संघप्रमुख का कहा सज्जन राष्ट्रवादी मुस्लिमों को तो सदा से स्वीकार है

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प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार 



 “तोड़ दूंगा ये सारे बुत ए खुदा

पहले यह तो बता तुझको इनसे इतनी जलन क्यों है। 

आए हैं कहां से ये बुत तेरे ही बनाए हुए पत्थरों और मिट्टियों से 

पहले यह तो बता की उन पत्थरों और मिट्टियों में क्या तू नही है?”

किसी शायर का ये शेर खयाल आया जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव जी भागवत के साक्षात्कार मे कही गई सकारात्मक बातों का भी घोर विरोध हुआ। 

          हुआ यह की डॉक्टर मोहनराव भागवत ने विश्वप्रसिद्ध पत्रिका पाञ्चजन्य (हिंदी) और ऑर्गनाइजर (अंग्रेजी) से हुए संवाद में हितेश शंकर और प्रफुल्ल केतकर को एक इंटरव्यू दिया। इसमे संघप्रमुख मे मुस्लिम संदर्भ मे जों बातें कहीं उनके ऊपर बड़ा बवाल सा मचा हुआ है। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी तो भागवत जी की दो मिनिट की बात पर लगभग एक घंटा तक जहर उगलते रहे। ओवैसी संघप्रमुख के “मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं” वाले व्यक्तव्य पर अनावश्यक राजनीति कर रहे हैं। 

           यदि अपने साक्षात्कार में भागवत जी ने ऐसा कहा तो क्या गलत कहा कि, ‘‘इस्लाम को कोई खतरा नहीं है, लेकिन हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर से राजा बनें…यह भाव छोड़ना पड़ेगा।’’ उन्होने आगे कहा कि हिंदू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसे ‘हम बड़े हैं’ का भाव छोड़ना पड़ेगा। ‘‘हिन्दुस्थान, हिन्दुस्थान बना रहे, सीधी-सी बात है। इससे आज भारत में जो मुसलमान हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं है। वह हैं। रहना चाहते हैं, रहें। पूर्वज के पास वापस आना चाहते हैं, आएं। उनके मन पर है।’’ कोई हिन्दू है, तो उसे भी यह श्रेष्ठता का भाव छोड़ना पड़ेगा। जनसंख्या असंतुलन अव्यवहार्य बात है क्योंकि जहां असंतुलन हुआ, वहां देश टूटा, ऐसा सारी दुनिया में हुआ।

              इस साधारण किंतु सत्य बात पर ओवैसी ने पूरे देश मे अपनी जहर की दुकान खोल ली है। पर इस आलेख मे ओवैसी की चर्चा के स्थान पर कुरान की कुछ आयतों के संदर्भ मे चर्चा अधिक उपयुक्त होगी। कुछ आयते हैं जो मुस्लिम विश्व मे विश्वसनीय नहीं है किंतु इन्हीं आयतों के आधार पर देश के मुस्लिम बच्चों और युवाओं मे ओवैसी और इस जैसे कई अन्य मुल्ला मौलवियों द्वारा कट्टरता का फैलाव किया जा रहा है। इन आयतों के आधार पर ही मुस्लिम कट्टरवादी संगठन ISIS का गठन हुआ है। 

              कुछ मुस्लिमों की यह सोच कि, हमने यहां आठ सौ वर्ष तक राज किया है और आगे भी करेंगे, यह गजवा ए हिंद वाली सोच है। गजवा ए हिंद का कोई उल्लेख कुरान शरीफ मे नहीं है किंतु अशिक्षित मुस्लिमों को गजवा ए हिंद का पाठ कुरान के नाम पर पढ़ाकर अतिशय कट्टर और देशविरोधी बनाया जा रहा है। असल मे एक हदीस की गलत व्याख्या करके गजवा ए हिंद शब्द गढ़ा गया है। इस हदीस मे कहा गया है – मेरी उम्मत का एक गिरोह जहन्नुम से आजाद होगा जो हिंद की तरफ गजवा करेगा (सुनान अन निसाई 3175), देवबंद ने इसका विरोध किया है। 

