चरित्रवान, देशभक्त युवा भारत निर्माण के लिए देश के हर युवक के हाथ में थमा दी जाए सत्यार्थ प्रकाश व बिस्मिल की आत्मकथा*।
“जिन्हें हम हार समझे थे गला अपना सजाने को,
वही अब नाग बन बैठे हमारे काट खाने को!”
(राम प्रसाद बिस्मिल)
आज शहीद अमर क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल का 122 वा जन्मदिवस है.. बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि सार्थक अर्थों में बिस्मिल को तब ही समर्पित होगी जब रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा देश के हर नौजवान चाहे स्कूल या कॉलेज का विद्यार्थी हो के हाथ में थमा दी जाए……..!
यूं तो दुनिया में अनेक महापुरुष हुए सब ने अपनी आत्मकथा लिखी कुछ की जीवनी अन्य ने लिखी गई लेकिन आखिर क्या है बिस्मिल की आत्मकथा में?
गोरखपुर जेल में फांसी से चंद घंटों पहले लिखी गई इस आत्मकथा.. मैं बिस्मिल ने लिखा है स्वयं अपने बारे में कैसे एक चरित्रहीन किशोर जो दिन में 50-60 सिगरेट पी जाया करता था अश्लील उपन्यास पढ़ा करता था.. जो अपने पिता की गाढ़ी कमाई को महंगे शौक में खर्च कर देता था.. कैसे उसके जीवन का रूपांतरण हुआ? बालक राम कैसे महान साहित्यकार शायर पत्रकार महान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल बन गया?
30 वर्ष के अपने अल्प जीवनकाल उसमें भी 12 वर्ष के क्रांतिकारी जीवन में जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की चूड़े हिला दी.. बिस्मिल के व्यक्तित्व चरित्र में भारी सकारात्मक परिवर्तन आखिरी कैसे आया ?क्या यह परिवर्तन स्वभाविक था या कोई निमित्त था.. ।
आर्य समाज के क्रांतिकारी सन्यासी स्वामी सोंमआनंद के संपर्क में आकर रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन बदल गया जब उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश जैसे क्रांतिकारी कालजयी ग्रंथ का स्वाध्याय किया तो उनके चरित्र की सारी अशुद्धियों का नाश हो गया.. देर से सोने व उठने वाला वाला किशोर प्रातः 4:00 बजे उठकर कसरत व्यायाम कर संध्या हवन करने वाला गंभीर युवक बन गया यही दिनचर्या बिस्मिल की फांसी के तख्ते तक चढ़ने तक बनी रही हंसते हंसते ही नहीं चिंतन करते हुए फांसी के फंदे पर झूल गए.. इतना ही नहीं देश के तत्कालीन फर्जी क्रांतिकारियों स्वतंत्रता सेनानियों की भी पोल उन्होंने खोली थी |
यदि सरकार चाहती है कि भारत बलात्कारियों का देश अब और ना बने देश का हर युवक चरित्रवान बलवान हो तो देश के युवक मौसमी राष्ट्रवादी ना बने सच्चे राष्ट्रवादी बने अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा का पठन-पाठन अनिवार्य कर दीया जाए सभी स्कूलों कॉलेजों में.. संप्रदायिकता पाखंड आडंबर सभी सामाजिक कुरीतियों का समाधान है बिस्मिल की आत्मकथा में|
आर्य सागर खारी ✒✒✒