सोशल मीडिया की सच्चाई
सोशल मीडिया का पोस्टमार्टम करने का विचार मन में आया तत्पश्चात लगभग 100 से अधिक युवक युवतियों द्वारा संचालित फेस बुक पेज का भ्रमण करने के बाद जो निष्कर्ष सामने आया उसके बाद कहा जा सकता है की भारतीय संस्कृति अपनी अंतिम साँस लेने के रास्ते पर बड़ी तेजी से बढ़ रही है ? शीला की जवानी से लेकर रूपा के घाघरे का बखान हमारी युवा पीढ़ी बेहतरीन ढंग से करने को आतुर दिखती है इन पेजो की नग्नता और फूहड़पन खुले आम दर्शाती है की कैसे युवाओ का नैतिक और चारित्रिक पतन हो रहा है।
युवा पीढ़ी के कंधो के सहारे 21 वि सदी में भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना संजोने वाले और संस्कृति की दुहाई देने वालो के नाक के निचे ही ये सारा खेल चल रहा है जहा आज की “युवती शाम होते ही कहती है की कौन कौन मुझे सेक्स चैट करना चाहता है मेरे इनबॉक्स में जल्दी कमेंट करो उसके बाद जैसे लड़को की बाढ़ सी आ जाती है यह संख्या सैकड़ो या हजारो में होती तो शायद समझा जा सकता था की कुछ लोग होंगे लेकिन यह संख्या लाखो और करोड़ो में है जिनकी चाहत और दीवानगी का आलम यह है की इन्हे पेज पर यह कहते तनिक भी शर्म महसूस नहीं होता की उन्होंने अपने परिवार के किस सदस्य के साथ कितनी बार सेक्स किया है और उन्हें कैसा महसूस हुआ और वो परिवार के किस सदस्य के साथ सेक्स करने को आतुर है और उसके लिए सलाह भी मांगते है।
गौरतलब हो की वर्ष 1995 में इंटरनेट के प्रयोग को भारत में आम जनता के लिए आरम्भ किया गया था उस समय यह दुहाई दी गई थी की इसके प्रयोग से हम पुरे विश्व से विचारो का आदान प्रदान कर सकेंगे लेकिन हुआ इसके विपरीत कुछ ने इसे अपने कार्यो के लिए इस्तेमाल किया लेकिन अधिकांश जिनमे युवा पीढ़ी के साथ पौढ़ भी है ने इसे मात्र मनोरंजन का साधन समझा जहा हमें अच्छाई ग्रहण करना था हमने यूरोप और अमरीका की गन्दगी को अपनाने में अपनी बेहतरी समझी जिसका नतीजा है की भोग वादी प्रवृति का हममे इस प्रकार से प्रवेश हो चूका है की युवा पीढ़ी इसी को अपनी जिंदगी समझ रही है और मनोरंजन के बहाने अपना चारित्रिक पतन कर रहे है।
एक युवा होने के नाते यह कहते तनिक भी झिझक नहीं की इन अश्लील पेज और साइट को देख कर किसी की भी इच्छा जागृत हो जाये क्योकि अश्लील साइट एक उत्प्रेरक का काम करते है और आज यह बीमारी का रूप ले रहे है जिसका नतीजा है की 3 साल की बच्चियां भी बलात्कार का शिकार हो रही है उसी देश में जहा नवरात्र में कुँवारी पूजा का प्रावधान है। ऐसे में यदि अविलम्ब इनपर रोक नहीं लगाया जाता तो स्थिति और भी ख़राब होगी हा कुछ लोग होंगे हममे और आप में जिन्हे यह अच्छा नहीं लगेगा और कहेंगे की छोटे कपडे पहने से कुछ नहीं होता सोच बदलनी चाहिए।
राजेश दूबे