         इस प्रकार भारतीय मुस्लिम जगत मे भारत के विरोध का सम्पूर्ण मामला ही कुरान मे बाद मे जोड़ी गई कुछ गलत आयतों के कारण उपजा है। इन आयतों से भारत का एक बड़ा मुसलमान वर्ग सहमत नहीं है किंतु कट्टरपंथी मुस्लिम नेता इन्हे नफरत पैदा करने का हथियार बनाए हुए हैं। 

                भागवत जी ने जो कहा उसका कोई भी भारतीय मुसलमान गलत अर्थ नहीं निकाल सकता है, यदि उसका विश्वास इन विवादित आयतों पर नहीं हो तो। जो मुसलमान इन विवादित आयतों को मानेगा वही भारत मे हिंदू विरोधी या राष्ट्रविरोधी हो पाएगा। 

        हमने भारत मे आठ सदी तक राज किया है और हम यहां फिर से राज करेंगे। मूर्तिपूजकों को मार डालेंगे। इस्लाम के अलावा कोई धर्म सच्चा नहीं है, ऐसी बातें मूल कुरान मे नहीं है। ये सारा आतंकी और नफरत भरा मसाला बाद मे कुरान मे जोड़ा गया है। कुछ दिनों पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की ऐसी ही 26 आयतों को हटाने के लिए जनहित याचिका लगाई थी। रिजवी के अनुसार, कुरान की इन आयतों से देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को खतरा है। ये आयतें नकारात्मक हैं और हिंसा व नफरत को बढ़ावा देती हैं। कहा गया है कि कुरान की इन 26 विवादित आयतों को क्षेपक (एपेंडिक्स) के तौर पर कुरान शरीफ में शामिल किया गया है। इन आयतों को हटाने की बात करने पर वसीम रिजवी का सिर कलम करने वाले को 11 लाख का ईनाम घोषित है।  रिजवी को इस्लाम से भी बाहर कर दिया गया है। 

          जिन 26 आयतो से मुस्लिम समाज के कुछ लोग कट्टर ही नहीं बल्कि अन्य धर्मावलम्बियों के जानलेवा दुश्मन हो जाते  हैं, उनमे से कुछ निम्नानुसार हैं- 

Verse 9 Surah 5 فَاِذَاانْسَلَخَالۡاَشۡهُرُالۡحُـرُمُفَاقۡتُلُواالۡمُشۡرِكِيۡنَحَيۡثُوَجَدْتُّمُوۡهُمۡوَخُذُوۡهُمۡوَاحۡصُرُوۡهُمۡوَاقۡعُدُوۡالَهُمۡكُلَّمَرۡصَدٍ ۚفَاِنۡتَابُوۡاوَاَقَامُواالصَّلٰوةَوَاٰتَوُاالزَّكٰوةَفَخَلُّوۡاسَبِيۡلَهُمۡ ؕاِنَّاللّٰهَغَفُوۡرٌرَّحِيۡمٌ

अर्थ: फिर, जब रमजान बीत जाएं तो मुशरिकों को जहां पाओ उनका क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो, उन्हें घेरो और उनपर घात लगाओ। फिर यदि वे क्षमा मांगे और नमाज़ पढ़कर ज़कात (मस्जिद को दान) दें तो उन्हे छोड़ दो। 

Verse 4 Surah 56 اِنَّالَّذِيۡنَكَفَرُوۡابِاٰيٰتِنَاسَوۡفَنُصۡلِيۡهِمۡنَارًاؕكُلَّمَانَضِجَتۡجُلُوۡدُهُمۡبَدَّلۡنٰهُمۡجُلُوۡدًاغَيۡرَهَالِيَذُوۡقُواالۡعَذَابَ ؕاِنَّاللّٰهَكَانَعَزِيۡزًاحَكِيۡمًا‏

अर्थ: जो हमसे असहमत हैं, उन्हें हम आग में झोंकेंगे। जब  उनकी खालें पक जाएंगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल देंगे, ताकि वे यातना भोगते रहें। 

