अपने बयान से राहुल अपने पार्टी की छीछालेदर करते हैं
माननीय राहुल गाँधी जी ने आज फिर मुंह खोला और जब माननीय राहुल जी ने मुंह खोला तो हम निट्ठले फेसबुकिये के लिये 10 दिन का लिखने का खुराक मिल गया। माननीय राहूल गाँधी जी के अनुरार वेदप्रताप वैदिक जी संघ के आदमी है। आईये माननीय राहूल गाँधी जी के इस व्यान का पोर्स्टमार्टम करें।कांग्रेस के तथाकथित नेता सलमान खुर्शीद, मणि शंकर अय्यर और वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक पाकिस्तान की सैर करने चले गये। खुर्शीद और अय्यर ने वहाँ जाकर क्या किया, यह तो वही ज्यादा बेहतर बता सकते है लेकिन वेद प्रताप वेदिक की आतंकवादी हाफ़िज़ सईद से की गयी मुलाकात को लेकर कांग्रेस पार्टी को अपनी हार की खिज मिटाने एक मौका मिल गया। कांग्रेस पार्टी को लगता था कि आतंकवादियों और देशद्रोहियों को महिमामंडित करने का एकाधिकार सिर्फ उनके पास ही है और सिर्फ उन्ही के मंत्री और वरिष्ठ नेता “श्री हाफ़िज़ सईद” और “श्री ओसामा बिन लादेन जी” को महिमा मंडित कर सकते हैं।
अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती देख पहले तो बौखलाये कांग्रेसियों ने यह अफवाह उड़ानी शुरु की कि वेद प्रताप वेदिक मोदी के दूत के रूप मे पाकिस्तान गये थे। वह लोग यह बताना भूल गये कि खुर्शीद और अय्यर भी क्या मोदी के ही दूत बनकर गये थे या फिर किसी और के दूत बनकर गये थे ! या फिर कांग्रेस यह कहना चाहती है कि कांग्रेस के सभी नेता और उनके साथ पाकिस्तान जाने वाले पत्रकार “मोदी के दूत” बनकर जाते है ! वैदिक ने पाकिस्तान जाकर जो कुछ भी किया अगर वह गलत और देश के कानून के खिलाफ है तो उस पर कानूनी कार्यवाही की मांग करने के वजाये कांग्रेसियों का यह कहना कि क्योंकि वेदिक रामदेव से मिलते रहते है इसलिये वह मोदी के दूत हो गये-बेहद हास्यास्पद है !
कांग्रेस के तथाकथित शीर्ष नेता राहुल गाँधी जो अपने विवादास्पद बयानो से अपनी पार्टी की मट्टी पलीत कराने के लिये ही जाने जाते है, उन्होने बिना सोचे समझे यह बयान भी दे डाला कि वेद प्रताप वैदिक आर एस एस के आदमी हैं ! अपनी चुनाव सभाओं मे राहुल गाँधी ने आर एस एस को “आतंकवादी संगठन” बताया था और उनकी उस बदजुबानी का जबाब जनता 16 मई को पहले ही दे चुकी है-लेकिन राहुल गाँधी जैसे लोग अगर अपनी गलतियों से सबक ले सकते तो कांग्रेस पार्टी की इतनी दुर्दशा नही हुई होती ! देश की सबसे बड़ी और पुरानी राजनीतिक पार्टी की ऐसी दुर्दशा कोई विपक्ष मे बैठा राजनीतिक दल हर्गिज़ नही कर सकता। ज़ाहिर सी बात है कि जिस पार्टी मे दिग्विजय,शिन्दे और राहुल गाँधी जैसे नेता मौजूद हों, उसे अपनी दुर्दशा करवाने के लिये विपक्षी पार्टियों का मोहताज़ थोड़े ही होना पड़ेगा।
अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के साफ साफ बयान देने के बाबजूद कि वैदिक की पाकिस्तान यात्रा उनकी व्यक्तिगत यात्रा थी और उसका मोदी या भाजपा सरकार का कोई लेना देना नही है-कांग्रेस पार्टी इस बात को जबरदस्ती का मुददा बनाकर यह साबित करने पर तुली हुई है कि किसी तरह से वैदिक को भाजपा,मोदी या आर एस एस का आदमी बताकर घटिया दर्ज़े की नकारात्मक राजनीति की जाये। आम चुनावों मे मिली करारी हार के बाद अपने राजनीतिक वजूद को तलाशती कांग्रेस पार्टी को अगर लगता है कि उसे इन फ़िज़ूल के मुद्दों से राजनीतिक जीवनदान मिलेगा तो वह भयंकर गलती पर है।
नीतू सिंह