क्या आप भगवान को मानते हैं ?
Does GOD Exists? What is GOD? How he looks? What he is Doing?
शीर्षक पढकर आप चौंक गये होंगे… क्या मैं नास्तिक हूँ… बिलकुल नहीं… फ़िर मैं क्यों ऐसी बात कह रहा हूँ ? लेकिन जरा आगे तो पढिये जनाब, कई सवाल हैं जो मेरे दिलो-दिमाग को मथते हैं और जिनका कोई तर्कपूर्ण जवाब मुझे नहीं मिलता, एक विशिष्ट प्रकार का “कन्फ़्यूजन” (Confusion) है…, इन विषयों पर हमेशा मैनें प्रत्येक बहस में सामने वाले से जवाब माँगा है, लेकिन नतीजा सिफ़र… वही गोल-मोल जवाब… वही ऊटपटाँग तर्क… लेकिन मेरी बात कोई मानने को तैयार नहीं… सोचा कि ब्लोग पर इन प्रश्नों को डालकर देखूँ, शायद कोई विद्वान मेरी शंकाओं का समाधान कर सके… और नहीं तो मुझ से सहमत हो सके… खैर बहुत हुई प्रस्तावना….
क्या आप भगवान को मानते हैं…. क्यों मानते हैं ? … क्या आपको विश्वास है कि भगवान कहीं है ? …यदि है तो वह क्या किसी को दिखाई दिया है ? ये सवाल सबसे पहले हमारे मन में आते हैं लेकिन बाल्यकाल से हमारे मनोमस्तिष्क पर जो संस्कार कर दिये जाते हैं उनके कारण हम मानते हैं कि भगवान नाम की कोई हस्ती इस दुनिया में है जो सर्वशक्तिमान है और इस फ़ानी दुनिया को चलाती है… चलो मान लिया… हमें सिखाया जाता है कि भगवान सभी पापियों का नाश करते हैं… भगवान की मर्जी के बिना इस दुनिया में पत्ता तक नहीं हिलता… जो प्राणी सच्चे मन से भगवान की प्रार्थना करते हैं उनको सुफ़ल अवश्य मिलता है… लेकिन ईश्वर मौजूद है तो फ़िर इस दुनिया में अन्याय, शोषण, भ्रष्टाचार, गरीबी, बीमारी आदि क्यों बनी हुई है ? शैतान (Satan) क्या है और नरक का निर्माण किसने किया ? क्या भगवान ने ? यदि हाँ तो क्यों ? यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो क्यों ना उसे ईश्वर की लीला समझकर माफ़ कर दिया जाये, क्योंकि उसकी मर्जी के बिना तो कुछ हो ही नहीं सकता । बाढ, सूखा, सुनामी, भूकम्प, ज्वालामुखी सभी ईश्वर की ही देन हैं, मतलब इन्सान को प्रकृति बिगाडने का दोषी नहीं माना जाना चाहिये. कहा जाता है कि मनुष्य, भगवान की सर्वोत्तम कृति है, फ़िर यह “सर्वोत्तम कृति” क्यों इस संसार को मिटाने पर तुली है… ? इसके जवाब में लोग कहते हैं कि यह तो मनुष्य के पूर्वजन्म के कर्मों का फ़ल है… लेकिन हमें तो बताया गया था कि चौरासी लाख योनियों के पश्चात ही मनुष्य जन्म प्राप्त होता है, फ़िर इस मनुष्य ने पाप किस जन्म में किये होंगे.. जब वह गाय-बकरी या कीडे-मकोडे के जन्म में होगा तब…? लेकिन मूक प्राणी तो कोई पाप नहीं करते… फ़िर ? और मनुष्य के पाप-पुण्य का हिसाब भी बडा मजेदार है… अब देखिये…. भगवान पापी, दुराचारी, पाखण्डी को अवश्य सजा देते हैं… लेकिन कब ? भगवान की बनाई हुई दुनिया उजडी जा रही है… लेकिन वह चुप है… अन्याय, लूट-खसोट चरम पर है, लेकिन वह कुछ नहीं करता…ईश्वर के नाम पर तमाम पाखण्ड और ढोंग चल रहा है… लेकिन वह चुप है… बडे-बडे लुटेरे, कालाबाजारिये, घूसखोर अफ़सर आदि लाखों रुपये चन्दा देकर विशाल भण्डारे और प्रवचन आयोजित कर रहे हैं… लेकिन भगवान को वह भी मंजूर है… दिन भर पसीना बहाने वाला एक ठेलाचालक भी उतना ही धार्मिक है लेकिन वह ताजिन्दगी पिसता और चूसा जाता रहेगा धनवानों द्वारा, ऐसा क्यों… ? धनवान व्यक्ति के लिये हर बडे मंदिर में एक वीआईपी कतार है, जबकि आम आदमी (जो भगवान की प्रार्थना सच्चे मन से करता है) वह लम्बी-लम्बी लाईनों में खडा रहता है….क्या उसकी भक्ति उस धनवान से कम है ? या भगवान को यह अन्याय मंजूर है… नहीं… तो फ़िर वह कुछ करता क्यों नहीं ? खैर… बहुत बडा ब्लोग ना हो जाये कहीं… और पाठक मुझे कोसने लगें, इसलिये यहीं खत्म करता हूँ… अगले ब्लोग में बाबाओं, साधुओं, चमत्कारों पर कुछ लिखूँगा… क्योंकि उज्जैन में रहकर और दो-दो सिंहस्थ होशोहवास में देखकर धर्म-कर्मकांड, गुरु-घंटालों, प्रवचनकारों के बारे में कुछ तो सच्चा (जाहिर है कि कडवा) लिखने का हक तो बनता है… अन्त में एक हल्का-फ़ुल्का मजाक… बताइये भगवान दिखाई क्यों नहीं देता ? तो भईये… जैसे इन्सान उसने बनाये हैं.. उसके कारण वह किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहा….
बाकी अगले ब्लोग में… किसी की भावनाओं को चोट पहुँचती हो तो माफ़ करें… तर्कपूर्ण जवाब जरूर दें…
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