गोरक्षण एवं गोसंवर्धन-समिति के गौरक्षण हेतु दिए गए सुझाव
जब 15अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता की घोषणा का निश्चय हुआ, तब देश की जनता की और से इस स्वतंत्रता के साथ ही ‘गोहत्या-निषेध ‘ का उल्लेख करने की माँग की गयी । 8 अगस्त 1947 को श्री नेहरू जी से इस सन्दर्भ में एक शिष्टमंडल भी मिला । नेहरू जी ने इस घोषणा में ‘गोवध-निषेध ‘ का उल्लेख करने से इनकार कर दिया ; पर इस प्रशन्न पर एक समिति गठित करने का विश्वास दिलाया । भारत सरकार के कृषि मन्त्रालय ने प्रस्ताव न. F 25-8-47 L ; तारिख 19 नवम्बर 1947 द्वारा दूध तथा बैलों की कमी और जनता की मांग को दृष्टि में रखते हुए सरदार दातारसिह सिंह की प्रधानता में ” The Cattle Preservation And Development Comety ” (गोरक्षण एवं गोसंवर्धन-समिति) स्थापित की गयी । इस कमेटी के सरकारी और गैर सरकारी सदस्य निम्नलिखित थे—-(1) सरदार दातारसिह जी (प्रधान), (2) रायबहादूर श्री P.N.Nanda , Comisner Animal Husbandry, (3) श्री H.B.Sahi डायरेक्टर पशु विभाग(C.P.), (4) Dr.J.R.Kothawala, Director सलाहकार, भारत सरकार, ( 5) सरदार बहादुर श्री हरचन्दसिह, कृषि कमिश्नर पटियाला, (6) सदगुरू प्रताप सिंह जी नामधारी भैणीसाहब जिला लुधियाना, (7) लाला हरदेवसहायजी मन्त्री गोरक्षणी सभा हिसार ,(8) श्री सतीश चन्द्र दास गुप्ता, खादी प्रतिष्ठान, सौदपुर कलकत्ता, (9) रायबहादूर श्री J.N.Mankar ji मन्त्री जीवदया मण्डल बम्बई, (10) बाबू धर्म लाल सिंह जी मन्त्री बिहार राज्य गोशाला, पिंजरापोल संघ, पटना । इस कमेटी ने गोरक्षण एवं गोसंवर्धन सम्बन्धी विषयों पर पूरा विचार करके छ: नवम्बर 1948 को सरकार को अपनी रिपोर्ट देते समय सिफारिश की कि इस कमेटी की सम्मति में एवं भारत में किसी भी स्थिति में गोहत्या वांछित नहीं एवं कानून द्वारा गोहत्या को बंद किया जाए । भारत की सम्रद्धि बहुत कुछ गाय पर निर्भर करती है और भारत की आत्मा को गोहत्या सम्पूर्णतया बन्द करने से ही सन्तोष होगा । इस कमेटी ने चारे-दाने के संरक्षण एवं उत्पादन, नस्ल-सुधार आदि के लिए भी सुझाव दिये । लाला हरदेवसहायजी की पुस्तक “गाय कैसे बचे ” से उपरोक्त लेख लिया गया है । —राजकुमार अग्रवाल महासचिव भारत गोसेवक समाज
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