सम्भोग से कुरआन !
FB-25/02/2018FB 01/06/20
विश्व में जितने धर्मस्थापक और महापुरुष हुए हैं ,उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करनेके लिए कई बरसों तक संयम पूर्वक कठोर साधना और तपस्या की है .और उसके फलस्वरूप जो दैवीय ज्ञान प्राप्त किया था उनके अनुयायिओं ने संकलित कर लिया था .जिन को आज धर्मग्रंथों के रूप में मानते हैं और स्वीकार करते हैं .
लेकिन कुरआन दुनिया की एकमात्र ऐसी किताब है ,जिसकी रचना मुहम्मद ने बिना किसी तपस्या के ,अपनी पत्नियों के साथ लगातार सम्भोग करके की थी .कुरआन किसी अल्लाह की दें नहीं है ,और न आसमान से भेजी गयी किताब है .इसकी प्रेरणा तो मुहम्मद को सम्भोग के समय मिलाती थी .जैसे जैसे मुहम्मद अपनी पत्नियों के साथ सम्भोग करता जाता था ,कुरान की नयी नयी आयतें सूझती आती थी .जिसे बाद में जमा कर दिया था .यह खुद प्रमाणिक हदीसों से सिद्ध होता है ,जो मुहम्मद की प्यारी पत्नी आयशा द्वारा कही गयी हैं .देखिये –
1 -मुहम्मद की असीमित काम पिपासा
“आयशा ने कहा की ,अल्लाह ने रसूल को 30 आदमियों के बराबर सम्भोग शक्ति प्रदान की थी .रसूल सम्भोग करने से कभी नहीं थकते थे .और हमेशा सम्भोग के लिए तय्यार रहते थे .”
बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हदीस 268
“आयशा ने कहा कि रसूल एक ही रात में अपनी सभी औरतों के साथ बारी बारी से सम्भोग करते थे ,और जब रसूल किसी एक औरत के साथ सम्भोग करते थे तो ,दूसरी औरतें देखती रहती थीं .”
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 6
“आयशा ने कहा कि रसूल पाहिले अपनी सारी औरतों को एक जगह बुला लेते थे ,फिर एक एक करके सबके सामने सम्भोग करते थे ”
बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हदीस 270
“आयशा ने कहा कि रसूल को अल्लाह ने इतनी शक्ति दी थी कि ,जिस से ऐसा लगता था कि यदि उनको मौक़ा मिल जाता तो वह एक साथ सौ औरतों के साथ सम्भोग कर लेते”
.बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 74
2 -जिब्राईल (फ़रिश्ता )सम्भोग देखता था
“अबू सलमान ने कहा कि .आयशा ने कहा कि ,एक बार मैं रसूल के साथ सम्भोग में लिप्त थी ,तभी रसूल ने कहा कि ,
“आयशा उधर देखो ,जिब्राईल हमारे सम्भोग को देख रहा है ,और और तुम्हें सलाम कर रहा है ,तुम उसके सलाम का जवाब दो ”
“मैंने सम्भोग करवाते हुए उस तरफ सलाम बोल दिया .लेकिन मुझे वहां कोई नहीं दिखा .रसूल ने कहा कि जिब्राईल हमारे सम्भोग की तारीफ़ कर रहा है .लेकिन तुम एक इंसान हो इस लिए फ़रिश्ता तुम्हें नहीं दिख रहा है .लेकिन वह हमें देख रहा है
.बुखारी -जिल्द 5 किताब 57 हदीस 112
3 -मुहम्मद निर्लज्ज था
“अनस ने कहा कि एकबार जब रसूल दिन को ही अपनी औरतों केसाथ सम्भोग कर रहे थे ,तो हम लोग बाहरही बैठे थे ..रसूल सम्भोग करते हुए अपनी औरतों से जो बातें कर रहे थे ,हम साफ सुन रहे थे
.सहीह मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3450
“अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल जिस समय दिन को भी अपनी औरतों के साथ सामूहिक संभोग करते थे ,तो हम में से कोई एक व्यक्ति दरवाजे के छेद से चुपचाप सब हाल देखता रहता था ”
.बुखारी -जिल्द 9 किताब 83 हदीस 38 a
“अनस ने कहा कि लोग रसूल के सम्भोग को चुपचाप देखते थे ,और आनंद लेते थे .”
सही मुस्लिम -किताब 25 हदीस 5369
“सहल बिन साद ने कहा कि ,जब रसूल अपनी औरतों ,या दसियों के साथ सामूहिक सम्भोग करते थे ,तो एक आदमी छुप कर देखता रहता था .और सारी बातें सबको बता देता था ”
“बुखारी -जिल्द 9 किताब 83 हदीस 38
5 -कुरआन की प्रेरणा सम्भोग से मिलती थी
“आयशा ने कहा कि ,रसूल पर कुरआन की आयतें उसी समय नाजिल होती थीं ,जब वह मेरे साथ एक ही कम्बल में घुसकर सम्भोग करते थे.”
तबरी इब्ने इशाक -जिल्द 17 हदीस 7
“आयशा ने कहा कि ,रसूल कहते थे कि ,कुरआन की आयतें उसी समय नाजिल होती हैं ,जब मैं तुम्हारे साथ एकही बिस्तर में सम्भोग करता हूँ ,यदि मैं किसी दूसरी औरते साथ सोता हूँ तो ,कुरान की आयतें नहीं उतरती हैं ”
.बुखारी -जिल्द 5 किताब 57 हदीस 119
6 -मुहम्मद और बाजारू औरतें (कॉल गर्ल )
“अनस बिन मालिक ने कहा की अकसर मदीना की बाजारू औरतें रसूल के पास आतीथीं .और रसूल उनकी इच्छा पुरी कर देते थे ”
.बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 24
“एक बार खुला बिन्त हकीम नामकी एक औरत रसूल के पास आयी ,और बोली कि मैं अपने आपको आपके हवाले करती हूँ ,आप जो चाहें मेरे साथ कर सकते हैं .रसूल ने उसी वक्त उस औरत को अन्दर बुलाया ,और उसके साथ सम्भोग किया .उसी समय कुरआन की यह आयत नाजिल हुई ,
“यदि तुमने किसी को अन्दर बुला लिया तो ,इसमे कोई गुनाह नहीं है .तुम जिस को चाहो बुला सकते हो ”
सूरा अहजाब 33 51
“रसूल जिस समय खौला के साथ सम्भोग कर रहे थे यह आयत कही थी .
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 48 .
इन हदीसों से साबित होता है कि कुरआन ईश्वरीय किताब नहीं है ,बल्कि यह मुहम्मद दारा सम्भोग के समय बके हुए अश्लील शब्दों का संग्रह है .इसी लिए कुरान में कहीं भी आध्यात्म ,नैतिकता ,मानवता जैसे विषयों की जगह क़त्ल ,लूट ,बलात्कार ,और जिहाद पर जोर दिया गया है .इसी कुरान को पढ़कर ,और मुहम्मद को आदर्श मानकर जिहादी दुनिया को बर्बाद करने में लगे हुए हैं .साड़ी फसाद की जड़ मुहम्मद और उसकी बकवास यानी “कुरआन “है .इसलिए कुरान की असलियत को लोगों के सामने लाना जरूरी है .
कुरान को धार्मिक ग्रन्थ और मुहम्मद को महापुरुष या रसूल समझना भारी भूल और मूर्खता है .
(87/8)(10/11/2010)
निर्लज्ज , कुरान ,मुहम्मद,सम्भोग से
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