संस्कारी संतान समाज व राष्ट्र की धरोहर — डॉ.श्रद्धा

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महरौनी ललितपुर। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 15 दिसंबर 2022 बुधवार को “संस्कारों के महत्व ” विषय पर मुख्य वक्त्री प्रसिद्ध वैदिक विदुषी डॉ.श्रद्धा जी ने कहां कि संस्कार से बच्चों में गुण का रोपण होता है इसीलिए कहा गया है -“संस्कारो हि गुणान्तराधानम् । मनुष्य के जीवन में समय -समय पर संस्कार करने -कराने का व विधान शास्त्रों में आता है। संस्कार 16 प्रकार के होते हैं जिनमें गर्भाधान , पुंसवन, श्रीमंतोउन्नयन, जात कर्म नामकरण निष्क्रमण,अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, कर्णवेध, उपनयन वेदा रंभ,समावर्तन, विवाह , वानप्रस्थ, सन्यास एवं अंत्येष्टि। प्रथम तीन संस्कार बच्चों के अंतः विकास के साथ-साथ शारीरिक एवं मानसिक उन्नति के लिए किया जाता है। जन्म के पश्चात बाह्यविकास के लिए संस्कारों में बच्चों को वेद के प्रति, भारतीय संस्कृति के प्रति एवं कुपोषण से बचने के लिए निदान बताए जाते हैं। संस्कारों से बच्चे गुणों से परिपूर्ण होते हैं और संस्कारी संतान से ही परिवार ,समाज एवं राष्ट्र की उन्नति भी होती है और यही संस्कारी संतान ही समाज एवं राष्ट्र की धरोहर भी होती है। डॉ श्रद्धा ने नव दंपति के लिए मनचाही संतान हेतु महर्षि दयानंद कृत संस्कार विधि एवं सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक पढ़ने की सलाह दी। वेदोक्त मनुर्भव “को चरितार्थ करने के लिए संस्कारों का प्रचलन समाज में होते रहना चाहिए ।विशेषकर नारियों को इसके प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है।
उक्त विषय पर अन्य वक्ताओं में प्रसिद्ध वैदिक विद्वान् प्रो. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक ने कहा कि संस्कार भारतीय संस्कृति की पहचान है और सभी संस्कारों में विधि -विधान के साथ वैदिक यज्ञ करने का विधान है। यज्ञ के बिना संस्कार पूर्ण नहीं होता, क्योंकि संस्कारों की आत्मा ही ्यज्ञ है। निसंदेह संस्कारों द्वारा मनुष्य देवत्व को प्राप्त करता है। इसी क्रम में प्रो। डॉक्टर कपिल देव शर्मा दिल्ली,डॉ.वेद प्रकाश शर्मा बरेली, अनिल कुमार नरूला दिल्ली, आर्य चंद्रकांता क्रांति हरियाणा, युद्धवीर सिंह हरियाणा, देवी सिंह आर्य दुबई, शिक्षिका सुमनलता सेन आर्यां, शिक्षिका आराधना सिंह, शिक्षक अवधेश प्रताप सिंह बैंस,—नाम जोड़ लेंगे

कार्यक्रम का प्रारंभ में कमला हंस दया आर्य,हरियाणा,कविता राठी, संतोष सचान, आदिति आर्य ने भजनों की सुंदर प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालन भारतीय इतिहास पुनर् लेखन के राष्ट्रीय संयोजक आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब प्रति आभार जताया।

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