*भ्रूण हत्या, स्त्री शिक्षा ,दलित उत्थान को लेकर बिस्मिल के विचार*”
शहीद रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में लिखा है………………………..|
” मेरे बाद पांच बहनों का जन्म हुआ दादा जी ने कुल की कुप्रथा के अनुसार कन्याओं को मारने की कोशिश की परंतु मेरी माता जी ने इन कन्या के प्राणों की रक्षा की उन्हें अच्छी शिक्षा दी तथा धूमधाम से उनकी शादी की”
“स्त्रियों की दशा भी सुधारी जावे कि वे अपने आप को मनुष्य जाति का अंग समझने लगे वे पैर की जूती तथा घर की गुड़िया ना समझी जावे ”
“अछूतों को जिनकी संख्या देश में लगभग 6 करोड है| पर्याप्त शिक्षा प्राप्त करने का प्रबंध हो| उनको सामाजिक अधिकार में समानता हो जिस देश में 6 करोड (1927)लोग अछूत समझे जाएं उसके देशवासियों को स्वाधीन बनने का अधिकार क्या है रात्रि पाठशाला खोलकर निर्धन तथा अछूत लोगों के बच्चों को शिक्षा दे सकते हैं ”
यद्यपि वीर शहीदों की कोई जाति गोत्र नहीं होता .. ठाकुर परिवार में जन्म लेने के बाद भी बिस्मिल के विचार दलितों को लेकर कितने स्पष्ट प्रशंसनीय थे | बिस्मिल के बिचार आर्य समाज की देन थे |
#आर्य_समाज को उन्होंने अपनी माता ,जीवन को रूपांतरित करने वाला बताया था आर्य सन्यासी #स्वामी_सोमदेव के संपर्क में आकर बिस्मिल्ल का पूर्णता रूपांतरण हो गया था किशोर राम देशभक्त क्रांतिकारी धार्मिक राम प्रसाद बिस्मिल में तब्दील हो गया था |
आर्य सागर खारी✒