जिन्हें काबा के अंदर नमाज पढ़ने का मिला सम्मान, उन ‘सचवाला’ ने भी आखिर क्यों छोड़ दिया इस्लाम ?*

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(आवश्यक नोट- *न्यूज नेशन के कार्यक्रम ‘क्या कहता है इस्लाम’* पर पूर्व मौलाना सचवाला बैठे और उन्होंने बताया कि 60 साल की उम्र में उन्होंने इस्लाम क्यों छोड़ा ? )

*एंकर* – हमारे साथ आज मौजूद हैं सच वाला साहब । जैसा कि आप जानते हैं कि हमारा कार्यक्रम क्या कहता है इस्लाम में । हम इस्लाम से जुड़ी बातों को उठाते हैं उसी सिलसिले में आज हमने सच वाला साहब से बात की है जो हमें ये बताएंगे कि *आखिर क्यों उन्होंने इस्लाम छोड़ा ?* सच वाला साहब अपनी आंखें भी नहीं दिखाते हैं क्योंकि उनको जान से मारने की धमकियां आती हैं उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है और लोग उनके लेक्चर सुनते हैं तो इंतजार खत्म आइए खुद सचवाला साहब से ही जानते हैं उनके बारे में ।

*सचवाला का उत्तर-* हम एक्स मुस्लिम नहीं *बल्कि एक्स मुल्ला* हैं । 10 साल की उम्र में मुझको कुरान याद हो गई थी । हम लोगों को कुरान पढाया करते थे अपने मोहल्ले की जामिया मस्जिद में हम बाकायदा नमाज पढ़वाते थे और हमने दस्ते निजामी से आलिम कोर्स कंप्लीट किया था । *हमने मदरसे की तालीम पूरी की*
थी ! मेरी उम्र 16 साल थी तब मैंने सऊदी अरब में अपने शहर की नुमाइंदगी की थी । सऊदी अरब में इस्लाम के इल्म पर कंपटीशन हुआ था मुझे सऊदी अरब में बहुत सारे प्राइज मिले थे और *मुझको काबा के अंदर जाने का मौका भी मिला* । एक साल तक मुझे मक्का मस्जिद में रहने का मौका मिला । *मैंने काबा के अंदर 6 रकत नमाज भी पढी* । इसके बाद साल 1983 में मैं सऊदी अरब गया वहां मैं 30 साल तक रहा और कमर्शियल ग्राफिक्स डिजाइनिंग की जॉब भी की । मैंने वहां एक जामा मस्जिद में खिताब भी किया था । *अरबी स्कॉलर के साथ मैंने काफी टाइम भी बिताया ।*

*एंकर* – तो फिर हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर आप एक साल तक काबा की मस्जिद में रहे । 10 साल में आपको कुरान भी याद हो गई थी तो भी आखिर ऐसा क्यों हुआ कि *आपने अचानक इस्लाम छोड़ दिया ?*

*सचवाला का उत्तर-* अचानक नहीं छोड़ा है अभी छोड़ा है 2 साल पहले 60 साल की उम्र में । इस्लाम छोड़ने का फैसला आसान नहीं था । इस्लाम को अचानक नहीं छोडा । *जिंदगी भर कुरान के टेक्स्ट पर गौर करते रहे तब फैसला किया* । एक दो बातों से कोई नहीं फिर जाता है । इस्लाम सेकेंड नेचर बन जाता है ये खून में घुल जाता है एक मजहब जो आदत बन गया था उसको कुरान की वजह से छोड़ दिया । *दरअसल कुरान अल्लाह का कलाम है ही नहीं क्योंकि अल्लाह शब्द कुरान में दो हजार नौ सौ अट्ठाइस बार आया है वहां हर जगह अल्लाह शब्द थर्ड पर्सन की तरह आया है कुरान में एक जगह भी ये नहीं लिखा है कि मैं अल्लाह हूं और ये मेरा कलाम है ।* जब मुझे कुरान की इन बातों का पता चला तो मुझे लगा कि ये अल्लाह का कलाम नहीं है । इस शक के स्पष्टीकरण के लिए मैं उलेमा के पास गए थे । मैंने कई उलेमाओं से सवाल पूछे लेकिन किसी ने भी *संतोष जनकर उत्तर नहीं दिया*

*एंकर* – वो कौन से सवाल थे क्या आप साझा कर सकते हैं ?

*सचवाला का उत्तर-* 4 डॉट्स होते हैं जिसको मैच करने की कोशिश मैंने बहुत बार की लेकिन हीं कर सका । पहली मक्का दूसरी मोहम्मद तीसरा 570 और चौथी 632 ये मैच नहीं हो रहे हैं ।

*एंकर* – आप हमें समझाइए कि इसका मतलब क्या है ?

*सच वाला का उत्तर-* मैंने उलेमा से पूछा कि ये हदीस का जो जखीरा है उसे हमें मानने का हक्म क्या कुरान का लिखने वाला देता है ? *पूरे कुरान में कहीं हदीस को मानने का हुक्म नहीं है ।* तो मैंने हदीस को मानना छोड़ दिया लेकिन तब उस जमाने में मुझे कुरान पर ईमान था । मेरी बीवी जिसने मेरे साथ 27 साल गुजारे थे उसने मुझे छोड़ दिया । मेरी बेटी ने भी मुझे छोड़ दिया । मेरा मां बाप ने भी मेरा बायकॉट कर दिया ।

*एंकर* – सिर्फ हदीस ना मानने पर बायकॉट ?

*सचवाला का उत्तर-* हां ! मैंने कुरान पर बहुत फोकस किया लेकिन मुझे जवाब नहीं मिला मैं रातों में उठकर रोता था

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*नोट- कई मित्रों ने 9990521782  मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की , लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव,  दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना*
Continue

*एंकर- क्या ऐसी बातें थीं जिसकी वजह से आपका मन खट्टा हो गया*

*सचवाला का उत्तर-* हमें बचपन से ये बताया गया था कि कुरान का एक एक पेज ऐसा ही है जैसा प्रॉफेट के ज़माने में था लेकिन जब मैंने ये जांचने की कोशिश की तो पता चला कि *प्रोफेट के जमाने का कुरान ही नहीं मिलता है* और इतना ही नहीं तीन शुरूआती खलीफा तक का कुरान नहीं मिलता है । लेकिन ओल्डेस्ट कुरान समरकंद के म्यूजियम में है इस्तांबुल के म्यूजियम में है लेकिन ये सभी 8वीं नवीं सदी के लिखे हुए हैं जबकि प्रोफेट की डेथ 632 ईस्वी में हुई । *मैं हैरान हूं कि प्रॉफेट के जमाने का कुरान कहां है मैं उस पर ईमान लाना चाहता हूं ।* मैं ऐलान करता हूं कि अगर प्रोफेट के जमाने का कुरान मुझे दे दीजाए तो मैं लाइव आपके टीवी पर इस्लाम कबूल कर लूंगा तो मैं ऐसे कुरान पर ईमान कैसे लाऊं ?

धन्यवाद

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