राम मंदिर देख राकेश टिकैत को आया गुस्सा, शो में चिल्लाने पर एंकर ने फटकारा

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किसान नेता राकेश टिकैत जगह-जगह सक्रिय हैं। किसान आंदोलन भले ही खत्म हो गया हो लेकिन उनके राजनीति संबंधी बयान आने बंद नहीं हो रहे। हाल में उन्हें इंडिया टीवी ने अपने शो ‘चुनाव मंच’ में अतिथि के तौर पर बुलाया और वहाँ जानना चाहा कि आखिर ‘किसानों का मुख्यमंत्री कौन है’ लेकिन यहाँ भी टिकैत का रवैया राजनीतिक ही देखने को मिला।

बीच शो में राकेश टिकैत इस बात पर चिल्ला पड़े कि आखिर उनके पीछे लगे बैकग्राउंड में राम मंदिर की तस्वीर क्यों दिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कैमरा और कलम पर अब बंदूक का पहरा है इसीलिए शो में राम मंदिर को दिखाया जा रहा है। इसके बाद उनकी आवाज तेज होती गई और वह चैनल पर प्रचार करने का आरोप लगाते रहे। उनके समर्थकों ने पीछे से हल्ला करना शुरू कर दिया। इसी बीच एंकर ने किसान नेता का ये रवैया भांपते हुए उन्हें फटकार लगाई और समझाया कि अगर वो मेहमान हैं चैनल के तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो कुछ भी अनाप-शनाप बोलेंगे।

एंकर ने टिकैत को दिखाया कि कैसे वो मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं और उसे हिंदू-मुस्लिम रंग दे रहे हैं। एंकर सौरव शर्मा ने टिकैत को चेतावनी दी कि वो मंच का दुरुपयोग न करें, उन्हें बुलाया गया है ताकि ये बात हो सके कि किसानों का मुख्यमंत्री कौन है। सौरव ने बताया कि जहाँ बैकग्राउंड में मंदिर दिखाया जा रहा है वहाँ पर मस्जिद भी नजर आ रहा है।

राकेश टिकैत ने इस बीच मुद्दा पलटते हुए बोलना शुरू किया कि चैनल वालों को यहाँ पर अस्पताल दिखाना चाहिए न कि मंदिर-मस्जिद। इस पर सौरव ने टिकैत को फटकारा और कहा कि अगर उन्हें राजनैतिक बातें करनी हैं तो वो कोई पार्टी ज्वाइन करे इस तरह किसानों के नाम पर आकर वह राजनेताओं की तरह बात न करें। मंदिर-मस्जिद को मुद्दा राजनीतिक पार्टियाँ बनाती हैं। एंकर को गुस्से में देख राकेश टिकैत ने अपनी आवाज धीमी कर ली। एंकर ने टिकैत को झाड़ते हुए कहा कि आखिर ये कौन सा तरीका है बात करने का। सौरव ने कहा कि टिकैत उनके मेहमान हैं लेकिन वह उनकी मनमानी नहीं चलने देंगे।

किसान आंदोलन को ट्रेनिंग बता चुके हैं टिकैत

ऐसा पहली बार नहीं है कि चुनावों से पहले टिकैत के बयानों ने या उनके रवैये ने चर्चा बटोरी हो, उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने चले किसान आंदोलन को एक ट्रेनिंग बताया। उन्होंने कहा कि अगर इसके बाद भी उन्हें ही बताना पड़े कि किसे वोट देना है या किसे नहीं, तो ट्रेनिंग का क्या फायदा। उन्होंने कहा था कि अभी प्रदेश में हिंदू मुस्लिम और जिन्ना का भूत ढाई महीने और रहेगा। इसलिए वे लोग हिंदू-मुस्लिम वाली बातों में न आएँ।

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