की थी एवं वर्ष 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। राष्ट्रीयकरण के बाद से चूंकि एयर इंडिया कम्पनी की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई, अतः 7 दशकों बाद इसका अधिग्रहण पुनः टाटा समूह द्वारा कर लिया गया। टाटा समूह के स्वामित्व में आने के बाद एयर इंडिया का विमान खरीदने सम्बंधी यह पहला सौदा है एवं पिछले 17 साल में भी यह पहला मौका है जब एयर इंडिया विमान खरीद का सौदा सम्पन्न करने जा रहा है। विमान खरीदने के साथ ही एयर इंडिया द्वारा सीएफएम इंटरनेशनल (सीएफएम), रोल्स-रॉयस और जीई एयरोस्पेस के साथ इंजनों के दीर्घकालिक रखरखाव के लिए भी समझौता सम्पन्न कर लिया गया है। यह समझौता एयर इंडिया को विश्व स्तरीय एयरलाइन में बदलने और भारत को दुनिया के हर बड़े शहर से सीधे जोड़ने की टाटा समूह की आकांक्षा को दर्शाता है।
आज भारत में हवाई यात्रा के मामले में बहुत प्रभावशाली वृद्धि दर दर्ज हो रही है, इसलिए इतनी बड़ी संख्या में एक साथ विमान खरीदे जा रहे हैं। भारत में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या वर्ष 2022 में 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 12.32 करोड़ यात्री रही थी, जो आगे आने वाले वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ने जा रही है। इसी प्रकार, एयरपोर्ट की संख्या भी वर्ष 2014 में केवल 74 थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 140 हो गई एवं वर्ष 2025 में भारत में एयरपोर्ट की संख्या 220 हो जाने की सम्भावना है। भारत में वर्ष 2014 में केवल 400 विमान थे जो वर्ष 2022 में बढ़कर 710 हो गए एवं वर्ष 2025 में विमानों की संख्या 1200 हो जाने की सम्भावना है। इस प्रकार एविएशन क्षेत्र में अगले दो वर्षों में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होने जा रहे हैं।
अमेरिका के लिए उक्त समझौता आर्थिक दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण है कि उक्त समझौते के सम्पन्न होते ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर चर्चा करते समय इस समझौते की सराहना करते हुए कहा है कि एयर इंडिया एवं बोइंग के बीच सम्पन्न हुए इस ऐतिहासिक समझौते से भारत एवं अमेरिका के आपसी रिश्ते भविष्य में और अधिक प्रगाढ़ होंगे। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ की एक घोषणा के अनुसार, बोइंग और एअर इंडिया एक समझौते पर पहुंचे हैं, जिसके तहत एअर इंडिया बोइंग से 3,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर में 220 विमान खरीदेगी। इनमें 190 बी737 मैक्स 20 बी787, और 10 बी777एक्स शामिल हैं। इस समझौते के अंतर्गत 70 और विमान खरीदने का विकल्प होगा जिससे कुल लेन-देन का मूल्य 4,590 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। उक्त समझौते से अमेरिका के 44 राज्यों में 10 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह ऐसे समय पर होने जा रहा है जब पूरा विश्व ही एक तरह से आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है।
अमेरिका के साथ ही एयर इंडिया ने फ्रांस की एयरबस कम्पनी से भी 250 विमान खरीदने की घोषणा की है। इनमें से 40 बड़े आकार के ए350 और 210 छोटे आकार के विमान होंगे। इन विमानों की खरीद के लिए एयर इंडिया द्वारा एयरबस कम्पनी के साथ आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों भी मौजूद थे। बड़े आकार के विमान का इस्तेमाल लंबी दूरी की उड़ानों के लिए किया जाता है। उल्लेखनीय है कि 16 घंटे से अधिक की उड़ानों को लंबी दूरी की उड़ान कहा जाता है। आज फ्रांस, भारत के साथ हुई उसकी स्ट्रेटेजिक सहभागिता को लेकर बहुत प्रसन्न है।
इसी प्रकार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इस समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है एवं कहा है कि उक्त सौदे का सीधा सीधा लाभ ब्रिटेन को भी मिलेगा क्योंकि इन विमानों के इंजन का निर्माण ब्रिटेन की रोल्स रोयस कम्पनी करती है एवं अन्य कई पुर्ज़ों का निर्माण भी ब्रिटेन में ही किया जाता है, अतः ब्रिटेन में हजारों की संख्या में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
अमेरिका, फ्रांस एवं ब्रिटेन के साथ-साथ भारत को भी उक्त सौदे से बहुत लाभ होने जा रहा है। एक तो फ्रांस ने घोषणा की है कि वह भारत में विश्व की सबसे बड़ी एयर क्राफ़्ट मेंट्नेन्स वर्कशॉप खोलने जा रहा है। इस प्रकार, भारत एविएशन क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा मेंट्नेन्स हब बनने जा रहा है। इससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा, आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी एवं रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होंगे। साथ ही, निकट भविष्य में भारत एविएशन सेक्टर में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। कई आकलनों के अनुसार भारत को अगले 15 वर्षों में 2000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होगी। अभी तो केवल यह शुरुआत भर हुई है। एयरो स्पेस मैन्युफ़ैक्चरिंग के क्षेत्र में भी भारत में बहुत एवेन्यूज खुल रही हैं। दूसरे, इतने बड़े सौदे को सम्पन्न होते देखकर अब ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता भारत की शर्तों के अनुसार शीघ्र सम्पन्न हो सकता है। तीसरे, अब रूस भी भारत के साथ अपने सुरक्षा सम्बन्धों को और अधिक मजबूत करने का प्रयास करेगा। साथ ही, भारत के सम्मान की दृष्टि से यह एक बहुत बड़ी खबर है अतः अब अन्य देशों का भी भारत पर विश्वास और बढ़ेगा।
भारत हालांकि एक विकासशील देश है परंतु आज वह विकसित देशों की मदद करने के मामले में बहुत आगे आ रहा है। अभी हाल ही में भूकम्प के कारण संकट में आए तुर्की एवं सीरिया को भी भारत ने भरपूर मदद पहुंचाई है, बगैर यह विचार किए कि पूर्व में तुर्की एवं सीरिया दोनों ही देश भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी भारत ने 150 देशों को दवाईयां, मेडिकल इक्विप्मेंट एवं वैक्सीन आदि सामान पहुंचा कर उनकी निस्वार्थ भाव से मदद की है। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए यह गर्व का विषय हो सकता है कि भारतीय उद्योग अब इतने बड़े हो गए हैं कि वे अन्य विकसित देशों में रोजगार के अवसर निर्मित करने की क्षमता रखते हैं। कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, जैसे गूगल, माइक्रसॉफ़्ट, फेसबुक, आदि कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं ऐसे समय में भारतीय कम्पनी एयर इंडिया 470 विमान एक साथ खरीद रही है। यह अपने आप में भारत की बदलती आर्थिक तस्वीर की कहानी है।