शब्दों में वो शक्ति भर दो की वीरों सी हुँकार लगे

काव्य मुक्तक

शब्दों में वो शक्ति भर दो की वीरों सी हुँकार लगे,

और कलम में धार रखो की वो मानो तलवार लगे,

काव्य रचो हरदम ऐसा तुम जिसमें सिंह गर्जना हो,

जो दुश्मन की छाती पर भी भीषण एक प्रहार लगे,

आँधियों और तूफानों से तुम परेशान मत होना,

आये कैसा भी संकट तुम मगर हैरान मत होना,

यहाँ कर्मों से बदल जाती लिखी तकदीर की रेखा,

मिले चाहे खान कंचन की किन्तु ईमान मत खोना,

अपने शहीदों का सदा ही गान बनकर तुम रहो,

हिन्द की मिट्टी की इक पहचान बनकर तुम रहो,

भरकर कलम में राष्ट्रहित चिंतन की स्वाही को,

दिलों में हौसलें रखो सदा चट्टान बनकर तुम रहो,

कवि अगर हो तो तुलसी सूर कबीर के सानी बनो,

हो गर देश के सैनिक तो सुभाष की निशानी बनो,

अंग अंग में हो उमंग उत्साह उफनाता हुआ,

समेटकर सब साथ ओज श्रृंगार की वानी बनो,

जिसकी रक्त शिराओं में भी मात्रभूमि का स्पंदन है,

जिसको अपने खेतों की ही माटी लगती चन्दन है,

जिसके पोर पोर में सच्चा हिन्दुस्तान धडकता है,

ऐसे वसुधा के नन्दन का मेरा शत शत वन्दन है,

कविचेतननितिन खरे

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