कश्मीर घाटी में आखिर किस का सिक्का चल रहा है सरकार का या आतंकवादियों का ?

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शिबेन कृष्ण रैणा

कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाएं थम नहीं रही हैं। धरती का स्वर्ग कहलाने वाला कश्मीर एक बार फिर सुलग रहा है। आतंकी चुन-चुनकर लोगों की हत्या कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों को, बाहरी लोगों को और चर्चित लोगों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रही हत्याएं जारी हैं।इन हत्याओं को ‘टारगेट किलिंग’ अथवा लक्षित हत्याएं कहा जा रहा है। यानी एक समुदाय या वर्ग-विशेष को लक्ष्य बनाकर हत्याएं करना। घाटी में पिछले एक महीने के दौरान लगभग नौ नागरिकों की निशाना बनाकर निर्मम हत्या की जा चुकी है। इनमें महिलाएं और सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। गुरुवार को ही आतंकियों ने कुलगाम जिले के मोहनपोरा इलाके में स्थित एक बैंक में घुसकर मैनेजर की हत्या की थी। कुलगाम में यह तीन दिनों में दूसरा हम ला था।घाटी में काम कर रहे प्रवासी बिहारी मजदूरों को भी निशाना बनाया गया है। लगातार बढ़ते आतंकी हमलों के चलते घाटी में लोगों में डर पैदा हो गया है और कई परिवार घाटी से पलायन करना शुरू कर चुके हैं और संभवतः पाकिस्तान समर्थित जिहादी/आतंकी चाहते भी यही हैं।
इधर, बढ़ते हमलों से डरकर प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू पहुंचने लगे हैं।एक कर्मचारी ने बताया है कि स्थिति लगातार बिगड़ रही है और १९९० जैसे हालात बन रहे हैं। उधर, इसी महीने से अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। यात्रा से पहले ये आतंकी घटनाएं सुरक्षा एजेंसियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं।
सरकार उच्च स्तरीय बैठकें करती रहे मगर समय आ गया है जब समूची घाटी को तुरंत प्रभाव से सेना के हवाले कर दिया जाए ताकि इन आतंकियों और देश-दुश्मनों का सफाया हो और वहाँ के लोगों में गिरते मनोबल की वापसी हो।एक बार हालात ठीक हो जाएँ तो वापस प्रजातान्त्रिक शासन-व्यवस्था लागू की जा सकती है।

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