चुनाव विशेषज्ञ कहे जाने वाले प्रशांत किशोर का था चुनावी आकलन यथार्थ से कितना दूर ——इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार    

images (77)

  

    ———————————————

जिस समय पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव चल रहे थे उस समय प्रशांत किशोर ने कहा था कि यदि भाजपा पश्चिम बंगाल में वास्तव में अपनी सरकार बनाना चाहती है तो उसे यहां की कुल हिंदू जनसंख्या के 50 से 55% वोट लेने होंगे जो कि असंभव है।
परंतु हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा को २०१९ के लोकसभा चुनाव में  २ करोड़ ३० लाख २८३४९ वोट मिले जो ५ करोड़ ७४ लाख कुल गिरे मतों में लगभग ३ करोड़ ९० लाख हिन्दु मतदाताओं का जो ५९.१० प्रतिशत होता है व विधानसभा में प्रदत्त ५ करोड़ ९५ लाख मतदाताओं में मिले २ करोड़ ३१ लाख वोट में ४ करोड़ हिन्दु मतदाताओं का ५७.७५ प्रतिशत है। अर्थात प्रशांत किशोर ज़मीनी सच्चाई से बहुत दूर थे। उन जैसे  प्रख्यात आदमी का चुनाव संबंधी ऐसा विश्लेषण उन्हें बहुत हल्का सिद्ध करता है। उनके इस कथन से पता चलता है कि वह जमीनी सच्चाई को समझने में असफल रहे।
  प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के चुनाव जीतने के मुख्य सलाहकार है। यदि उन्हें ज़मीनी हक़ीक़त का जरा भी ज्ञान होता तो ममता बनर्जी को भवानीपुर से ही  लड़ने को कहते न कि नंदीग्राम से। लोकसभा चुनाव में भवानीपुर में ममता विरोधी सभी पार्टियों  के मतों को जोड़ा  जाय तो  ममता बनर्जी १२ हज़ार वोटों से हार जाती है। वैसे भी भाजपा के साथ मतों का अन्तर मात्र ३ हज़ार का था। नन्दीग्राम से ममता बनर्जी के लड़ने का मुख्य कारण सुभेंदु अधिकारी नही बल्कि पूरे राज्य में नंदीग्राम में भाजपा व टीएमसी का लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक ६८ हज़ार मतों से टीएमसी का आगे रहना था। भाजपा को ६२ हज़ार मत मिले थे,  टीएमसी को १ लाख ३० हज़ार। पूरे राज्य में यह टीएमसी की सर्वाधिक मार्जिन थी। ममता बनर्जी की नन्दीग्राम में जो मिदनापुर ज़िले में है यह ज़िला विद्यासागर का ज़िला है। विद्यासागर की मूर्ति अमितशाह के आगे बढ़ते जुलूस को खण्डित करने की ममता बनर्जी की चाल थी। मिदनापुर की जनता ने ममता को हरा कर यही सन्देश दिया। ममता को हराने का  सुवेंदु अधिकारी को भाजपा ने पुरस्कार दिया वे भाजपा के विधान सभा में नेता बन प्रतिपक्ष के नेता बन गये।
     पिछली विधान सभा में भाजपा आशा कर रही थी उसके वोट १० प्रतिशत से ४० प्रतिशत बढ़े। इसमें सीपीएम के पतन का बहुत बड़ा हाथ है । भाजपा को सीपीएम से १ करोड़ वोट हस्तांतरित हुए। ३५ लाख ममता के वोट मिले। ४२ लाख  नये वोटर के वोट मिले। भाजपा ने २ करोड़ ३० लाख वोट पाकर ४० प्रतिशत वोट भी नही पाया । ममता से १५ लोकसभा की सीट छीन ली व सीपीएम से एक सीट छीन ली। जबकि ममता बनर्जी राष्ट्र के विपक्ष को ब्रिगेड की महती सभा में बुलाकर ३६ से बची ६ सीट जीत कर सभी ४२ सीट जीतने के लिये आस्वस्त थी।                     
