महर्षि दयानंद सरस्वती और आर्य समाज ही विश्व मानवता को सत्य व धर्म का सर्वहितकारी मार्ग बताने में सक्षम — आचार्य राम निवास गुणग्राहक
महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित “आर्यों का महाकुंभ “में दिनांक 11 दिसंबर 2022 रविवार को प्रसिद्ध वैदिक विद्वान् आचार्य रामनिवास के गुण ग्राहक भरतपुर ,राजस्थान ने “”महर्षि दयानंद सरस्वती और आर्य समाज की विश्व मानवता को देन”” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपने वैदिक चिंतन और योग बल से वेदों का भाष्य करते हुए मानवता का प्रचार किया और अपने गुरुदेव पूज्य पाद प्रज्ञा चक्षु दंडी स्वामी बिरजानन्द के आदेश पर वेदों का प्रचार, भारत की दुर्दशा, नारियों का उत्पीड़न ,पाखंडों के निवारण एवं भारत की पराधीनता को स्वाधीनता में बदलने के लिए पूरे जीवन को दक्षिणा के रूप में लिया ।यही कारण है कि महर्षि दयानंद ने सत्य धर्म का सही निरूपण करते हुए वेद को ईश्वरीय कल्याणी वाणी कहते हुए डिण्डिम घोषणा की –वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है ।वेद का पढ़ना -पढ़ना और सुनना- सुनाना सब आर्यां का परम धर्म है।इस नियमम के पालन से ईश्वर के नाम पर जो पाखण्ड और अन्धविश्वास फैले हैं उसका सम्यक् निदान हो सकता है।उक्त विषय पर प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. राकेश कुमार आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद का संपूर्ण जीवन विश्व के कल्याण के लिए समर्पित रहा और उनका आर्य समाज सबको सन्मार्ग पर ले जाकर मानवीय मूल्यों की रक्षा कर मानवता का पाठ पढ़ाता है ।आवश्यकता है हम महर्षि के बहुआयामी व्यक्तित्व और बहु प्रतिभा संपन्न वैदिक मान्यताओं जिनमें पंच महायज्ञ को पूरे विश्व में फैलाने का कार्य आर्य समाज द्वारा किया जा रहा है अमेरिका के वाशिंगटन में तथा नासा के वैज्ञानिकों के द्वारा यज्ञ के महत्व पर अनेक अन्वेषण हो रहे हैं और चिकित्सा विज्ञान को लेकर यज्ञ की महत्ता विश्व पटल पर सुरभित और अंकित हुई है।
उक्त विषय को बढ़ाते हुए सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान प्रो.डॉ. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार ने कहा कि महर्षि दयानंद ने अपने संपूर्ण जीवन दर्शन को लोकहित में लगा दिया और उनका दिया सत्यार्थ प्रकाश और उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज विश्व को मानवता का पाठ पढ़ा रहा है । मनुर्भव” इस वैदिक संदेश को जन -जन तक पहुंचाने का काम कर रहा है। महर्षि दयानंद ने संपूर्ण विश्व को आर्य बनाने की बात कही और “कृण्वंतो विश्वमार्यम् “का उद्घोष करते हुए वेदों की ओर लौटने की प्रेरणा दी ।आज आवश्यकता है कि हम महर्षि स्वामी दयानंद के विचारों का प्रचार प्रसार करते हुए आर्य समाज की मान्यताओं और सिद्धांतों पर विवेचन करते हुए मानव कल्याण करें।
कार्यक्रम में प्रो. डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली ,प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली ,युद्धवीर सिंह हरियाणा, माता आर्या चंद्रकांता ” क्रांति”हरियाणा, सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद, चंद्रशेखर शर्मा जयपुर, रामकुमार पाठक शिक्षक,, सुमनलता सेन आर्य शिक्षका,, आराधना सिंह शिक्षका,परमानंद सोनी भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह बैंस,रामसेवक निरंजन शिक्षक,राम किशोर विश्वकर्मा शिक्षक,रामकुमार दुबे शिक्षक,, विमलेश कुमार सिंह, आदि ने भी अपने विचार रखें। आर्यों का कुंभ कार्यक्रम में प्रतिदिन सैकड़ों लोग विश्व भर से जुड़ रहे हैं और लाभ प्राप्त कर रहे हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में कमला हंस ,दया आर्या, ईश्वर देवी ,आदिति आर्य ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालन भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन समिति के राष्ट्रीय संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।