मंजुनाथ के हत्यारे, उम्र-कैद काफी नहीं

सर्वाच्च न्यायलाय बधाई का पात्र है कि उसने एस़ मंजुनाथ के छह हत्यारों को उम्र-कैद की सजा सुनाई है। यह मंजुनाथ कौन है?मंजुनाथ हमारी इंडियन आइल कारपोरेशन के मेनेजर थे। 27 वर्षीय इस मेनेजर ने उत्तर प्रदेश के लखिमपुर खीरी में एक पेट्रोल पंप को मिलावट करते हुए पाया। उसे पता चला कि वे पेट्रोल पंप तेल में मिलावट ही नहीं करता है बल्कि ग्राहकों को नाप-तोल में भी ठगता है। 19 नवंबर 2005 को जब मंजुनाथ पेट्रोल का नमूना लेने और जांच करने पहुंचे तो पेट्रोल पंप पर ही उनकी हत्या कर दी गई।

मंजुनाथ जैसे कई ईमानदार और साहसी अफसरों की हत्या पहले भी हो चुकी है लेकिन मंजुनाथ के हत्यारे इसलिए पकड़े गए कि मंजुनाथ लखनऊ के आईआईएम का छात्र रहा है और उसके साथी छात्रों ने उन्हें पकड़वाने का बीड़ा उठा लिया था। मंजुनाथ के पुराने सहपाठी अंजलि मुलट्टी और एच़ जयशंकर ने मंजुनाथ षण्मुखम ट्रस्ट बनाया। और इस ट्रस्ट के माध्यम से वे पिछले 10 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस संस्था के कई युवक सात-आठ साल पहले दिल्ली भी आए थे और उन्होंने पत्रकारों से मिलकर हत्यारों के विरूद्ध जमकर अभियान भी चलाया था। स्वयं मंजुल के परिवार वाले इतने गरीब हैं कि वे बेचारे मुकदम कैसे लड़ते? उनकी मदद प्रसिद्ध वकील कामिनी जायसवाल ने की।

मंजुनाथ ने अपना जीवन-दान देकर देश के सभी सरकारी अधिकारियों के लिए आदर्श उपस्थित किया है। मंजुनाथ-जैसे लोग वास्तविक भारत-रत्न हैं। मंजुनाथ ने भारत का गौरव बढ़ाया है। अभी जबकि सरकारी अधिकारी और बड़े से बड़े नेता भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी करते हुए पकड़ाए जाते हैं वही  मंजुनाथ- जैसे युवक अपने प्राणों की आहुति देते सामने आते हैं।

मंजुनाथ के हत्यारों को उम्र कैद दी गई है। अदालत ने यह फैसला बहुत सोच-समझकर किया होगा लेकिन यह सजा अखबारी खबर के अलावा क्या है? यह फैसला सिर्फ खबर ने बने बल्कि प्रेरणादायी घटना बन जाए, इसके लिए यह जरूरी है कि मंजुनाथ के हत्यारों को लखनऊ या दिल्ली के किसी प्रसिद्ध चौराहे पर हजारों की भीड़ के सामने फांसी पर लटकाया जाए। इससे हत्या भी हतोत्साहित होगी और मिलावट भी! क्या मंजुनाथ के लिए लड़ने वालों को भी कोई संस्था सम्मानित करेगी?

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