        लोकसभा चुनाव के अनुसार राज्य  में विधानसभा के १६५ क्षेत्रों में टीएमसी को बढ़त थी। भाजपा को १२० क्षेत्रों में व कांग्रेस को ९ क्षेत्रों में। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपनी सफलता को ध्यान रख कर की । लेफ़्ट के ४२ लाख वोटर का ३५ लाख उसे मिलेगा। सीपीएम का वोट लोकसभा की तरह पुनः उन्हें मिलेगा। लोकसभा चुनाव में ममता का ३५ लाख व ४२ लाख नया वोटर का वोट की तरह उसे राज्य में १० वर्ष की एंटीइंकम्बेन्सी व नये वोटर का वोट उसे मिलेगा।  वह १२० से १८० पहुँच जायेगी, २०० सीट का लक्ष्य बनाया था। बहिरागत नारे से ममता को मामूली लाभ मिला एंटीइंकम्बेन्सी वोट भाजपा  को नही मिले। नये २१ लाख वोट उसे मिले। पर बहिरागत का नारा दे कर प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव में ममता से गये ३५ लाख वोट व ४२ लाख नए वोट पाना चाहते थे। वह नही हो सका। भाजपा को सहयोगियों के साथ २ करोड़ ३१ लाख वोट मिले। जो लोकसभा में मिले वोटों के लगभग बराबर हैं। रही बात सीटों की तो भाजपा के पास ३ विधायक थे । उसको समर्थन करने वाले गोरखामुक्ति मोर्चा के ३ विधायक थे। भाजपा १२० सीट पर पहुँची। उसने ८२ सीट तृणमूल से छीनी१५ बाम फ़्रण्ट से व १७ कांग्रेस से जीती। चूंकि सीपीएम के विधायक व कांग्रेस विधायक भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे उनको विधायक होने से अच्छा वोट मिला उनके चलते भाजपा ये सभी ३२ सीट हार  गयी। भाजपा १२० से ८८ पर आ गयी। अंत में १०-११ सीट टीएमसी के अच्छे विधायक होने के चलते हार गयी। कांग्रेस के ९ में ८ लोकसभा में जीते विधान सभा क्षेत्रों को टीएमसी ने जीत लिया। यह मुस्लिम बहुल सीटें थी व १ बहरामपुर हिन्दु बहुल सीट भाजपा ने कांग्रेस से जीती। कांग्रेस-सीपीएम पिछली बार ७७ सीट पर थे अब शून्य सीट पर है। भाजपा ७७ सीट पर है।    
    अब जो नगरपालिका चुनाव हो रहा है इसमें तो भाजपा को विधान सभा चुनाव की तरह लाभ ही लाभ है। नगरपालिका की कुल २२५१ सीटों में उसके पास मात्र ८१ सीट हैं। वाम फ़्रण्ट के पास ३१० व कांग्रेस के पास १८७,निर्दलीय ९७ हैं। भाजपा के पास सिलीगुड़ी में २ सीट थी ५ हुईं। CPM के पास २८ सीट के साथ मेयर पद भी था । वह ४ पर आ गयी। CPM व कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी परीक्षा है । वह अपना वजूद ज़मीन पर बचा पाती है या नही। भाजपा ८१ से अधिक जितना जीतेगी उसको उतना लाभ ही मिलेगा।                                 
  ममता बनर्जी को मेरी सलाह है कि पिछले लोकसभा चुनाव की तरह यदि सीपीएम व कांग्रेस का ५२ लाख वोट जो हिन्दु वोट है उसका अधिकांश अतीत की तरह भाजपा में जाना तय है, तो दोनो आज बराबरी पर हैं। कहीं पिछली बार की तरह ४२ सीट पाने के चक्कर में १५ सीट भाजपा को खोई वापस १०-१२ सीट खोकर देश में महत्वहीन न बन जाये । इस बात पर ध्यान देना चाहियेन न की प्रशांत किशोर की बात पर राज्य की ४२ तो मिलेगी दूसरे राज्यों  से भी १०-२०सीटें मिलेंगी।                                भारतवर्ष के इतिहास में ऐसा आज तक नही हुआ। इलेक्शन के बाद पूरे राज्य में भाजपा के ५५ कार्यकर्ताओं की हत्या हुवी ३०० स्त्रियों के साथ गंदा काम किया गया। १ लाख लोगों को गाँव से भगा दिया गया। ममता बनर्जी आपको हिंदुओं ने भी वोट दिया है इन १ लाख लोगों में   विस्थापित हिन्दु आपके भी समर्थक है। इनको कम से कम अपने गाँव में वापस स्थापित कर दे।

Comment: