पर्रिकर का बड़बोलापन ठीक नही
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब से बांग्लादेश होकर आये हैं, तब से पाकिस्तानी नेताओं के पेट में अनावश्यक दर्द हो रहा है। म्यांमार में जो कुछ भी भारतीय सेना ने किया है उसे तो पाकिस्तान कतई नही पचा पा रहा है। पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि यदि भारत की ओर से पाक को उकसाया गया तो पाकिस्तान इस का उचित उत्तर देगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास हथियार सिर्फ सजावट के लिए नही हैं।
पाकिस्तानी रक्षामंत्री के शब्दों में गीदड़ भभकी है और वह अपनी खींझ मिटाते भी दिख रहे हैं। उन्हें समझ लेना चाहिए कि पूरा भारत अपने प्रधानमंत्री के साथ कंधा से कंधा मिलाये खड़ा है। भारत का हर नागरिक स्वयं को पहले से अधिक सुरक्षित अनुभव कर रहा है, और अपने किसी भी सैनिक के बलिदान को वह व्यर्थ न जाने देने के लिए कृतसंकल्प है।
पाक नापाक है, और पैदायशी नापाक है। उसने भारत की पाक सरजमीं (स्वतंत्रता और विभाजन पूर्व की भारत भूमि) पर बारूद की खेती करनी आरंभ करके सारे विश्व समुदाय को भी यह बताने और जताने का प्रयास किया है कि उसकी सोच, शोध और बोध सभी नापाक हैं। जबकि भारत पैदायशी पाक है। इसकी पवित्र भूमि ने युद्घ को समस्याओं का समाधान तो नही माना, परंतु युद्घोन्मादियों को अकल सिखाने के लिए इसने युद्घ को सदा एक अमोघ अस्त्र माना है। इसलिए भारत की बलिदानी परंपरा में शास्त्र की रक्षा के लिए प्रथमत: शस्त्र का पूजन किया जाता है। अत: पाक रक्षामंत्री समझ लें कि भारत के हथियार भी किसलिए बनाये गये हैं? पाक अपनी फितरत से नापाक हो सकता है, पर भारत को अब कोई गारत नही कर सकता। इस सत्य को पाक का गुरू चीन भी भली भांति जानता है।
पर इसका अर्थ यह भी नही कि भारत को नेता जो चाहे सो बोलें। रक्षामंत्री का कार्य अच्छा कहा जा सकता है उनके रहते सेना का मनोबल भी बढ़ा है, यह भी सत्य है, पर उन्हें अपने बड़बोलेपन पर लगाम लगानी चाहिए। मोदी अपनी विकास पुरूष की छवि बनाना चाहते हैं। इसलिए पहले विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पर्रिकर काम करके चुप रहने के गुण को मोदी से सीखें।
अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में वही सफल होता है जो अपने कार्य को करने के उपरांत भी शांत रहता है। वह चाकू का प्रयोग करके भी चाकू को कहीं फेंकता है, और शिकार को कहीं और, इसके उपरांत स्वयं को निरपराध दिखाता है। म्यांमार में भारत ने जो कुछ किया है वह ठीक किया है, देश लामबंद होकर अपनी सरकार के साथ है। पर पर्रिकर को अपने चाकू को अपने आप ही हवा में नही लहराना चाहिए था कि अब यह चाकू दूसरों के लिए भी प्रयोग किया जाएगा। यदि नेता ऐसा व्यवहार करेंगे तो यह उनकी कूटनीतिक असफलता कही जाती है। क्योंकि ऐसे व्यवहार से शत्रु को हमारे विरूद्घ विषवमन करने का अवसर मिलता है।
पाकिस्तान की बौखलाहट पर संयम बरतना हमारे लिए अपेक्षित है। परंतु हमारे समय का अभिप्राय कांग्रेसी मौन से नही है। संयम का अभिप्राय है पूर्णत: सावधान रहकर शत्रु पर नजर रखते हुए उसकी हर गतिविधि का बारीकी से ध्यान रखना और यदि हमारे विरूद्घ कुछ होता है तो उसका तुरंत जवाब देना।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सही समय पर सही नीति का और सही शब्दों का चयन करते हैं। यही उनकी सफलता का कारण है। पाकिस्तान के नेता इसके विपरीत अनीति और अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। जब कीड़े दिमाग तक पहुंच जाते हैं तो मनुष्य की जबान भी लड़खड़ाने लगती है। लोग ऐसी व्यक्ति की बातों पर अधिक ध्यान नही देते हैं। यही स्थिति हमें पाकिस्तान के प्रति शेष अंतर्राष्ट्रीय जगत के लिए छोड़ देनी चाहिए। संसार समझे और पाकिस्तान की मानसिकता को समझकर उसके प्रति उपेक्षा भाव अपनाये। भारत जितना अपनी इस कूटनीति में सफल होता जाएगा उतना ही पाक अंतर्राष्ट्रीय जगत में अलग थलग पड़ता जाएगा। यह भारत की कूटनीति सफलता होगी। सफल कूटनीतिक युद्घ कभी-कभी युद्घ की अपरिहार्य स्थितियों को भी अवांछित सिद्घ कर देता है। सारा देश अपने रक्षामंत्री के निर्णय लेने की क्षमता की प्रशंसा करता है पर उन्हें बड़बोला नेता बनते देखना नही चाहता।
मुख्य संपादक, उगता भारत