Verse 5 Surah 57 يٰۤـاَيُّهَاالَّذِيۡنَاٰمَنُوۡالَاتَـتَّخِذُواالَّذِيۡنَاتَّخَذُوۡادِيۡنَكُمۡهُزُوًاوَّلَعِبًامِّنَالَّذِيۡنَاُوۡتُواالۡكِتٰبَمِنۡقَبۡلِكُمۡوَالۡـكُفَّارَاَوۡلِيَآءَ ۚوَاتَّقُوااللّٰهَاِنۡكُنۡتُمۡمُّؤۡمِنِيۡ

अर्थ: ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हंसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इस्लाम से इंकार करने वालों को अपना मित्र न बनाओ। 

Verse 41 Surah 27 فَلَـنُذِيۡقَنَّالَّذِيۡنَكَفَرُوۡاعَذَابًاشَدِيۡدًاۙوَّلَنَجۡزِيَنَّهُمۡاَسۡوَاَالَّذِىۡكَانُوۡايَعۡمَلُوۡنَ‏

अर्थ: जिन्होंने इस्लाम से इंकार किया उन्हें हम कठोर यातना देंगे और उसका बदला देंगे जो निकृष्ट कर्म  करते रहे हैं। 

Verse 8 Surah 65 يٰۤـاَيُّهَاالنَّبِىُّحَرِّضِالۡمُؤۡمِنِيۡنَعَلَىالۡقِتَالِ ؕاِنۡيَّكُنۡمِّنۡكُمۡعِشۡرُوۡنَصَابِرُوۡنَيَغۡلِبُوۡامِائَتَيۡنِ ۚوَاِنۡيَّكُنۡمِّنۡكُمۡمِّائَةٌيَّغۡلِبُوۡۤااَلۡفًامِّنَالَّذِيۡنَكَفَرُوۡابِاَنَّهُمۡقَوۡمٌلَّايَفۡقَهُوۡنَ

अर्थ: ऐ नबी! मुस्लिमों मे जिहाद को जिहाद बढ़ाओ। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमा होंगे, तो वे दो सौ पर हावी होंगे और यदि तुम सौ होंगे तो वे इस्लाम से इंकार करने वाले एक हज़ार पर हावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग हैं। 

              समय समय पर भारतीय मुस्लिम समाज से संवाद करने वाले संघप्रमुख ने यदि अपने साक्षात्कार मे कोई संदेश दिया है तो वह निश्चित ही भारत मे एकता व अखंडता बढ़ाने के  उद्देश्य से ही दिया गया होगा। यह बात मुस्लिम समाज भली भांति समझता है।
दो माह पूर्व ही दिल्ली के एक मदरसे मे जाकर मुस्लिम समाज व धर्मगुरुओं से संवाद करके संघ प्रमुख ने संघ का सकारात्मक, प्रगतिशील व रचनात्मक आशय व स्वरूप प्रदर्शित कर दिया था। वस्तुतः मदरसों की इस्लामिक शिक्षा मे कुरान की इन आयतो को पढ़ाने  से बच्चे कट्टर और रूढ़िवादी हो जाते हैं। विज्ञान और अन्य विषयों की पढ़ाई को मदरसों में महत्व नहीं मिलता है। संघ की चिंता है कि इन आयतों का हवाला देकर मुस्लिम नौजवानों का सतत हो रहा ब्रेनवॉश रोका जाए। जेहाद के नाम पर भड़काना, बहकाना, और उकसाना रुकना चाहिए।  क्योंकि यही बाते देश की देश की एकता, अखंडता हेतु बड़ी घातक हैं। 

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव जी भागवत ने अपने साक्षात्कार मे जो कहा उसे मुस्लिम समाज के प्रति उनकी सकारात्मक चिंता, सजगता व राष्ट्रनिर्माण के मार्ग मे मुसलमानों की भूमिका सुनिश्चित करने का रोडमैप मात्र माना जाना चाहिए। उनके कहे की व्याख्या न इससे एक शब्द कम हो सकती है और एक शब्द अधिक। 

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